Wednesday, July 28, 2010

पीथमपुर में ही डंप होगा कारबाइड का 347 मीट्रिक टन कचरा

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार कर चुकी है तय, मानसून सत्र में हुआ खुलासा,
भोपाल कारबाइड में रखा है 347 मीट्रिक टन जहरीला कचरा


भोपाल, 28 जुलाई एजेंसी

आखिर केंद्र के मनसूबे साफ हो ही गए। तीन साल पहले रातों रात भोपाल के यूनियन कारबाइड के हजारों टन जहरीले कचरे को इंदौर के पास स्थित सेज पीथमपुर की एक फैक्ट्री में जला दिया गया। अदालत के फैसला आने के बाद इस मुद्दे के गरम होने के बाद पीथमपुर के आस पास के ग्रामीणों ने जहरीले कचरे के जलाए जाने के बाद भूगर्भ जल के जहरीले होने की बात उठाई और विरोध शुरू हुआ। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इस बारे में गलत जानकारी देते रहे। हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भी उस गांव का दौरा किया था और आश्वासन दिया था कि अब आगे से यहां कचरा नहीं जलाया जाएगा। लेकिन मंगलवार को संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार अपना मंतव्य साफ कर ही दिया।
भोपाल गैस त्रासदी के बाद से यूनियन कारबाइड के बंद पड़े कारखाने में 347 मीट्रिक टन जहरीला रासायनिक कचरा पड़ा हुआ है, जिसके निष्पादन का निर्णय पीथमपुर स्थित 'ट्रीटमेंट, स्टोरेज एण्ड डिस्पोजल फैसिलिटीÓ (टीएसडीएफ) में किया गया है। यह जानकारी आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कांग्रेस की कल्पना परूलेकर के एक लिखित प्रश्न के जवाब में दिया। उन्होंने कहा कि इस कचरे में 96 मीट्रिक टन सेविन एवं नफ्थाल रेसिड्यू, 30 मीट्रिक टन रिएक्टर रेसिड्यू, 56 मीट्रिक टन सेमीप्रोसेस्ड पेस्टीसाइड्स एवं 165 मीट्रिक टन एस्केवेटेड वेस्ट शामिल है।
इसी बीच माकपा ने कहा है कि वह इस सत्र में भोपाल कांड का मुद्दा प्रमुखता से उठाएगी। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, 'डाउू केमिकल्स पर परमाणु कचरा साफ करने की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। अमेरिका के साथ भारत की सामरिक साझेदारी है, ऐसे में उसे राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस फैसले से सबक लेना चाहिए, जिसमें ब्रिटिश पेट्रोलियम पर खाड़ी में तेल बहने के मामले में भारी मुआवजा देने के लिए कहा गया था।Ó
आवास एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस कचरे को नष्ट करने के लिए आवास एवं पर्यावरण विभाग ने अलग से कोई नीति तय नहीं की है और किसी कंपनी को इसका ठेका भी नहीं दिया है। यह प्रश्न मूलत: गैस राहत विभाग से संबंधित है, लेकिन विभाग को मिली जानकारी के अनुसार यह कचरा पीथमपुर (धार) स्थित टीएसडीएफ में ले जाने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है।
मलैया ने कहा कि प्रदेश के समूचे खतरनाक कचरे को नष्ट करने के लिए इस एकमात्र टीएसडीएफ का निर्माण राज्य औद्यौगिक विकास निगम, पीथमपुर ऑटो क्लस्टर लिमिटेड एवं मेसर्स रामकी एनवायरो इंजीनियरिंग लिमटेड द्वारा किया गया है।
कल्पना द्वारा यह पूछने पर कि इस कचरे के दुष्प्रभावों को कम करने एवं इसे नष्ट करने के लिए विभाग ने कितनी राशि खर्च की है तथा कचरे से कौन-से प्रभाव मानव शरीर के विरुद्ध राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने चिह्नित किए हैं, आवास एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस बारे में विभाग ने कोई राशि खर्च नहीं की है, इसलिए शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।

No comments:

Post a Comment