आन्दोलन को फैलने से रोकने के लिए मारुति-सुजुकी ने अपने दोनों संयंत्र बन्द किये
कल 14 सितम्बर की शाम को बहूराष्ट्रीय कम्पनी सुजुकी के मालिकाने वाली तीन इकाइयों, सुजुकी पवारट्रेन इण्डिया लि., सुजुकी कास्टिंग्स और सुजुकी मोटरसाईकल इण्डिया प्रा.लि. के मजदूरों के मारुति-सुजुकी इण्डिया लि., मानेसर के संघर्षरत मजदूरों के समर्थन में हड़ताल में चले जाने से डर कर मारुति-सुजुकी प्रबन्धन ने आज गुडगाँव और मानेसर स्थित अपने दोनों फैकटारियों को कल शुक्रवार को बन्द घोषित कर दिया. शनिवार को विश्वकर्मा पूजा की छुट्टी है और अगला दिन रविवार है, इस तरह दोनों कारखाने अगले तीन दिनों तक बन्द रहेंगे और इस तरह से वे दावानल की तरह फैलते हुए आन्दोलन की आग को रोक देना चाहते है. इस बीच मारुति-सुजुकी इण्डिया लि.के मानेसर संयन्त्र लड़ाकू साथियों का संघर्ष आज 18 वें दिन में प्रवेश कर गया और उनके समर्थन में सुजुकी पवारट्रेन इण्डिया लि., सुजुकी कास्टिंग्स और सुजुकी मोटरसाईकल इण्डिया प्रा.लि. के मजदूरों का धरना आज भी जारी रहा.
सुजुकी पवारट्रेन इण्डिया लि. मारुति सुजुकी इण्डिया लि. के लिए डीजल इंजनों और ट्रांस्मिसनों का निर्माण करती है, और इसमे 1250 स्थायी और प्रशिक्षु तथा 600 ठेका मजदूर हैं. सुजुकी कास्टिंग भी इसी के अन्तर्गत आती है और इसमें 350 -400 स्थायी और प्रशिक्षु तथा 500 ठेका मजदूर कार्यरत हैं. सुजुकी मोटरसाईकल इण्डिया प्रा.लि. में 1200 -1400 मजदूर हैं जो प्रतिदिन 1200 मोटरसाइकिल और स्कूटरों के उत्पादन का अत्यधिक कठिन लक्ष्य हासिल करते हैं. इस तरह से सुजुकी समूह के करीब 4500 कामगार मारुति सुजुकी की लड़ाई के साथ एकजुटता में हड़ताल पर हैं. इन तीनों कारखानों में श्रमिकों की कुल संख्या को 'बिजनेस लाइन' ने 7000 बताया है. मारुति-सुजुकी के गुडगाँव संयंत्र को भी इस चपेट में आने से रोकने के लिए ही कम्पनी प्रबन्धन ने शुक्रवार को छूती की घोषणा की है.
मारुति-सुजुकी के संघर्षरत श्रमिकों को पूरे गुडगाँव-मानेसर-धरुहेरा औद्योगिक पट्टी में मजदूरों और ट्रेड यूनियनों का व्यापक समर्थन हासिल है और उसने पूरे इलाके में संघर्ष की नयी चेतना का संचार कर दिया है. इस आन्दोलन का ही प्रभाव है कि ऑटो पार्ट्स का निर्माण करने वाली निकटवर्ती मुंजाल सोवा के 1200 अस्थायी मजदूर विगत 12 सितम्बर को काम करने की अमानवीय परिस्थितिओं और मालिकों की मनमर्जीपन के खिलाफ हड़ताल पर चले गए. उन्हें हरियाणा में लागू न्यूनतम वेतन से भी कम 4000 से 4500 रुपयों का वेतन दिया जाता था. मालिकों ने फैलते मजदूर आन्दोलन के डर से भयभीत होकर 13 सितम्बर की मध्यरात्रि को मजदूरों से समझौता कर लिया और उन्हें 125 श्रमिकों को तुरन्त स्थाई बनाने और शेष को तीन वर्षों के प्रशिक्षण के पश्चात स्थाई बनाने का वादा करने पर मजबूर होना पड़ा.
भारत में सबसे अधिक संख्या में कारों का निर्माण करनेवाली एक भीमकाय बहुराष्ट्रीय कम्पनी और उसके पीछे खड़ी केंद्र और राज्य सरकारों तथा पूरी राज्यसत्ता की शक्ति का मारुति-सुजुकी के ये नौजवान मजदूर जिस दृढ़ता और बहादूरी के साथ मुकाबला कर रहे है वह बेमिसाल है और उसीने आज पूरे सुजुकी समूह के कामगारों को एकजुट कर दिया है. लेकिन संघर्ष की यह डगर फिर भी कठिन है और उन्हें और अधिक समर्थन, सहयोग और एकजुटता की जरूरत है. हम सभी से उन्हें यह समर्थन और सहयोग मुहैया करने की अपील को एक बार फिर दोहराते हैं.
कल शुक्रवार 16 सितम्बर को गुडगाँव के कमला मार्केट में आयोजित गुडगाँव-मानेसर-धारूहेड़ा बेल्ट के सभी ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों की संयुक्त रैली से आन्दोलन को और गति, सहयोग और समर्थन हासिल होने की उम्मीद है.
-रेड ट्यूलिप