Thursday, September 8, 2011

अपील : मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों का हर तरह से सहयोग और समर्थन करें!

प्रिय साथी,


भारत में सबसे अधिक कारों का निर्माण करने वाली जापानी कम्पनी मारुति सुजुकी इण्डिया लि. के तानाशाहाना, दमनकारी और श्रमिकविरोधी रवैये के चलते उसके मानेसर स्थित संयंत्र के मजदूर एक बार पुनः संघर्ष के रास्ते पर उतरने को बाध्य हुए है।


मजदूरों द्वारा अपनी स्वतंत्र यूनियन की मांग पर मजबूती से कायम रहने के लिए उनको सबक सिखाने के उद्देश्य से फैक्टरी प्रबन्धन ने विगत 28 अगस्त को एकतरफा तौर पर "लाक आउट" कर दिया और 29 अगस्त की सुबह से मजदूरों के संयंत्र परिसर में प्रवेश करने पर यह शर्त लगा दिया कि सिर्फ वे मजदूर ही अन्दर जा सकते है जो प्रबन्धन द्वारा प्रस्तुत "अच्छे आचरण के करार" पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हों। उस करार पर हस्ताक्षर करने का अर्थ यह था कि मजदूर अपने सभी विधिसम्मत और मानवीय अधिकारों को खुद ही त्याग दें। स्वाभाविक तौर पर बहुसंख्यक मजदूरों ने उस करार पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया और फैक्टरी के बाहर धरने पर बैठ गए। कहने कि आवश्यकता नहीं कि कम्पनी कि यह कारर्वाई पूरी तरह गैरकानूनी है और कर्मचारियों पर " अच्छे आचरण का क़रार" थोपने को अदालत द्वारा "जबरदस्ती" और "बलप्रयोग' ठहराया जा चुका है।


आपने इस एकतरफा उकसावे कि कारर्वाई के पहले प्रबन्धन ने इसकी पूरी तैयारी कर ली थी. 28 अगस्त कि शाम से ही फैक्टरी परिसर को हरियाणा पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों ने घेर लिया था और उनकी निगरानी में संयंत्र परिसर को टीन की चादरों और बाँस -बल्लियों से घेर कर एक अभेद्य दुर्ग में तब्दील कर दिया गया। इसके पूर्व ही प्रबन्धन ने मजदूरों पर धीमे और कम काम करने, " गो स्लो" करने और तोड़फोड़ करने का आरोप लगाने की सारी कागजी खानापूरी कर रखी थी। इस सभी बातों से यह स्पष्ट है कि प्रबन्धन ने बदले की कारर्वाई की पूरी योजना बना रखी थी और हरियाणा सरकार की इसमें पूरी मिली भगत थी और उसके प्रशासन ने इस विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनी के भाड़े के टट्टू कि भूमिका निभाई।


अपने दमनचक्र को जारी रखते हुए फैक्टरी प्रबन्धन ने 29 अगस्त को बेबुनियाद और मनगड़ंत आरोपों पर 11 श्रमिकों को बर्खास्त और अन्य 10 श्रमिकों को निलम्बित कर दिया। अगले दिन 30 अगस्त को 28 अन्य श्रमिकों को भी निलंबित कर दिया गया। गैर कानूनी तरीके से निकले गए इन सभी 49 मजदूरों पर धीमे और कम काम करने, " गो स्लो" करने और तोड़फोड़ करने के बेबुनियाद आरोप लगाये गए है। बर्खास्त किये गए 11 मजदूर वही है जिन्हें विगत जून के 13 दिन कि हड़ताल के बाद हुए अंतरिम समझौते के तहत बहल करवाया गया था। दरअसल उस आन्दोलन में मजदूरों की जो आंशिक जीत हुई थी, उसका बदला लेने और मजदूरों को आखिरी सबक सिखाने के उद्देश्य से ही मारुति सुजुकी प्रबन्धन ने योजनाबद्ध तैयारी के साथ जानबूझ कर यह संकट खड़ा किया है और इसमें उन्हें पूरे पूँजीपति वर्ग, आटोमोबाइल उद्योग के मालिकन और राजसत्ता की पूरी ताकत का सहयोग और समर्थन हासिल है। ऐसे में यह जरुरी है कि मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों को हर तरह का सहयोग और समर्थन प्रदान किया जाय। पिछले बार के संघर्ष में जिस तरह उन्हें पुरे मानेसर गुडगाव इलाके के मजदूरों का समर्थन प्राप्त हुआ था उसी तरह का सहयोग और समर्थन ही अब उनके आन्दोलन को सफलता के मुकाम तक ले जा सकता है।


यह स्पष्ट है कि मारुति सुजुकी प्रबन्धन ने प्रशासन के साथ मिली भगत से सिर्फ मारुति में ही नहीं पूरे हरियाणा में उभरते हुए मजदूर आन्दोलन को पूरी तरह कुचल देने के उद्देश्य से बदले की कारर्वाई की यह साजिश रची है। अतः यह लड़ाई बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल मारुति कर्मचारियों के भविष्य का फैसला होने वाला है बल्कि, इस बात का भी फैसला होने वाला है कि न सिर्फ इस औद्योगिक क्षेत्र में बल्कि पूरे उत्तर भारत में भविष्य में मजदूरों को अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष करने और उसके लिए जरूरत के अनुसार संगठनों का निर्माण करने की इजाजत होगी कि नहीं। यह सिर्फ जनतांत्रिक अधिकारों को हासिल करने का सवाल नहीं है बल्कि, अतीत के संघर्षों से हासिल जनतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने का भी सवाल है। इस रूप में मारुति के नौजवान मजदूर सिर्फ अपने हकों की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं बल्कि, पूरे मजदूर वर्ग और आम जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी लड़ाई आज ऐसे मुकाम पर है कि उसे बहुत समझदारी और साहस के साथ आगे ले जाने के जरूरत है। इस काम में उन्हें हर बुद्धिजीवी, हर मजदूर, नौजवान के सहयोग और समर्थन की जरूरत है। हम सभी सामाजिक-राजनीतिक संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील और जनपक्षधर बुद्धिजीवियों और आम जनता से इन संघर्षरत मजदूरों को हर संभव सहयोग और समर्थन करने की अपील करते हैं।


हम प्रस्तावित करते हैं कि
1. हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और श्रममंत्री के पास मजदूरों के इस आंदोलन के समर्थन में अधिक से अधिक संख्या में ईमेल, पत्र और तार-फैक्स भेजें और भिजवाएं जाएँ।
2. अधिक से अधिक संख्या में मारुति सुजुकी गेट के सामने पहुंच कर धरने पर बैठे मजदूरों के प्रति अपने सहयोग और समर्थन का इजहार किया जाय।
3. इस आंदोलन, उसकी पृष्ठभूमि, आवश्यकता और प्रासंगिकता के बारे में अधिक से अधिक लोगों को सूचित किया और यदि सम्भव हो तो प्रचार अभियान चलाया जाय।
4. मजदूरों के लिए सहयोग और समर्थन जुटाने के लिए अपने-अपने इलाकों में बैठकें विचार-गोष्टियाँ और छोटी-बड़ी सभाएं आयोजित किया जाय।


कर्मचारी-प्रबंधन में बढ़ी तकरार
शर्मिष्ठा मुखर्जी / नई दिल्ली August 31,
देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) के मानेसर संयंत्र में प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच तकरार और तेज हो गई है। गुडग़ांव-मानेसर क्षेत्र के विभिन्न कर्मचारी संगठनों से जुड़े 5,000 कर्मचारी गुरुवार को मानेसर में कंपनी कार्यालय के सामने इकट्ठा होकर एकजुटता का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के सचिव डी एल सचदेवा ने कहा, 'मंगलवार को एक बैठक में यूनियनों ने फैसला किया था कि वे गुरुवार को अपनी एकता का प्रदर्शन करने के लिए मानेसर संयंत्र के कर्मचारियों के साथ मारुति के उस संयंत्र के सामने एकत्रित होंगे। मारुति के कर्मचारियों ने काम शुरू करने से पहले प्रबंधन के अच्छे आचरण के बॉन्ड पर दस्तखत नहीं करने का फैसला किया है।
सचदेवा ने कहा, 'गुडग़ांव-मानेसर क्षेत्र में 40 श्रमिक संगठन हैं। होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर इंडिया, सोना स्टीयरिंग, रिको ऑटो सहित सभी प्रमुख संगठनों ने प्रदर्शन में भाग लेने का फैसला किया है। इस बीच कंपनी ने अनुबंध आधार पर आईटीआई में प्रशिक्षित 120 कर्मचारियों को लाकर संयंत्र में उत्पादन चालू कर दिया है। इसके अलावा गुडग़ांव संयंत्र से 50 इंजीनियरों और 290 सुपरवाइजरों को बुलाकर मानेसर संयंत्र में काम पर लगा दिया गया है। संयंत्र में आज 60 वाहनों का उत्पादन किया गया। कम से कम 80 अनुबंधित कर्मचारियों को अभी ज्वॉइन
करना है।
एमएसआईएल के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमने आज सुबह मानेसर संयंत्र में उत्पादन शुरू कर दिया। सोमवार से उत्पादन बंद होने के बाद फैक्ट्री से आज पहली स्विफ्ट बनकर निकली। फिलहाल संयंत्र में उत्पादन के लिए 500 अनुभवी कर्मचारी उपलब्ध हैं, जिन्हें अगले कुछ दिनों में चरणबद्ध तरीके से काम पर लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिन में कंपनी ने अतिरिक्त मजदूरों की मदद से प्रेस, वेल्ड और पेंट क्षेत्र में काम शुरू करने की तैयारी की है। संयंत्र के ये विभाग काफी सक्रिय हैं।कंपनी द्वारा कर्मचारियों से मानेसर संयंत्र में प्रवेश से पहले 'अच्छे व्यवहार के बॉन्डÓ पर दस्तखत की मांग करने के बाद से सोमवार से उत्पादन पूरी तरह से ठप था। प्रबंधन ने जून के मध्य में 1,6000 मजदूरों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर बुलाई गई 13 दिन की हड़ताल के बाद से संयंत्र में काम की गुणवत्ता और निर्मित कारों की संख्या में गिरावट का आरोप लगाया था। प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक 40 स्थायी कर्मचारी बॉन्ड पर दस्तखत कर चुके हैं।
मंगलवार को एमएसआईएल ने 16 स्थायी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था और 12 प्रशिक्षुओं की सेवाएं जारी रखने से इनकार कर दिया था। इससे पहले बीते सोमवार को 21 अन्य कर्मचारियों को भी निलंबित किया जा चुका था। संयंत्र में वाहनों का उत्पादन लगातार दो दिनों तक बाधित रहा, जिससे कंपनी को 2,400 वाहनों की उत्पादन हानि हुई। इन वाहनों का कुल मूल्य 80 करोड़ रुपये था।

प्रधानमंत्री से गुहार लगाएंगे कर्मचारी
मारुति उद्योग के श्रमिकों और प्रबंधन के बीच आचार संहिता को लेकर जारी विवाद को सुलझाने के लिए श्रमिकों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के अध्यक्ष और सांसद गुरुदास दासगुप्ता ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री से कहा था कि वे हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्ïडा को इस विवाद के निपटारे के लिए कहे।
एटक के राष्टरीय सचिव डीएल सचदेवा ने कहा कि इसी मुद्ïदे को लेकर दासगुप्ता गुरुवार को दोबारा प्रधानमंत्री से मिलेंगे। मारुति के मानेसर संयंत्र 2 में कार्यरत कुल लगभग 1,000 नियमित कर्मचारियों में से 25 से 30 कर्मचारियों ने आचार संहिता पर हस्ताक्षर किए हैं।

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