Thursday, March 23, 2017

पुलिस और मैनेजमेंट से एक दिन की आज़ादी

ये वो तस्वीरें हैं जो 23 मार्च 2017 को ताउ देवी लाल पार्क, आईएमटी चौक, मानेसर, गुड़गांव में दर्जनों फैक्ट्रियों के मज़दूर भगत सिंह की शहादत दिवस पर जेल में बंद अपने मारूति के साथियों के समर्थन में हज़ारों मज़दूर इकट्ठा हुए थे. इस जनसभा को लेकर फैक्ट्रियों के मैनेजमेंट से लेकर पुलिस और प्रशासन तक ने उन पर दबाव बनाया. पहले जनसभा को इजाज़त नहीं दी, फिर धारा 144 लागू कर दी. फैक्ट्री मैनेजमेंट ने तरह तरह मज़दूरों को धमकी दी. लेकिन शिफ़्ट छूटते ही मज़दूरों का रेला पार्क की ओर उमड़ पड़ा. पार्क में कुछ सौ पुलिसकर्मी तैनात थे. मज़दूरों की तादात देख प्रशासन पीछे हटा. जनसभा के पहले दो घंटे में दो दर्जन पुलिसकर्मी पार्क में मज़दूरों के साथ खड़े थे. जैसे जैसे सभा लंबी होती गई, संख्या बढ़ती गई, पुलिस गेट की तरफ खिसकती गई. 
मैनेजमेंट की घुड़की और पुलिस की दबंगई से मानेसर के मज़दूर एक मनोवैज्ञानिक लड़ाई जीतने में सफल रहे. इससे मज़दूरों का आत्मविश्वास बढ़ा. न सिर्फ जनसभा हुई बल्कि शिफ़्ट से निकले मज़दूर कतारबद्ध होकर जुलूस की शक्ल में बैनर, झंडों के साथ पार्क पहुंचे.
ग़ौरतलब है कि 2012 के हादसे के सिलसिले में मारुति के 13 कर्मचारियों को स्थानीय अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. उन्हीं के समर्थन में इस जनसभा का आह्वान दिया गया था.


































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