Thursday, September 8, 2011

क्या यूनियन बनाने की मांग करना गैरकानूनी है

मानेसर के मारुती सुजुकी इंडिया के प्लाण्ट में दोबारा संघर्ष की स्थित उत्पन्न हो गई है। पिछली बार मैनेजमेंट को पीछे हटना पड़ा लेकिन इस बार उसने पूरी तैयारी के साथ हमला बोला है। सबकुछ ठीन होने के उनके दावे के बावजूद वहां कुछ भी ठीक नहीं है। दुर्भाग्य से मीडिया में ब्लैकआउट के चलते इन खबरों का गला घोंट दिया जा रहा है। मीडिया से जुड़े कुछ मित्रों ने बताया कि मारुति मैनेजमेंट की तरफ से सभी अखबारों और चैनलों को धमकी भरी सलाह भेजी गई कि वे मजदूरों के पक्ष को प्रकाशित या प्रसारित न करें (अन्यथा उन्हें विज्ञापन से हाथ धोने पड़ सकते हैं)। इसका असर यह हो रहा है कि मैनेजमेंट जो प्रेस विज्ञप्ति भेज रहा है उसी को अखबार चिपका रहे हैं जबकि मजदूर चिल्ला चिल्ला कर हकीकत बयां कर रहे हैं लेकिन उसे कोई अखबार नहीं छाप रहा है। हां अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने साहस करके मजदूरों का पक्ष छापा। दैनिक जागरण और हिंदुस्तान समेत नई दुनिया, राजस्थान, नवभारत टाइम्स आदि ने तो मैनेजमेंट के सामने घुटने टेक दिये हैं।
मजदूरनामा को मिले समाचार के अनुसार, मजदूरों को उकसाने के लिए मैनेजमेंट ने गुड कंडक्ट बांड की शर्त रखी जिसे कुछ एक मजदूरों के अलावा किसी ने नहीं भरा और सूचना मिलते ही मजदूर हड़ताल पर चले गए।

दुनिया भर में चल रहे तमाम उथल पुथल के बावजूद भारतीय शासक वर्ग यह समझने को राजी नहीं है कि मेहनतकश जनता के दमन का रास्ता आखिर भीषण विस्फोट की ओर ले जाता है। भारत में श्रमिक वर्ग के साथ जो अन्याय अत्याचार हो रहा है वह अभूतपूर्व है। और यह रोष ज्वालामुखी बन चुका है। हालत यह हो गई है कि मजदूर यूनियन बनाने की मांग अघोषित तौर पर एक अवैध मांग हो चुकी है जबकि भारतीय संविधान में यह कर्मचारियों का मौलिक अधिकार माना गया है। आखिर यह देश संविधान के अनुसार चल रहा है या पूंजीपतियों के हितों के अनुसार चलाया जा रहा है।


हम आप सभी से मानेसर के संघर्षरत साथियों का हर सम्भव सहयोग और समर्थन करने की अपील करते है. हमारा प्रस्ताव है कि कि आप हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और श्रममंत्री को अधिक से अधिक संख्या में ईमेल और पत्र भेज कर संघर्षरत साथियों कि जायज माँगों को जल्द से जल्द मांगे जाने के लिए दबाव बनायें और यह सुनिश्चित करें कि कम्पनी प्रशासन उनके आन्दोलन का दमन न कर पाये.

मुख्यमंत्री
cm@hry.nic.in
लेबर कमिश्नर
labourcommissioner@hry.nic.in
श्रम मंत्रालय
labour@hry.nic.in.

मारुती सुजुकी के मानेसर संयंत्र के मुख्यद्वार पर जोरदार प्रदर्शन

पहली सितम्बर की शाम को मारुति सुजुकी के मानेसर संयंत्र के मुख्यद्वार पर इस फैक्टरी के संघर्षरत मजदूरों के समर्थन में एक जोरदार प्रदर्शन हुआ जिसमें मारुति सुजुकी के मानेसर संयंत्र के मजदूरों के अलावा उसके गुडगाँव फैक्टरी और सुजुकी पवारट्रेन, मानेसर और गुडगाँव, मानेसर, धरुहेरा बेल्ट के विभिन्न कारखानों के सैकड़ों मजदूर, ट्रेड यूनियनों के नेता और कार्यकर्ता, हरियाणा और दिल्ली से आये हुए विभिन्न संगठनों के अनेक कार्यकर्ता, छात्र और बुद्धिजीवी शामिल हुए। मुख्यद्वार पर शाम 4 बजे आरम्भ होकर देर शाम तक चलती रही।


सभा में वक्ताओ ने एक स्वर से मारुति सुजुकी इण्डिया के प्रबन्ध तन्त्र के दमनकारी और तानाशाहना रवैये की कटु आलोचना की और वर्त्तमान संकट के लिए उसे ही पूरी तरह जिम्मेवार ठहराया। वक्ताओ ने मारुति सुजुकी के मानेसर संयंत्र के मजदूरों के कानून और संविधान सम्मत अधिकारों को स्वीकार न करने और गतिरोध पैदा करने के लिए जहाँ मारुति प्रबंधन की भर्सना की वहीँ हरियाणा और केंद्र सरकार को उनकी मिली भगत और मजदूर विरोधी रवैये के लिए आलोचना का निशाना बनाया। मारुति ग्रुप के कारखानों के मजदूरों के अलावा एचएमएसआइ, हीरो होंडा, ऍफ़ सी सी रिको, रिको ऑटो धरुहेरा, रिको ऑटो मानेसर, ओमाक्स, लुमेक्स, सोना स्टीरिंग और इस औद्योगिक पट्टी अनेक कारखानों के मजदूरों और उनके प्रतिनिधियों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया और सभा में अपने विचार रखे।


विभिन्न स्थानीय फैक्टरी आधारित स्वतन्त्र यूनियनों के प्रतिनिधियों के अलावा एआइटीयूसी, एचएमएस, सीआइटीयू, आइएनटीयूसी, एनटीयूआइ और एआइसीसीटीयू जैसे केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने संघर्षरत मजदूरों के साथ आपनी एकजुटता का इजहार किया और इस आन्दोलन को और व्यापक बनाने जाने की आवश्यकता पर बल दिया और इस दिशा पुरजोर प्रयास करने का आश्वासन दिया।

प्रस्तुत है प्रदर्शन के कुछ चित्र :


"अच्छे आचरण का करार"

जिसे मारुति प्रबन्धन ने थोपने की कोशिश की


Good Conduct Bond *

In Terms of Clause 25(3) of the Certified Standing Orders

I,............................ S/o............................... Staff
no............. do hereby execute and sign this good conduct bond
voluntarily in my own volition in accordance with Clause 25(3) of the
Certified Standing Orders. I undertake that upon joining my duties I shall
give normal production in disciplined manner and that I shall not resort to
go slow, intermittent stoppage of work, stay-in strike, work to rule,
sabotage or otherwise indulge in any activity, which would hamper the normal
production in the factory. I am aware that resorting to go slow,
intermittent stoppage of work, stay-in strike, or indulging in any other
activity having adverse effect on the normal production constitutes a major
misconduct under the Certified Standing Orders and the punishment provided
for committing such acts of misconducts includes dismissal from service
without notice, under clause 30 of the Certified Standing Orders. I,
therefore, do hereby agree that if, upon joining my duties, I am found
indulging in any activity such as go slow, intermittent stoppage of work,
stay-in strike, work to rule, sabotage or any other activity having the
effect of hampering normal production, I shall be liable to be dismissed
from service as provided under the Certified Standing Orders.



Date:........................
Signature of the workman

अपील : मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों का हर तरह से सहयोग और समर्थन करें!

प्रिय साथी,


भारत में सबसे अधिक कारों का निर्माण करने वाली जापानी कम्पनी मारुति सुजुकी इण्डिया लि. के तानाशाहाना, दमनकारी और श्रमिकविरोधी रवैये के चलते उसके मानेसर स्थित संयंत्र के मजदूर एक बार पुनः संघर्ष के रास्ते पर उतरने को बाध्य हुए है।


मजदूरों द्वारा अपनी स्वतंत्र यूनियन की मांग पर मजबूती से कायम रहने के लिए उनको सबक सिखाने के उद्देश्य से फैक्टरी प्रबन्धन ने विगत 28 अगस्त को एकतरफा तौर पर "लाक आउट" कर दिया और 29 अगस्त की सुबह से मजदूरों के संयंत्र परिसर में प्रवेश करने पर यह शर्त लगा दिया कि सिर्फ वे मजदूर ही अन्दर जा सकते है जो प्रबन्धन द्वारा प्रस्तुत "अच्छे आचरण के करार" पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हों। उस करार पर हस्ताक्षर करने का अर्थ यह था कि मजदूर अपने सभी विधिसम्मत और मानवीय अधिकारों को खुद ही त्याग दें। स्वाभाविक तौर पर बहुसंख्यक मजदूरों ने उस करार पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया और फैक्टरी के बाहर धरने पर बैठ गए। कहने कि आवश्यकता नहीं कि कम्पनी कि यह कारर्वाई पूरी तरह गैरकानूनी है और कर्मचारियों पर " अच्छे आचरण का क़रार" थोपने को अदालत द्वारा "जबरदस्ती" और "बलप्रयोग' ठहराया जा चुका है।


आपने इस एकतरफा उकसावे कि कारर्वाई के पहले प्रबन्धन ने इसकी पूरी तैयारी कर ली थी. 28 अगस्त कि शाम से ही फैक्टरी परिसर को हरियाणा पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों ने घेर लिया था और उनकी निगरानी में संयंत्र परिसर को टीन की चादरों और बाँस -बल्लियों से घेर कर एक अभेद्य दुर्ग में तब्दील कर दिया गया। इसके पूर्व ही प्रबन्धन ने मजदूरों पर धीमे और कम काम करने, " गो स्लो" करने और तोड़फोड़ करने का आरोप लगाने की सारी कागजी खानापूरी कर रखी थी। इस सभी बातों से यह स्पष्ट है कि प्रबन्धन ने बदले की कारर्वाई की पूरी योजना बना रखी थी और हरियाणा सरकार की इसमें पूरी मिली भगत थी और उसके प्रशासन ने इस विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनी के भाड़े के टट्टू कि भूमिका निभाई।


अपने दमनचक्र को जारी रखते हुए फैक्टरी प्रबन्धन ने 29 अगस्त को बेबुनियाद और मनगड़ंत आरोपों पर 11 श्रमिकों को बर्खास्त और अन्य 10 श्रमिकों को निलम्बित कर दिया। अगले दिन 30 अगस्त को 28 अन्य श्रमिकों को भी निलंबित कर दिया गया। गैर कानूनी तरीके से निकले गए इन सभी 49 मजदूरों पर धीमे और कम काम करने, " गो स्लो" करने और तोड़फोड़ करने के बेबुनियाद आरोप लगाये गए है। बर्खास्त किये गए 11 मजदूर वही है जिन्हें विगत जून के 13 दिन कि हड़ताल के बाद हुए अंतरिम समझौते के तहत बहल करवाया गया था। दरअसल उस आन्दोलन में मजदूरों की जो आंशिक जीत हुई थी, उसका बदला लेने और मजदूरों को आखिरी सबक सिखाने के उद्देश्य से ही मारुति सुजुकी प्रबन्धन ने योजनाबद्ध तैयारी के साथ जानबूझ कर यह संकट खड़ा किया है और इसमें उन्हें पूरे पूँजीपति वर्ग, आटोमोबाइल उद्योग के मालिकन और राजसत्ता की पूरी ताकत का सहयोग और समर्थन हासिल है। ऐसे में यह जरुरी है कि मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों को हर तरह का सहयोग और समर्थन प्रदान किया जाय। पिछले बार के संघर्ष में जिस तरह उन्हें पुरे मानेसर गुडगाव इलाके के मजदूरों का समर्थन प्राप्त हुआ था उसी तरह का सहयोग और समर्थन ही अब उनके आन्दोलन को सफलता के मुकाम तक ले जा सकता है।


यह स्पष्ट है कि मारुति सुजुकी प्रबन्धन ने प्रशासन के साथ मिली भगत से सिर्फ मारुति में ही नहीं पूरे हरियाणा में उभरते हुए मजदूर आन्दोलन को पूरी तरह कुचल देने के उद्देश्य से बदले की कारर्वाई की यह साजिश रची है। अतः यह लड़ाई बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल मारुति कर्मचारियों के भविष्य का फैसला होने वाला है बल्कि, इस बात का भी फैसला होने वाला है कि न सिर्फ इस औद्योगिक क्षेत्र में बल्कि पूरे उत्तर भारत में भविष्य में मजदूरों को अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष करने और उसके लिए जरूरत के अनुसार संगठनों का निर्माण करने की इजाजत होगी कि नहीं। यह सिर्फ जनतांत्रिक अधिकारों को हासिल करने का सवाल नहीं है बल्कि, अतीत के संघर्षों से हासिल जनतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने का भी सवाल है। इस रूप में मारुति के नौजवान मजदूर सिर्फ अपने हकों की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं बल्कि, पूरे मजदूर वर्ग और आम जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी लड़ाई आज ऐसे मुकाम पर है कि उसे बहुत समझदारी और साहस के साथ आगे ले जाने के जरूरत है। इस काम में उन्हें हर बुद्धिजीवी, हर मजदूर, नौजवान के सहयोग और समर्थन की जरूरत है। हम सभी सामाजिक-राजनीतिक संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील और जनपक्षधर बुद्धिजीवियों और आम जनता से इन संघर्षरत मजदूरों को हर संभव सहयोग और समर्थन करने की अपील करते हैं।


हम प्रस्तावित करते हैं कि
1. हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और श्रममंत्री के पास मजदूरों के इस आंदोलन के समर्थन में अधिक से अधिक संख्या में ईमेल, पत्र और तार-फैक्स भेजें और भिजवाएं जाएँ।
2. अधिक से अधिक संख्या में मारुति सुजुकी गेट के सामने पहुंच कर धरने पर बैठे मजदूरों के प्रति अपने सहयोग और समर्थन का इजहार किया जाय।
3. इस आंदोलन, उसकी पृष्ठभूमि, आवश्यकता और प्रासंगिकता के बारे में अधिक से अधिक लोगों को सूचित किया और यदि सम्भव हो तो प्रचार अभियान चलाया जाय।
4. मजदूरों के लिए सहयोग और समर्थन जुटाने के लिए अपने-अपने इलाकों में बैठकें विचार-गोष्टियाँ और छोटी-बड़ी सभाएं आयोजित किया जाय।


कर्मचारी-प्रबंधन में बढ़ी तकरार
शर्मिष्ठा मुखर्जी / नई दिल्ली August 31,
देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) के मानेसर संयंत्र में प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच तकरार और तेज हो गई है। गुडग़ांव-मानेसर क्षेत्र के विभिन्न कर्मचारी संगठनों से जुड़े 5,000 कर्मचारी गुरुवार को मानेसर में कंपनी कार्यालय के सामने इकट्ठा होकर एकजुटता का प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के सचिव डी एल सचदेवा ने कहा, 'मंगलवार को एक बैठक में यूनियनों ने फैसला किया था कि वे गुरुवार को अपनी एकता का प्रदर्शन करने के लिए मानेसर संयंत्र के कर्मचारियों के साथ मारुति के उस संयंत्र के सामने एकत्रित होंगे। मारुति के कर्मचारियों ने काम शुरू करने से पहले प्रबंधन के अच्छे आचरण के बॉन्ड पर दस्तखत नहीं करने का फैसला किया है।
सचदेवा ने कहा, 'गुडग़ांव-मानेसर क्षेत्र में 40 श्रमिक संगठन हैं। होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर इंडिया, सोना स्टीयरिंग, रिको ऑटो सहित सभी प्रमुख संगठनों ने प्रदर्शन में भाग लेने का फैसला किया है। इस बीच कंपनी ने अनुबंध आधार पर आईटीआई में प्रशिक्षित 120 कर्मचारियों को लाकर संयंत्र में उत्पादन चालू कर दिया है। इसके अलावा गुडग़ांव संयंत्र से 50 इंजीनियरों और 290 सुपरवाइजरों को बुलाकर मानेसर संयंत्र में काम पर लगा दिया गया है। संयंत्र में आज 60 वाहनों का उत्पादन किया गया। कम से कम 80 अनुबंधित कर्मचारियों को अभी ज्वॉइन
करना है।
एमएसआईएल के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमने आज सुबह मानेसर संयंत्र में उत्पादन शुरू कर दिया। सोमवार से उत्पादन बंद होने के बाद फैक्ट्री से आज पहली स्विफ्ट बनकर निकली। फिलहाल संयंत्र में उत्पादन के लिए 500 अनुभवी कर्मचारी उपलब्ध हैं, जिन्हें अगले कुछ दिनों में चरणबद्ध तरीके से काम पर लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिन में कंपनी ने अतिरिक्त मजदूरों की मदद से प्रेस, वेल्ड और पेंट क्षेत्र में काम शुरू करने की तैयारी की है। संयंत्र के ये विभाग काफी सक्रिय हैं।कंपनी द्वारा कर्मचारियों से मानेसर संयंत्र में प्रवेश से पहले 'अच्छे व्यवहार के बॉन्डÓ पर दस्तखत की मांग करने के बाद से सोमवार से उत्पादन पूरी तरह से ठप था। प्रबंधन ने जून के मध्य में 1,6000 मजदूरों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर बुलाई गई 13 दिन की हड़ताल के बाद से संयंत्र में काम की गुणवत्ता और निर्मित कारों की संख्या में गिरावट का आरोप लगाया था। प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक 40 स्थायी कर्मचारी बॉन्ड पर दस्तखत कर चुके हैं।
मंगलवार को एमएसआईएल ने 16 स्थायी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था और 12 प्रशिक्षुओं की सेवाएं जारी रखने से इनकार कर दिया था। इससे पहले बीते सोमवार को 21 अन्य कर्मचारियों को भी निलंबित किया जा चुका था। संयंत्र में वाहनों का उत्पादन लगातार दो दिनों तक बाधित रहा, जिससे कंपनी को 2,400 वाहनों की उत्पादन हानि हुई। इन वाहनों का कुल मूल्य 80 करोड़ रुपये था।

प्रधानमंत्री से गुहार लगाएंगे कर्मचारी
मारुति उद्योग के श्रमिकों और प्रबंधन के बीच आचार संहिता को लेकर जारी विवाद को सुलझाने के लिए श्रमिकों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के अध्यक्ष और सांसद गुरुदास दासगुप्ता ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री से कहा था कि वे हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्ïडा को इस विवाद के निपटारे के लिए कहे।
एटक के राष्टरीय सचिव डीएल सचदेवा ने कहा कि इसी मुद्ïदे को लेकर दासगुप्ता गुरुवार को दोबारा प्रधानमंत्री से मिलेंगे। मारुति के मानेसर संयंत्र 2 में कार्यरत कुल लगभग 1,000 नियमित कर्मचारियों में से 25 से 30 कर्मचारियों ने आचार संहिता पर हस्ताक्षर किए हैं।

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मारुति के 16 कर्मचारी निलंबित, 12 प्रशिक्षु बर्खास्त

ऐसा लगता है कि मारुति सुजुकी के मानेसर सयंत्र के संघर्षरत मज़दूरों का संघर्ष अब एक कठिन दौर से गुजर रहा है. इस बार पुनः मजदूरों के संघर्ष में उतरने का मुख्य कारण यही है कि पिछले जून में 13 दिन चले उनके आन्दोलन में जो आंशिक सफलता मिलि थी वह मारुति प्रबन्धन के गले नहीं उतर रही थी और उन्होंने उसका बदला लेने के लिए मजदूरों को संघर्ष में उतरने के लिए बाध्य कर दिया. मालिको ने फैक्टरी की घेराबंदी और पूरी तैयारी केसाथ इस बार मजदूरों के आन्दोलन का पूरी तरह दमन कर देने के उद्देश्य से उन्हें संघर्ष के लिए उकसाया. 16 जून के समझौते कि भावना का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए मजदूरों को बर्खास्त करना शुरू कर दिया और अच्छे व्यव्हार के करार पर हस्ताखर करवाने के लिए मजबूर कर मजदूरों को हड़ताल में उतरने के लिए उकसावा दिया. इसके पहले उसने लक्ष्य पूरा न होने और ख़राब गुणवत्ता के नाम पर अनुशाश्नात्मक करवाई कि पूर्व पीठिका तैयार कर ली थी.
ऐसे में यह जरुरी है कि मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों को हर तरह का सहयोग और समर्थन किया जाय. पिछले बार के संघर्ष में जिस तरह उन्हें पुरे मानेसर गुडगाव इलाके के मजदूरों का समर्थन प्राप्त हुआ था उसी तरह का सहयोग और समर्थन ही अब उनके आन्दोलन को सफलता के मुकाम तक ले जा सकती है.

कार बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया [एमएसआई] और उसके मानेसर कारखाने के कर्मचारियों के बीच गतिरोध जारी है। कंपनी ने मंगलवार को 16 और स्थाई कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जबकि 12 प्रशिक्षुओं की सेवा समाप्त कर दी। इस गतिरोध के कारण कंपनी का उत्पादन मंगलवार दूसरे दिन भी पूरी तरह प्रभावित रहा।
मारुति सुजुकी के प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक उत्पादन शुरू नहीं हुआ है लेकिन ठेका कर्मचारियों तथा तकनीकीविदों की सेवा लिए जाने जैसे वैकल्पिक उपायों से मंगलवार उत्पादन शुरू होने के संकेत हैं। उत्पादन और गुणवत्ता से समझौते का मामला पिछले सप्ताह सामने आने के बाद से कंपनी कर्मचारियों के प्रति कड़ा रूख अपना रही है। कंपनी ने सोमवार 10 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था जबकि पांच अन्य को बर्खास्त कर दिया था। इसके अलावा छह प्रशिक्षु कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी। प्रवक्ता ने कहा कि हमने 16 और स्थाई कर्मचारियों को मंगलवार को निलंबित कर दिया और 12 अन्य तकनीकी प्रशिक्षुओं की सेवा समाप्त कर दी।
जिन कर्मचारियों को निलंबित और बर्खास्त किया गया है, उन पर पिछले सप्ताह उत्पादित कारों की गुणवत्ता के साथ छेड़छाड़ कर कंपनी को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। बहरहाल, कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन जून में उनकी 13 दिन की हड़ताल का बदला लेने के लिए यह सब कर रहा है। कर्मचारियों ने हरियाणा के मानसेर स्थित कारखाने में नए कर्मचारी संघ को मान्यता देने को लेकर हड़ताल की थी।
उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित होने की खबर के बाद कंपनी ने सोमवार को 'बेहतर आचरण बाड' पर हस्ताक्षर के बिना कारखाने में प्रवेश से कर्मचारियों को मना कर दिया। उसके कारण सोमवार उत्पादन पूरी तरह ठप रहा। नए यूनियन मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन [एमएसईयू] के महासचिव शिव कुमार ने कहा कि कारखाने में यूनियन के गठन के हमारे आवेदन को हरियाणा सरकार द्वारा खारिज किए जाने के मद्देनजर प्रबंधन हमारे खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रहा है और हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर रहा है। कुमार ने जून में हुए आदोलन का नेतृत्व किया था।
उन्होंने कहा कि निलंबित और बर्खास्त कर्मचारियों में प्रस्तावित एमएसईयू के पदाधिकारी शामिल हैं। हालाकि प्रबंधन सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह से एमएसआई उत्पादन लक्ष्य हासिल करने तथा गुणवत्ता को लेकर गंभीर मुद्दों का सामना कर रहा है। सूत्र ने कहा था, '24 अगस्त को 1,230 कार उत्पादित करने की योजना थी लेकिन केवल 437 कार एसेंबल किए गए। इसमें से केवल 96 कार गुणवत्ता मानकों पर खरा उतर सके। उसने कहा कि कर्मचारी उत्पादन घटा रहे हैं तथा गुणवत्ता से जानबूझकर समझौता कर रहे हैं।
हालाकि इस बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि कुछ प्रबंधन समर्थित कर्मचारी उत्पाद तैयार होने के बाद यह कर रहे हैं। वे जून में हुए आदोलन का बदला लेने के लिए ऐसा कर रहे हैं। कुछ कर्मचारियों पर कंपनी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कंपनी प्रबंधन ने बेहतर आचरण के वचन पर हस्ताक्षर और उसे लागू करने का निर्णय किया है। इसमें कर्मचारियों से यह आश्वासन मांगा गया है कि वे उत्पादन कम नहीं करेंगे और किसी भी ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे जिससे कारखाने में उत्पादन प्रभावित होता है।

रेड ट्यूलिप के सौजन्य से