नई दिल्ली, 3 जुलाई
महंगाई और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में बढोतरी के विरोध में 5 जुलाई को आयोजित विपक्ष प्रायोजित हड़ताल को सफल बनाने के लिए आज भाजपा, जद यू और वाम दलों ने अपने अपने मंचों से जनता से अपील की। हालांकि इस हड़ताल से राहत की उम्मीद करना बेमानी है और इसे राजनीतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखना चाहिए क्योंकि चाहे वाम हो या दक्षिण कोई भी दल महंगाई को नियंत्रित करने के पक्ष में नहीं है। फिर भी झूठा ही सही प्रतिरोध के हर प्रयास को समर्थन देना चाहिए क्योंकि इससे फिर भी उम्मीद तो बंधती ही है।
भाजपा ने 'भारत बंदÓ को सफल बनाने के लिए आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर अन्य सभी क्षेत्रों के सरकारी, गैर-सरकारी कर्मचारियों और श्रमिक, व्यापारिक तथा छात्र एवं नौजवान संगठनों से समर्थन की अपील की।
राजनीतिक दल भारत बंद को समर्थन देने के लिए विपक्षी दल देश के विभिन्न श्रमिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों तथा छात्र एवं नौजवान संगठनों से बातचीत कर रहे हैं।
वाम नेताओं ने एक संयुक्त अपील में शनिवार को कहा कि संप्रग सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ इस संघर्ष में समाज के हर तबके को आगे आना चाहिए। उन्होंने सभी ट्रेड यूनियनों, रिटेल व्यापारियों, बाजार संघों, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशनों, ट्रक एवं बस मालिकों, टैक्सियों और रिक्शा यूनियनों से हड़ताल में शामिल होने की अपील
की।
माकपा महासचिव प्रकाश करात, भाकपा महासचिव एबी बर्धन, फारवर्ड ब्लाक के महासचिव देवब्रत बिस्वास और आरएसपी के महासचिव टी जे चंद्रचूडन की ओर से यह अपील जारी की गई। वाम और भाजपा समर्थिक इस बंद का जद यू, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, सपा, बीजद, जद एस भी समर्थन कर रहे हैं। राजद और लोजपा ने इस मुद्दे पर 10 जुलाई को बिहार में बंद का ऐलान किया है जबकि बसपा ने अभी तक 5 जुलाई की हड़ताल में शामिल होने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। अजीत सिंह की रालोद ने भी इस मुददे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
वृन्दा करात ने कहा कि उस समय ऐसा देश हित में किया गया था ताकि लूट खसोट को समाप्त किया जा सके। दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि प्रधानमंत्री पूर्व के सबक को भूल गए हैं। हालांकि वृंदा ने यह नहीं बताया कि संप्रग के पहले कार्यकाल में महंगाई क्यों बढ़ी जबकि सरकार को वाम मोर्चे ने समर्थन दे रखा था।
उन्होंने कहा कि कीमत बढोतरी को लेकर संप्रग सरकार की ओर से दी जा रही दलील झूठी और गुमराह करने वाली है।
माकपा नेता दीपांकर मुखर्जी ने दावा किया कि कांग्रेस यह कहकर जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है कि बढोतरी सरकार ने की है और सत्ताधारी पार्टी का इसमें कोई हाथ नहीं है।
मुखर्जी के मुताबिक कांग्रेस की पत्रिका के संपादक ने कहा है कि केवल सोनिया गांधी ही इस गलत नीति को रोक सकती हैं लेकिन बच्चे को भी पता है कि प्रधानमंत्री सोनिया की मर्जी के बिना ऐसा निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। इस बढ़ोतरी के लिए पूरी कांग्रेस और उसका नेतृत्व जिम्मेदार है। वे आम आदमी की बात करते हैं लेकिन नीति खास आदमी की अपनाते हैं।
उन्होंने कहा कि मई 2009 में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 70 डालर प्रति बैरल या 21.43 रूपए प्रति लीटर थी। इस समय कच्चे तेल की कीमत 77 डालर प्रति बैरल या 22.13 रूपए प्रति लीटर है।
मुखर्जी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत में 70 पैसे प्रति लीटर की बढोतरी हुई है जबकि सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में कई गुना बढोतरी की है। पिछले छह महीने में सरकार ने पेट्रोल की कीमत 6.44 रूपए प्रति लीटर बढा दी, पिछले चार महीनों में डीजल की कीमत में 4.55 रूपए प्रति लीटर बढोतरी की और कैरोसिन की कीमत में तीन रूपए प्रति लीटर तथा रसोई गैस की कीमत में 35 रूपए प्रति सिलिण्डर के हिसाब से बढ़ोतरी की।
बाल श्रम,आत्महत्याएं,औद्योगिक दुर्घटनाएं
23 मार्च
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मारुति संघर्ष
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सज़ा
सिंगापुर
सेज
हड़ताल
Saturday, July 3, 2010
यह दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला है भाई- काम सरकारी पर वेतन भत्ते ठेके वाले
केन्द्रीय भंडार में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी नहीं
नई दिल्ली, 2 जुलाई
अपने जन विरोधी फरमानों के लिए कुख्यात दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निर्णय सुनाया कि केन्द्रीय भंडार में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया की हड़ताल को गैरकानूनी करार देने वाला फैसला भी इसी अदालत ने रातों रात दे दिया था। जबकि बांबे हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश देने से भी इनकार कर दिया था।
जज राजीव सहाय एण्डलॉ ने केन्द्रीय भंडार कर्मचारी संघ की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि उसके सदस्य सरकारी अधिकारियों के लिए काम करते हैं इसलिए उन्हें भी सरकारी कर्मचारी माना जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के लिए काम करना सरकार के लिए काम करने से अलग है। कर्मचारी संगठन ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी कि उसके सदस्यों को भी सरकारी कर्मचारियों की तरह वेतन मान भत्ता और अन्य सुविधाएं दी जाए।
अदालत ने कहा कि केन्द्रीय भंडार की स्थापना की पहल सरकार ने की केवल इसलिए उन्हें सरकारी कर्मचारी नहीं कहा जा सकता। उसने कर्मचारी संघ की यह दलील भी ठुकरा दी कि उसके कर्मचारियों को डिपार्टमेंटल कैन्टीन के कर्मचारियों की तरह माना जाय। उसने कहा कि केन्द्रीय भंडार के स्टोर डिपार्टमेंटल कैन्टीन से अलग हैं जिन्हें डिपार्टमेंट के परिसर में चलाया जाता है और जिसका लाभ डिपार्टमेंट के कर्मचारी के अलावा कोई अन्य नहीं ले सकता।
नई दिल्ली, 2 जुलाई
अपने जन विरोधी फरमानों के लिए कुख्यात दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निर्णय सुनाया कि केन्द्रीय भंडार में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया की हड़ताल को गैरकानूनी करार देने वाला फैसला भी इसी अदालत ने रातों रात दे दिया था। जबकि बांबे हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश देने से भी इनकार कर दिया था।
जज राजीव सहाय एण्डलॉ ने केन्द्रीय भंडार कर्मचारी संघ की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि उसके सदस्य सरकारी अधिकारियों के लिए काम करते हैं इसलिए उन्हें भी सरकारी कर्मचारी माना जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के लिए काम करना सरकार के लिए काम करने से अलग है। कर्मचारी संगठन ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी कि उसके सदस्यों को भी सरकारी कर्मचारियों की तरह वेतन मान भत्ता और अन्य सुविधाएं दी जाए।
अदालत ने कहा कि केन्द्रीय भंडार की स्थापना की पहल सरकार ने की केवल इसलिए उन्हें सरकारी कर्मचारी नहीं कहा जा सकता। उसने कर्मचारी संघ की यह दलील भी ठुकरा दी कि उसके कर्मचारियों को डिपार्टमेंटल कैन्टीन के कर्मचारियों की तरह माना जाय। उसने कहा कि केन्द्रीय भंडार के स्टोर डिपार्टमेंटल कैन्टीन से अलग हैं जिन्हें डिपार्टमेंट के परिसर में चलाया जाता है और जिसका लाभ डिपार्टमेंट के कर्मचारी के अलावा कोई अन्य नहीं ले सकता।
सड़कों पर सार्वजनिक सभा पर प्रतिबंध के खिलाफ सरकार करेगी अपील : अच्युतानंदन
तिरूवनंतपुरम, 2 जुलाई
केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने केरल हाईकोटर् के उस हालिया निर्णय के कार्यान्वयन को 'अव्यावहारिकÓ बताया जिसमें सड़क पर होने वाली जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया है। उल्लेखनीय है कि केरल हाईकोर्ट ने 23 जून को एक जनहित याचिका के आधार पर, सड़कों पर होने वाली सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अच्युतानंदन ने कहा कि सरकार इस निर्णय के खिलाफ अपील करने पर विचार करेगी। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि ऐसा कोई महत्वपूर्ण आदेश जारी करने से पहले न्यायालय को सरकार और राजनीतिक दलों के विचार सुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अदालतों का बड़ा सम्मान करती है।
यूपी विद्युत निगम की सभी सेवाओं में हड़ताल पर छह माह के लिए प्रतिबंध
लखनऊ, 2 जुलाई
उत्तर प्रदेश सरकार ने आवश्यक सेवाओं के अनुरक्षण अधिनियम के तहत लोकहित में उूर्जा विभाग के अधीन सभी विद्युत निगमों की समस्त सेवाओं में तत्काल प्रभाव से छह माह के लिए हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
गृह विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने जिन विद्युत निगमों में हड़ताल पर रोक लगाई है, उनमें यूपी पावर कारपोरेशन, राज्य विद्युत उत्पादन निगम, उप्र जल विद्युत निगम, पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन, केस्को, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लखनऊ, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम, मेरठ तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, आगरा शामिल हैं। इस आदेश के बाद कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। कर्मचारियों ने इसे उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार का तानाशाही फरमान करार दिया है।
केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने केरल हाईकोटर् के उस हालिया निर्णय के कार्यान्वयन को 'अव्यावहारिकÓ बताया जिसमें सड़क पर होने वाली जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया है। उल्लेखनीय है कि केरल हाईकोर्ट ने 23 जून को एक जनहित याचिका के आधार पर, सड़कों पर होने वाली सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अच्युतानंदन ने कहा कि सरकार इस निर्णय के खिलाफ अपील करने पर विचार करेगी। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि ऐसा कोई महत्वपूर्ण आदेश जारी करने से पहले न्यायालय को सरकार और राजनीतिक दलों के विचार सुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अदालतों का बड़ा सम्मान करती है।
यूपी विद्युत निगम की सभी सेवाओं में हड़ताल पर छह माह के लिए प्रतिबंध
लखनऊ, 2 जुलाई
उत्तर प्रदेश सरकार ने आवश्यक सेवाओं के अनुरक्षण अधिनियम के तहत लोकहित में उूर्जा विभाग के अधीन सभी विद्युत निगमों की समस्त सेवाओं में तत्काल प्रभाव से छह माह के लिए हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
गृह विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने जिन विद्युत निगमों में हड़ताल पर रोक लगाई है, उनमें यूपी पावर कारपोरेशन, राज्य विद्युत उत्पादन निगम, उप्र जल विद्युत निगम, पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन, केस्को, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लखनऊ, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम, मेरठ तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, आगरा शामिल हैं। इस आदेश के बाद कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। कर्मचारियों ने इसे उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार का तानाशाही फरमान करार दिया है।
अमेरिका से कारोबार घटने के डर से बाल श्रमिकों के 'दोस्तÓ बने निर्यातक
नई दिल्ली, 2 जुलाई
अमेरिकी जनरल स्टोरों ने बाल श्रमिकों के इस्तेमाल के लिए भारतीय कपड़ा निर्यातकों को पिछले साल काली सूची में डाला
वॉल-मार्ट, जेसी पेनी और जीएपी जैसे बड़े अमेरिकी स्टोरों द्वारा अपना बहिष्कार किए जाने की आशंका से अब भारत के कपड़ा निर्यातक बाल श्रमिकों के 'दोस्तÓ बन रहे हैं। कपड़ा निर्यातकों ने दिखावे के लिए ही सही 46,000 करोड़ रुपए के परिधान उद्योग से बाल श्रम को खत्म करने के लिए संहिता बनाई है।
कपड़ा निर्यातकों के शीर्ष संगठन परिधान निर्यात संवद्र्धन परिषद (एईपीसी) ने अपने सदस्यों के बीच 'कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैंÓ के बारे में मसौदा संहिता वितरित की है। एईपीसी ने कहा कि अगले दो माह में यह संहिता पूरी तरह तैयार हो जाएगी।
परिषद ने कहा कि परिधान निर्यातकों से पर्यावरण अनुकूल तौर तरीके अपनाने को भी कहा गया है। निर्यातकों के बीच ऐसी आशंका है कि अमेरिका का श्रम विभाग लगातार दूसरे साल भारत को ऐसा देश करार दे सकता है जहां कपड़ा विनिर्माण में बाल श्रमिकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
यदि किसी देश को अमेरिकी श्रम विभाग की एग्जिक्यूटिव आर्डर 13126 सूची (ईओएल) तथा ट्रैफिकिंग विक्टिम प्रोटेक्शन रीआथोराइजेशन (टीवीपीआरए) सूची में डाला जाता है तो यह माना जाता है कि अमुक देश में बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। पिछले साल भारत को इन दोनों सूचियों में डाला गया था।
अब एईपीसी ने कपड़ा मंत्रालय के साथ मिलकर वाशिंगटन की लॉबिस्ट फर्म सिडले आस्टिन एलएलपी की सेवाएं ली हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। कैलेंडर साल 2009 में भारत का कुल परिधान निर्यात 10 अरब डालर का रहा था। इसमें से 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी अमेरिका की रही थी।
अमेरिकी जनरल स्टोरों ने बाल श्रमिकों के इस्तेमाल के लिए भारतीय कपड़ा निर्यातकों को पिछले साल काली सूची में डाला
वॉल-मार्ट, जेसी पेनी और जीएपी जैसे बड़े अमेरिकी स्टोरों द्वारा अपना बहिष्कार किए जाने की आशंका से अब भारत के कपड़ा निर्यातक बाल श्रमिकों के 'दोस्तÓ बन रहे हैं। कपड़ा निर्यातकों ने दिखावे के लिए ही सही 46,000 करोड़ रुपए के परिधान उद्योग से बाल श्रम को खत्म करने के लिए संहिता बनाई है।
कपड़ा निर्यातकों के शीर्ष संगठन परिधान निर्यात संवद्र्धन परिषद (एईपीसी) ने अपने सदस्यों के बीच 'कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैंÓ के बारे में मसौदा संहिता वितरित की है। एईपीसी ने कहा कि अगले दो माह में यह संहिता पूरी तरह तैयार हो जाएगी।
परिषद ने कहा कि परिधान निर्यातकों से पर्यावरण अनुकूल तौर तरीके अपनाने को भी कहा गया है। निर्यातकों के बीच ऐसी आशंका है कि अमेरिका का श्रम विभाग लगातार दूसरे साल भारत को ऐसा देश करार दे सकता है जहां कपड़ा विनिर्माण में बाल श्रमिकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
यदि किसी देश को अमेरिकी श्रम विभाग की एग्जिक्यूटिव आर्डर 13126 सूची (ईओएल) तथा ट्रैफिकिंग विक्टिम प्रोटेक्शन रीआथोराइजेशन (टीवीपीआरए) सूची में डाला जाता है तो यह माना जाता है कि अमुक देश में बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। पिछले साल भारत को इन दोनों सूचियों में डाला गया था।
अब एईपीसी ने कपड़ा मंत्रालय के साथ मिलकर वाशिंगटन की लॉबिस्ट फर्म सिडले आस्टिन एलएलपी की सेवाएं ली हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। कैलेंडर साल 2009 में भारत का कुल परिधान निर्यात 10 अरब डालर का रहा था। इसमें से 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी अमेरिका की रही थी।
रेहड़ीवालों और कचरा बीनने वालों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने पर हो रहा है विचार
चंडीगढ़, 2 जुलाई
केंद्र सरकार गरीबों को लॉलीपाप देने जा रही है। अब उसके अगले निशाने पर रिक्शा चालक, रेहड़ी वाले, कचरा बीनने वाले लोग हैं। उम्मीद है नरेगा की तहत इसमें भी खुलकर लालफीताशाही चलेगी।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह गरीब परिवारों के लिए शुरू की गई अपनी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ आटो रिक्शा चालकों, रिक्शा चालकों, रेहड़ीवालों और कचरा बीनने वालों को भी देने पर विचार कर रही है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ चरणबद्ध तरीके से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कुछ तबकों को भी देने का प्रयास कर रही है। इस स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है।
इस बीमा योजना पर राष्ट्रीय कार्यशाला से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मंत्री ने कहा कि सरकार आरएसबीवाई का लाभ चार श्रेणियों के लोगों को देने को उत्सुक हैं। इनमें आटो रिक्शा चालक, रिक्शा चालक, रेहड़ी वाले और कचरा चुनने वाले लोग शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने एक कार्यबल का गठन किया है ताकि इस बात को तय किया जा सके कि कैसे इन चार श्रेणियों को शामिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारा अंतरविभागीय कार्यबल तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पहले ही इस योजना का लाभ मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों और भवन निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों को देने का फैसला किया है।
खडग़े ने कहा, ''एक कार्यबल ने 45 लाख घरेलू श्रमिकों को आरएसबीवाई में शामिल करने की अनुशंसा की है। उसके प्रस्ताव को मंजूरी के लिए शीघ्र की मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा।ÓÓ
आरएसबीवाई के तहत 22 राज्यों के 1.66 करोड़ परिवारों को पहले ही इसके दायरे में लिया जा चुका है।
इस योजना के लाभ पाने वाले व्यक्ति 4500 से अधिक अस्पतालों में बीमारी होने पर भर्ती किए जाने पर अस्पताल में लगे खर्चे के तौर पर 30 हजार रुपया पाने के हकदार हैं। इस बीमा की प्रीमियम राशि को केंद्र और राज्य सरकारें क्रमश: 75 और 25 फीसदी वहन करेंगी।
केंद्र सरकार गरीबों को लॉलीपाप देने जा रही है। अब उसके अगले निशाने पर रिक्शा चालक, रेहड़ी वाले, कचरा बीनने वाले लोग हैं। उम्मीद है नरेगा की तहत इसमें भी खुलकर लालफीताशाही चलेगी।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह गरीब परिवारों के लिए शुरू की गई अपनी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ आटो रिक्शा चालकों, रिक्शा चालकों, रेहड़ीवालों और कचरा बीनने वालों को भी देने पर विचार कर रही है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ चरणबद्ध तरीके से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कुछ तबकों को भी देने का प्रयास कर रही है। इस स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है।
इस बीमा योजना पर राष्ट्रीय कार्यशाला से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मंत्री ने कहा कि सरकार आरएसबीवाई का लाभ चार श्रेणियों के लोगों को देने को उत्सुक हैं। इनमें आटो रिक्शा चालक, रिक्शा चालक, रेहड़ी वाले और कचरा चुनने वाले लोग शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने एक कार्यबल का गठन किया है ताकि इस बात को तय किया जा सके कि कैसे इन चार श्रेणियों को शामिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारा अंतरविभागीय कार्यबल तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पहले ही इस योजना का लाभ मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों और भवन निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों को देने का फैसला किया है।
खडग़े ने कहा, ''एक कार्यबल ने 45 लाख घरेलू श्रमिकों को आरएसबीवाई में शामिल करने की अनुशंसा की है। उसके प्रस्ताव को मंजूरी के लिए शीघ्र की मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा।ÓÓ
आरएसबीवाई के तहत 22 राज्यों के 1.66 करोड़ परिवारों को पहले ही इसके दायरे में लिया जा चुका है।
इस योजना के लाभ पाने वाले व्यक्ति 4500 से अधिक अस्पतालों में बीमारी होने पर भर्ती किए जाने पर अस्पताल में लगे खर्चे के तौर पर 30 हजार रुपया पाने के हकदार हैं। इस बीमा की प्रीमियम राशि को केंद्र और राज्य सरकारें क्रमश: 75 और 25 फीसदी वहन करेंगी।
Friday, July 2, 2010
चार मजदूर करंट से झुलसे
वाराणसी 2 जुलाई
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के कैण्ट थाना क्षेत्र में निर्माणाधीन पाण्डेयपुर फ्लाईओवर के समीप कार्यरत चार मजदूर करण्ट से झुलस गए। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कार्यदाई संस्था एनकेजी के सुपरवाइजर ने बताया कि पिलर नम्बर 11 पर पायलिंग चल रही थी तभी तार में बिजली करण्ट आ जाने से मुस्तफा (19) अकरम, (35) मोवर जहां (29) व शाहजहां (25) बुरी तरह झुलस गए। उन्हें तत्काल पास ही स्थित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के कैण्ट थाना क्षेत्र में निर्माणाधीन पाण्डेयपुर फ्लाईओवर के समीप कार्यरत चार मजदूर करण्ट से झुलस गए। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कार्यदाई संस्था एनकेजी के सुपरवाइजर ने बताया कि पिलर नम्बर 11 पर पायलिंग चल रही थी तभी तार में बिजली करण्ट आ जाने से मुस्तफा (19) अकरम, (35) मोवर जहां (29) व शाहजहां (25) बुरी तरह झुलस गए। उन्हें तत्काल पास ही स्थित पण्डित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
Thursday, July 1, 2010
पेपर मिल में काम कर रहे चार मजदूर बेहोश
मेरठ 30 june
जानी थाना क्षेत्र में बागपत रोड पर स्थित एक पेपर मिल में मंगलवार को काम कर रहे चार मजदूर बेहोश हो गए। इन्हें केएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बागपत रोड पर सुमित एग्रो पेपर मिल है। वहां शट डाउन के दौरान चार मजदूर किशन, देवेन्द्र, सुनील और अरविन्द मरम्मत का काम कर रहे थे। दो मजदूर चैंबर में उतरे तो उनको चक्कर आने लगे। उनके शोर मचाने पर बाकी के दो मजदूर भी नीचे उतरे तो वो भी बेहोश होकर गिर गए। चारों को नीचे फंसा देख आसपास मौजूद दूसरे मजदूरों ने शोर मचाया। इसके बाद उन्हें बाहर निकाला। मिल प्रबंधन के लोग भी पहुंच गए। चारों मजदूरों को तुरंत केएमसी अस्पताल में लाया गया, जहां पर उन्हें वेन्टीलेटर पर रखा गया है। मजदूरों का कहना था कि नीचे गैस बन रही थी, जिसकी वजह से हादसा हुआ। वहीं मिल प्रबंधन की ओर से रवि प्रकाश का कहना है कि मिल बंद है। ऐसे में गैस बनने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
जानी थाना क्षेत्र में बागपत रोड पर स्थित एक पेपर मिल में मंगलवार को काम कर रहे चार मजदूर बेहोश हो गए। इन्हें केएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बागपत रोड पर सुमित एग्रो पेपर मिल है। वहां शट डाउन के दौरान चार मजदूर किशन, देवेन्द्र, सुनील और अरविन्द मरम्मत का काम कर रहे थे। दो मजदूर चैंबर में उतरे तो उनको चक्कर आने लगे। उनके शोर मचाने पर बाकी के दो मजदूर भी नीचे उतरे तो वो भी बेहोश होकर गिर गए। चारों को नीचे फंसा देख आसपास मौजूद दूसरे मजदूरों ने शोर मचाया। इसके बाद उन्हें बाहर निकाला। मिल प्रबंधन के लोग भी पहुंच गए। चारों मजदूरों को तुरंत केएमसी अस्पताल में लाया गया, जहां पर उन्हें वेन्टीलेटर पर रखा गया है। मजदूरों का कहना था कि नीचे गैस बन रही थी, जिसकी वजह से हादसा हुआ। वहीं मिल प्रबंधन की ओर से रवि प्रकाश का कहना है कि मिल बंद है। ऐसे में गैस बनने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
Tuesday, June 29, 2010
यूनियन कार्बाइड कचरा निपटाने का दावा करने वाली फैक्ट्री में दुघर्टना
सात मजदूर बीमार
-राज्य सरकार ने 350 टन कचरा नष्ट करने की बनाई योजना
पहले भी इसी फैक्ट्री में नष्ट किया गया है 34 टन यूनियन कार्बाइड का कचरा
इंदौर, एजेंसी
मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर के पास स्थित पीथमपुर के विशेष औद्योगिक क्षेत्र में एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में हादसे से सात मजदूरों के बीमार पडऩे के बाद गैर सरकारी संगठनों ने वहां यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का जहरीला कचरा नष्ट करने की योजना का विरोध तेज कर दिया है।
हालांकि इस इकाई को चलाने वाली कंपनी रामकी इंवायरो इंजीनियर्स ने दावा किया है कि वह विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी के लिए बदनाम फैक्टरी के जहरीले कचरे के सुरक्षित निपटारे में न केवल सक्षम है, बल्कि इस काम में विशेषज्ञता रखती है। इंदौर से करीब 25 किलोमीटर दूर विशेष आर्थिक जोन (सेज) पीथमपुर में मध्यप्रदेश अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना की इकाई में भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के करीब 350 टन जहरीले कचरे को जलाया जाना प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्तावित है। भोपाल गैस कांड पर केंद्र सरकार के गठित मंत्रिमंडलीय समूह ने भी अपनी अनशुंसा में इस प्रस्तावित कदम को एक तरह से हरी झंडी दे दी है।
हैदराबाद स्थित रामकी इंवायरो इंजीनियर्स के निदेशक केएसएम राव ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा, 'यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा कब जलाया जाएगा, इस बारे में अंतिम फैसला प्रदेश सरकार को करना है। लेकिन हम पीथमपुर स्थित औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई की भट्ठी में इस कचरे को जलाकर नष्ट करने की पूरी क्षमता और विशेषज्ञता रखते हैं।Ó हालांकि हालिया दुर्घटना ने एक और भोपाल गैस कांड की आशंका को और बल दे दिया है।
कुछ गैर सरकारी संगठनों ने आरोप लगाया है क इस भट्ठी में अभी वे सुविधाएं नहीं हैं, जो इस घातक कचरे के निपटारे के वक्त इंसानी आबादी और आबोहवा की हिफाजत पक्की करने को जरूरी हैं।
राव ने बताया कि पीथमपुर स्थित औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में कोई दो साल पहले यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का करीब 34 टन कचरा दफनाया गया था।
इस इकाई से करीब 500 मीटर के फासले पर तारपुरा नाम का गांव बसा है। गांववालों की शिकायत है कि औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड का कचरा दफनाए जाने के बाद आसपास के इलाके में भूमिगत जल प्रदूषित हो गया है।
इस बारे में पूछे जाने पर राव ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अब तक हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे यह पुष्टि होती हो कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा दफनाए जाने से वहां भूमिगत जल प्रदूषित हुआ हो।
गांव के इतने पास औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई के संचालन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसके लिए जगह का चयन प्रदेश सरकार ने किया था।
सूचना के अनुसार 25 जून को इकाई में 7 मजदूरों की तबियत बिगड़ गई थी। लेकिन कंपनी ने दावा किया है कि गर्मी व उमस भरे मौसम में ऑटोमोबाइल फैक्टरी से निकले गंदे व गाढ़े तरल पदार्थ और दूसरे औद्योगिक अपशिष्ट में मौजूद थिनर के संपर्क में आने पर बिगड़ी थी।
गैर सरकारी संगठन लोक मैत्री के डॉ. भरत छापरवाल ने कहा, 'पर्यावरण और मानवीय आबादी के सुरक्षा उपायों की अनदेेखी करते हुए पीथमपुर स्थित भट्ठी में यूनियन कार्बाइड के घातक अपशिष्ट को जलाने की दिशा में कदम बढ़ाने की कोशिश हो रही है। इसके विरोध में हम अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं।Ó
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में पीथमपुर स्थित भट्ठी में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाया गया तो यह जन स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ होगा, क्योंकि वहां इस घातक कचरे के सुरक्षित निपटारे के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं हैं।
नोटः आपके पास भी मजदूरों से संबंधित कोई खबर को हो तो मजदूरनामा ब्लाग पर प्रकाशित करने के लिए mazdoornama@gmail.com पर ईमेल करें। मजदूरनामा टीम
१ जुलाई को अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन का चंडीगढ़ में होगा सम्मेलन
-अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रतिनिधियों के अलावा कई स्वयंसेवी संगठन भी लेंगे भाग
-तमिलनाडु, मध्यप्रदेश व आंध्र के श्रम अधिकारी भी लेंगे हिस्सा
चंडीगढ़, 29 जून
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के हालात व बंधुआ मजदूरों के भविष्य पर विचार-विमर्श के लिए 1 जुलाई को चंडीगढ़ में होने जा रही कांफ्रेंस में होगा। इसमें अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की तरफ से जेनेवा से एक तथा भारत में रह रहे तीन प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनके अलावा केंद्रीय श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ, मानवाधिकार आयोग, दूसरे राज्यों से श्रम अधिकारी, बीमा कंपनी तथा स्वयंसेवी संगठन भी शामिल होंगे।
अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के तत्वावधान में जेनेवा में 2 से 18 जून तक आयोजित कांफ्रेंस में बंधुआ मजदूरी पर विचार किया गया था। उसकी अगली कड़ी में चंडीगढ़ में यह सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इसमें हरियाणा के साथ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, झारखंड तथा मध्यप्रदेश हिस्सा लेने जा रहे है। सम्मेलन की अध्यक्षता हरियाणा के श्रम मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह करेंगे। इसमें भागीदारी करने वाले सभी राज्य अपने अपने यहां काम करने वाले बंधुआ मजदूरों के हालात सुधारने के लिए बनाई योजनाओं को सामने रखेंगे। केंद्रीय श्रम विभाग मानता है कि तमिलनाडु में भट्ठे पर काम करने वाले मजदूरों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। हालांकि यहां श्रमकानूनों की काफी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
हरियाणा के श्रम आयुक्त अनुपम मलिक ने दावा जताया कि हरियाणा ने इस दिशा में अनुकरणीय काम किया है। मजदूरों के बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं तो उनके परिवार के स्वास्थ्य के लिए बीमा योजना चल रही हों। उनका कहना है कि हरियाणा और तमिलनाडु के हालात में काफी फर्क है इसलिए वहां का ढांचा यहां लागू नहीं किया जा सकता। यह दीगर बात है कि हरियाणा में प्रवासी मजदूरों की हालत किसी से छिपी नहीं है। दो महीने पहले पानीपत के कालीन उद्योग के 10 हजार मजदूरों ने सप्ताह भर तक हड़ताल की थी उसके बावजदू प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगी।
-तमिलनाडु, मध्यप्रदेश व आंध्र के श्रम अधिकारी भी लेंगे हिस्सा
चंडीगढ़, 29 जून
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के हालात व बंधुआ मजदूरों के भविष्य पर विचार-विमर्श के लिए 1 जुलाई को चंडीगढ़ में होने जा रही कांफ्रेंस में होगा। इसमें अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की तरफ से जेनेवा से एक तथा भारत में रह रहे तीन प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनके अलावा केंद्रीय श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ, मानवाधिकार आयोग, दूसरे राज्यों से श्रम अधिकारी, बीमा कंपनी तथा स्वयंसेवी संगठन भी शामिल होंगे।
अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के तत्वावधान में जेनेवा में 2 से 18 जून तक आयोजित कांफ्रेंस में बंधुआ मजदूरी पर विचार किया गया था। उसकी अगली कड़ी में चंडीगढ़ में यह सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इसमें हरियाणा के साथ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, झारखंड तथा मध्यप्रदेश हिस्सा लेने जा रहे है। सम्मेलन की अध्यक्षता हरियाणा के श्रम मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह करेंगे। इसमें भागीदारी करने वाले सभी राज्य अपने अपने यहां काम करने वाले बंधुआ मजदूरों के हालात सुधारने के लिए बनाई योजनाओं को सामने रखेंगे। केंद्रीय श्रम विभाग मानता है कि तमिलनाडु में भट्ठे पर काम करने वाले मजदूरों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। हालांकि यहां श्रमकानूनों की काफी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
हरियाणा के श्रम आयुक्त अनुपम मलिक ने दावा जताया कि हरियाणा ने इस दिशा में अनुकरणीय काम किया है। मजदूरों के बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं तो उनके परिवार के स्वास्थ्य के लिए बीमा योजना चल रही हों। उनका कहना है कि हरियाणा और तमिलनाडु के हालात में काफी फर्क है इसलिए वहां का ढांचा यहां लागू नहीं किया जा सकता। यह दीगर बात है कि हरियाणा में प्रवासी मजदूरों की हालत किसी से छिपी नहीं है। दो महीने पहले पानीपत के कालीन उद्योग के 10 हजार मजदूरों ने सप्ताह भर तक हड़ताल की थी उसके बावजदू प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगी।
टाटा स्टील में ठेका श्रमिकों का गुस्सा फूटा
कई गाड़यां आग के हवाले कीं
लंबे समय से पनप रहा था गुस्सा, ठेका मजदूर को निकालने का मामला
जमशेदपुर,28 जून
टाटा स्टील के एक ठेका मजदूर की कंपनी के सुरक्षाकर्मियों द्वारा मामूली बात पर पिटाई किए जाने से सोमवार को ठेका मजदूरों में गुस्से की लहर दोड़ गई। ठेका मजदूरों ने जब सुरक्षाकर्मियों के इस कृत्य का विरोध किया तो उन पर लाठियां भाजी गईं जिससे गुस्साए मजदूरों ने डेढ़ दर्जन गाडियों को आग के हवाले कर दिया। कंपनी का साकची एल टाउन गेट घंटे भर के लिए ठेका मजदूरों व सुरक्षा जवानों के बीच जंग का मैदान बना रहा। सुरक्षा बलों द्वारा बल प्रयोग से आक्रोशित मजदूरों का धैर्य और टूट गया और उन्होंने कई सुरक्षाकर्मियों की पिटाई कर दी। पुलिस ने एक दर्जन से अधिक ठेका मजदूरों को हिरासत में लिया है। साकची गेट पर रैफ की तैनाती कर दी गई है।
जानकारी के अनुसार, टाटा स्टील के एल टाऊन गेट पर सोमवार को सुबह आठ बजे के करीब ठेकाकर्मियों की कंपनी के भीतर घुसने के लिए लिए रोजाना की तरह लंबी कतार लगी थी। इसी बीच एलएंडटी नामक ठेका कंपनी के एक कर्मचारी के गेटपास इंट्री के समय रेड सिग्नल आ गया। इसपर वहां तैनात कंपनी के गार्ड ने उसे रोक दिया और अंदर जाने पर रोक लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इस बात को लेकर ठेकाकर्मियों और सुरक्षा गार्डों में तू-तू मैं मैं होने लगी। इसी बीच उस कर्मचारी को गार्ड समरेश सिंह ने थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद लाइन में लगे ठेकाकर्मियों ने विद्रोह कर दिया और गार्डों की जमकर धुनाई कर दी।
बताया जाता है कि ठेका श्रमिकों पर गार्डों द्वारा अक्सर ही मामूली बातों पर हमला किया जाता रहा है। यह आक्रोश बहुत पहले से ही पनप रहा था। सोमवार को हुई घटना ने चिंगारी का काम किया।
मौके पर पुलिस के पहुंचने पर उग्र ठेकाकर्मियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। आखिर पुलिस को मौके से भागना पड़ा। भीड़ ने बिष्टुपुर व साकची थाने की जीप को आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा गेट के बाहर और भीरत खड़े कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। ठेका कर्मियों को काबू करने के लिए पहुंचे डीएसपी, पीसीआर डीएसपी, सिटी डीएसपी, सिटी एसपी आदि को उलटे पांव पीछे हटना पड़ा।
कुछ समय बाद दलबल के साथ पहुंचे एसएसपी पर भी ठेका मजदूरों ने पथराव कर दिया। पुलिस ने हवाई फायरिंग कर दी। इससे पुलिस गेट तक पहुंच गई। यहां जो भी ठेकाकर्मचारी पकड़ा गया, उसकी जमकर लाठियों से पिटाई की गई। एक दर्जन से अधिक ठेका मजदूरों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
उधर कंपनी प्रबंधन का कहना है कि यह घटना कुछ लोगों के कंपनी में जबरन घुसने की वजह से हुई। टाटा स्टील के हेड (कारपोरेट अफेयर्स एंड कम्युनिकेशन) प्रभात शर्मा द्वारा जारी सूचना के अनुसार, कंपनी में नियमित गेट पास चेकिंग के दौरान कुछ ठेका श्रमिक कंपनी में जबरन घुसना चाह रहे थे। इस घटना को जिला प्रशासन व पुलिस ने अपनी तत्परता से तत्काल नियंत्रित कर लिया। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और कंपनी में सामान्य ढंग से उत्पादन हो रहा है।
कंपनी ने पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर स्थायी मजदूरों की छंटनी और वीआरएस देकर ठेका मजदूरों से काम करवाना शुरू कर दिया है। इसकी बड़ी वजह ठेका मजदूरों का सस्ता होना है। चूंकी ठेका मजदूरों को कभी भी कंपनी से चलता कर दिया जाता है इसलिए उनमें काफी गुस्सा भरा हुआ है। उनके साथ केवल मजदूरी में ही दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं होता है बल्कि कंपनी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों द्वारा बुरा बर्ताव किया जाता है। हालांकि ठेका मजदूर संगठित नहीं हैं लेकिन फिर भी वे समय समय पर अपना प्रतिरोध दर्ज कराते रहते हैं।
Monday, June 28, 2010
यूनियन कार्यालय में लगे ताले खोलने का एयर इंडिया प्रबंधन को निर्देश
एयर इंडिया प्रबंधन की तानाशाही को तमाचा
अदालत ने एयर इंडिया प्रबंधन से मांगा स्पष्टीकरण
नई दिल्ली, 28 जून
श्रमिक हड़ताल को तोड़ने के लिए असंवैधानिक रूप से और तानाशाही रुख अख्तियार करते हुए एक महीने पहले जब एयर इंडिया प्रबंधन ने दो कर्मचारी यूनियनों के कार्यालयों को ताबड़तोड़ सील कर दिया था उसे उम्मीद थी कि जिस हाईकोर्ट ने उसे हड़ताल पर स्टे दिया था, कार्यालय सील करने की करतूत को सही ठहरा देगा। लेकिन तानाशाह और नकारा प्रबंधन को मुंह की खानी पड़ी। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एयर इंडिया को निर्देश दिया कि कर्मचारी यूनियन के कार्यालयों में लगे ताले खोल दिए जाएं।
कर्मचारियों ने करीब एक महीना पहले हड़ताल की थी और उसी दौरान यूनियन के कार्यालयों में ताले जड़ दिए गए थे।
हड़ताल पर जाने की वजह से यूनियन की मान्यता समाप्त करने के फैसले पर अदालत ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी से स्पष्टीकरण भी मांगा है। न्यायमूर्ति एम सी गर्ग की अगुवाई वाली अवकाश पीठ ने प्रबंधन से सात जुलाई तक जवाब देेने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी।
एयर एंडिया ने 27 मई को हड़ताल पर जाने के कारण 58 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था और उनके संघ एयर कार्पोरेशन एम्पलाईज यूनियन की मान्यता रद्द कर दी थी। इस कार्वाई के खिलाफ देशभऱ में एयर इंडिया प्रबंधन की आलोचना हुई थी।
नोटः आपके पास भी मजदूरों से संबंधित कोई खबर को हो तो मजदूरनामा ब्लाग पर प्रकाशित करने के लिए mazdoornama@gmail.com पर ईमेल करें। मजदूरनामा टीम
अदालत ने एयर इंडिया प्रबंधन से मांगा स्पष्टीकरण
नई दिल्ली, 28 जून
श्रमिक हड़ताल को तोड़ने के लिए असंवैधानिक रूप से और तानाशाही रुख अख्तियार करते हुए एक महीने पहले जब एयर इंडिया प्रबंधन ने दो कर्मचारी यूनियनों के कार्यालयों को ताबड़तोड़ सील कर दिया था उसे उम्मीद थी कि जिस हाईकोर्ट ने उसे हड़ताल पर स्टे दिया था, कार्यालय सील करने की करतूत को सही ठहरा देगा। लेकिन तानाशाह और नकारा प्रबंधन को मुंह की खानी पड़ी। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एयर इंडिया को निर्देश दिया कि कर्मचारी यूनियन के कार्यालयों में लगे ताले खोल दिए जाएं।
कर्मचारियों ने करीब एक महीना पहले हड़ताल की थी और उसी दौरान यूनियन के कार्यालयों में ताले जड़ दिए गए थे।
हड़ताल पर जाने की वजह से यूनियन की मान्यता समाप्त करने के फैसले पर अदालत ने सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी से स्पष्टीकरण भी मांगा है। न्यायमूर्ति एम सी गर्ग की अगुवाई वाली अवकाश पीठ ने प्रबंधन से सात जुलाई तक जवाब देेने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी।
एयर एंडिया ने 27 मई को हड़ताल पर जाने के कारण 58 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था और उनके संघ एयर कार्पोरेशन एम्पलाईज यूनियन की मान्यता रद्द कर दी थी। इस कार्वाई के खिलाफ देशभऱ में एयर इंडिया प्रबंधन की आलोचना हुई थी।
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दस कर्मियों वाले संस्थानों भी लागू होगी ईपीएफ स्कीम
कर्मचारी भविष्य निधिधारकों के लिए जल्द जारी होंगी यूनिक आइडेंटीटी (विशेष पहचान पत्र)
मुआवजे निपटारे की 30 दिन की समय सीमा कम करने पर विचार
शिमला,26 जून
देश में वे सभी सार्वजनिक व व्यापारिक प्रतिष्ठान कर्मचारी भविष्य निधि योजना (ईपीएफ स्कीम) के अंतर्गत लाए जाएंगे, जिनमें दस व इससे ज्यादा कामगार कार्यरत हैं। कर्मचारी भविष्य निधि धारकों के लिए जल्द यूनिक आइडेंटीटी जारी की जाएगी, ताकि एक संस्थान छोडऩे के बाद अन्यत्र भी उसे यह सुविधा मिलती रहे।
सरकार उन कर्मचारी भविष्य निधिधारकों को सचेत करना चाहती है, जिनकी इस योजना के अंतर्गत राशि जमा है व जिनको कोई अता-पता नहीं है। किसी अप्रिय घटना की स्थिति में कामगारों को मिलने वाले मुआवजे के मामले को 30 दिन के भीतर निपटाने की अवधि को भी कम किया जाएगा। इसके अलावा कारपोरेट क्षेत्र में कर्मचारी पेंशन योजना के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा कामगारों को लाया जाएगा।
इन सभी योजनाओं व सामाजिक सुरक्षा योजना के सभी कार्यक्रमों का सरकार सरलीकरण करेगी। केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति ने यह सुझाव केंद्र सरकार को दिए हैं। केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में हुई संसदीय सलाहाकार समिति की समीक्षा बैठक में इन सभी मुद्दों पर विचार हुआ।
हरीश रावत ने समिति को भरोसा दिया कि सरकार इस पर अमल करेगी। वर्तमान में देश में छह लाख प्रतिष्ठान हैं, जिनमें छह करोड़ 87 लाख कर्मचारी भविष्य निधिधारक हैं।
इसके लिए ब्याज की दर वर्तमान में साढ़े आठ फीसद हैं जो कि देश में बैंकिंग प्रतिष्ठानों, डाकघर व अन्य किसी भी क्षेत्र में मिलने वाले ब्याज की दरों से कहीं ज्यादा हैं। केंद्र का कर्मचारी भविष्य निधि योजना के अंतर्गत मिलने वाली ब्याज की दर में बढ़ोतरी करने का कोई विचार नहीं है। रावत ने कहा कि इसके अलावा समिति ने डिपोजिट लिंक इंश्योरेंस स्कीम के तहत मौजूदा राशि को 65 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये तक करने की भी सिफारिश की है।
रावत ने बताया कि 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बाल श्रमिकों की संख्या एक करोड़ 26 लाख थी जोकि 2005 के सर्वेक्षण में कम होकर मात्र 79 लाख रह गई है।
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मुआवजे निपटारे की 30 दिन की समय सीमा कम करने पर विचार
शिमला,26 जून
देश में वे सभी सार्वजनिक व व्यापारिक प्रतिष्ठान कर्मचारी भविष्य निधि योजना (ईपीएफ स्कीम) के अंतर्गत लाए जाएंगे, जिनमें दस व इससे ज्यादा कामगार कार्यरत हैं। कर्मचारी भविष्य निधि धारकों के लिए जल्द यूनिक आइडेंटीटी जारी की जाएगी, ताकि एक संस्थान छोडऩे के बाद अन्यत्र भी उसे यह सुविधा मिलती रहे।
सरकार उन कर्मचारी भविष्य निधिधारकों को सचेत करना चाहती है, जिनकी इस योजना के अंतर्गत राशि जमा है व जिनको कोई अता-पता नहीं है। किसी अप्रिय घटना की स्थिति में कामगारों को मिलने वाले मुआवजे के मामले को 30 दिन के भीतर निपटाने की अवधि को भी कम किया जाएगा। इसके अलावा कारपोरेट क्षेत्र में कर्मचारी पेंशन योजना के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा कामगारों को लाया जाएगा।
इन सभी योजनाओं व सामाजिक सुरक्षा योजना के सभी कार्यक्रमों का सरकार सरलीकरण करेगी। केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति ने यह सुझाव केंद्र सरकार को दिए हैं। केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में हुई संसदीय सलाहाकार समिति की समीक्षा बैठक में इन सभी मुद्दों पर विचार हुआ।
हरीश रावत ने समिति को भरोसा दिया कि सरकार इस पर अमल करेगी। वर्तमान में देश में छह लाख प्रतिष्ठान हैं, जिनमें छह करोड़ 87 लाख कर्मचारी भविष्य निधिधारक हैं।
इसके लिए ब्याज की दर वर्तमान में साढ़े आठ फीसद हैं जो कि देश में बैंकिंग प्रतिष्ठानों, डाकघर व अन्य किसी भी क्षेत्र में मिलने वाले ब्याज की दरों से कहीं ज्यादा हैं। केंद्र का कर्मचारी भविष्य निधि योजना के अंतर्गत मिलने वाली ब्याज की दर में बढ़ोतरी करने का कोई विचार नहीं है। रावत ने कहा कि इसके अलावा समिति ने डिपोजिट लिंक इंश्योरेंस स्कीम के तहत मौजूदा राशि को 65 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये तक करने की भी सिफारिश की है।
रावत ने बताया कि 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बाल श्रमिकों की संख्या एक करोड़ 26 लाख थी जोकि 2005 के सर्वेक्षण में कम होकर मात्र 79 लाख रह गई है।
नोटः आपके पास भी मजदूरों से संबंधित कोई खबर को हो तो मजदूरनामा ब्लाग पर प्रकाशित करने के लिए mazdoornama@gmail.com पर ईमेल करें। मजदूरनामा टीम
पीट पीटकर खेतिहर मजदूर की हत्या
सिरसा, 27 जून
सिरसा जिले के बकारियानवाली गांव में राजस्थान के रहनेवाले एक खेतिहर मजदूर की छह लोगों ने पीट पीटकर हत्या कर दी।
मृतक महावीर के बेटे राकेश की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने बताया कि सभी आरोपी फरार हैं।
अपनी शिकायत में राकेश ने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले आरोपी और राजस्थान के धनसार के रहने वाले महावीर में झगड़ा हुआ था।
राकेश ने बताया कि कल रात वह अपने पिता के साथ खेतों को पानी दे रहा था कि लाठी और अन्य हथियार लेकर आरोपी वहां पहुंचे और महावीर की हत्या कर दी।
बाद में उन्होंने गांव के तालाब में महावीर की लाश को फेंक दिया और फरार हो गए।
सिरसा जिले के बकारियानवाली गांव में राजस्थान के रहनेवाले एक खेतिहर मजदूर की छह लोगों ने पीट पीटकर हत्या कर दी।
मृतक महावीर के बेटे राकेश की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने बताया कि सभी आरोपी फरार हैं।
अपनी शिकायत में राकेश ने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले आरोपी और राजस्थान के धनसार के रहने वाले महावीर में झगड़ा हुआ था।
राकेश ने बताया कि कल रात वह अपने पिता के साथ खेतों को पानी दे रहा था कि लाठी और अन्य हथियार लेकर आरोपी वहां पहुंचे और महावीर की हत्या कर दी।
बाद में उन्होंने गांव के तालाब में महावीर की लाश को फेंक दिया और फरार हो गए।
जमशेदपुर : टिस्को कंपनी में हंगामा, हवाई फायरिंग
जमशेदपुर, सोमवार, जून 28, 2010
झारखंड के जमशेदपुर जिले के टाटा स्टील कारखाने के पास एक सुरक्षा गार्ड द्वारा किसी मामूली बात पर एक मजदूर की पिटाई करने से उत्तेजित भीड़ द्वारा कई वाहनों में आग लगाने पर पुलिस ने हवाई फायरिंग कर स्थिति को नियंत्रण में करने का प्रयास किया।
पुलिस अधीक्षक पीएन राम ने बताया कि उत्तेजित भीड़ ने दो पुलिस वाहनों समेत कुछ अन्य गाड़ियों में आग लगा दी। उन्होंने कहा कि टाटा स्टील के एक सुरक्षा गार्ड द्वारा किसी मामूली बात पर एक मजदूर की पिटाई करने से वहां मौजूद लोग उत्तेजित हो गए।
सूत्रों ने कहा कि उग्र भीड़ ने जब पुलिस के जवानों पर पथराव करना शुरू किया, तो पुलिस ने हवाई फायरिंग कर उन्हें तितर बितर कर दिया। टाटा स्टील के प्रवक्ता ने कहा कि इस घटना का उनकी कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि यह मामला एक ठेकेदार और उसके मजदूर से संबंधित है।
झारखंड के जमशेदपुर जिले के टाटा स्टील कारखाने के पास एक सुरक्षा गार्ड द्वारा किसी मामूली बात पर एक मजदूर की पिटाई करने से उत्तेजित भीड़ द्वारा कई वाहनों में आग लगाने पर पुलिस ने हवाई फायरिंग कर स्थिति को नियंत्रण में करने का प्रयास किया।
पुलिस अधीक्षक पीएन राम ने बताया कि उत्तेजित भीड़ ने दो पुलिस वाहनों समेत कुछ अन्य गाड़ियों में आग लगा दी। उन्होंने कहा कि टाटा स्टील के एक सुरक्षा गार्ड द्वारा किसी मामूली बात पर एक मजदूर की पिटाई करने से वहां मौजूद लोग उत्तेजित हो गए।
सूत्रों ने कहा कि उग्र भीड़ ने जब पुलिस के जवानों पर पथराव करना शुरू किया, तो पुलिस ने हवाई फायरिंग कर उन्हें तितर बितर कर दिया। टाटा स्टील के प्रवक्ता ने कहा कि इस घटना का उनकी कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि यह मामला एक ठेकेदार और उसके मजदूर से संबंधित है।
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