बाल श्रम,आत्महत्याएं,औद्योगिक दुर्घटनाएं
23 मार्च
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Saturday, May 14, 2011
फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के कर्मचारी की मौत
टोक्यो। जापान में विनाशकारी भूकम्प और प्रलयंकारी सुनामी के कारण क्षतिग्रस्त हुए फुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र में मलबे की सफाई कर रहे एक कर्मचारी शनिवार को मौत हो गई। समाचार एजेंसी क्योदो के अनुसार संयंत्र की संचालक कंपनी ने बताया कि 60 वर्षीय कर्मचारी ने शनिवार तड़के ही काम करना शुरू किया था और करीब एक घंटे तक काम करने के बाद उसने तबियत बिगड़ने की शिकायत की। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां वह बेहोश हो गया। तीन घंटे बाद उसकी मौत हो गई। रपट के अनुसार चिकित्सकों को कर्मचारी के शरीर पर किसी घाव के निशान नहीं मिले। उल्लेखनीय है कि 11 मार्च के शक्तिशाली भूकंप और विनाशकारी सुनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र का कूलिंग सिस्टम क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके करीब 15-20 दिन बाद बिजली विभाग के मजदूरों ने विकिरण की परवाह न करते हुए प्लांट प्रवेश किया था, ताकि प्लांट में हो रहे रिसाव को रोका जा सके। बिजली विभाग के मजदूरों का यह प्रयास ऐसे समय पर था, जबकि उस क्षेत्र में जाना जान जोखिम में डालने जैसा था। उस समय वहां विकिरण का बहुत ज्यादा खतरा था। प्लांट के आसपास विखरे हुए कचरे को साफ करने का काम एक अलग कंपनी करती है, जिसके मजदूर की काम करने के दौरान मृत्यु हुई।
Wednesday, May 11, 2011
मजदूरी मांगने पर भट्ठा मालिक की दलित मजदूर की हत्या
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक भट्ठा मालिक ने मजदूरी की मांग करने पर एक दलित मजदूर की हत्या करके उसके शव को पेड़ पर टांग दिया। राज्य पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि मीरा देवी नाम की एक दलित महिला ने बलिया जिले के नगरा पुलिस थाने पर दर्ज करायी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि भट्ठा मालिक रामबदन सिंह ने अपने तीन अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उसके पति राजामोहन की जान ले ली और उसके शव को पेड़ पर टांग दिया। मीरा देवी ने आरोप लगाया है कि उसके पति की हत्या इसलिए की गई, क्योंकि वह मजदूरी की मांग कर रहा था। प्रवक्ता ने बताया है कि भट्ठा मालिक रामबदन को गिरफ्तार कर लिया गया है और अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिये दबिश दी जा रही है।
Monday, May 9, 2011
मंत्री खा रहे मलाई और मजदूर के हिस्से धूल
जालंधर। पंजाब सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी दर की समीक्षा किए जाने का विरोध करते हुए आॅल मजदूर शक्ति संघ ने इसकी पुन: समीक्षा करने की मांग की है तथा कहा है कि ईंट भट्ठों में काम करने वालों को प्रति एक हजार ईंट पर उसकी कीमत का बीस फीसदी मजदूरी दिए जाने की व्यवस्था सरकार करे।
आॅल मजदूर शक्ति संघ के प्रमुख इकबाल मट्टू ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी दर की हाल ही में समीक्षा की है। इसके तहत जो निर्धारण किया गया है वह मजदूरों के हित में नहीं है। यह कैसी सरकार है जो मजदूरों का विरोध करती है।
मट्टू ने कहा, महंगाई के इस दौर में जहां मंत्रियों और अधिकारियों को हजारों रुपये के वेतन के अलावा तमाम सुख सुविधाएं मिलती हैं, वहीं मजदूरों को दिन में धूप और रात में धूल फांकना पडता है। इसलिए सरकार से हमारी गुजारिश है कि मजदूरों को आदमी समझते हुए उनके लिए 500 रुपये न्यूनतम मजदूरी निर्धारित किया जाए।
मजदूर नेता ने यह भी कहा कि ईंटें बनाने वाले श्रमिकों की हालत बदतर है। भट्ठा मालिक तकरीबन साढे चार हजार रुपये में एक हजार ईंटें बेचते हैं, जबकि उन्हें बनाने वाले मजदूरों को केवल तकरीबन 200 रुपये प्रति हजार ईंट दिया जाता है। राज्य सरकार से हमारी यह भी मांग है कि इन श्रमिकों को प्रति एक हजार तैयार ईंट की कीमत का बीस फीसदी मजदूरी के तौर भुगतान किया जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पंजाब सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरों की समीक्षा करते हुए इसे 139 रुपये से 192 रुपये के बीच कर दिया है। नये मानकों के तहत ईंट भट्ठे में काम करने वाले श्रमिकों को उनकी कुशलता के आधार पर 147 से लेकर 192 रुपये तक दिया जाएगा।
मट्टू ने जोर देकर यह भी कहा कि बाहर से आने वाले श्रमिक यहां बदतर स्थिति में काम करते हैं। उनके पास कोई सुविधा नहीं है और वे गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। जानवरों की तरह उनसे काम लिया जाता है और बदले में कुछ नहीं दिया जाता है। सरकार को चाहिए वह हरेक श्रेणी के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी दर 500 रुपये तय करे ताकि उन्हें खाना मिल सके और उनके बच्चों को स्कूल जाने का भी मौका मिल सके।
आॅल मजदूर शक्ति संघ के प्रमुख इकबाल मट्टू ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी दर की हाल ही में समीक्षा की है। इसके तहत जो निर्धारण किया गया है वह मजदूरों के हित में नहीं है। यह कैसी सरकार है जो मजदूरों का विरोध करती है।
मट्टू ने कहा, महंगाई के इस दौर में जहां मंत्रियों और अधिकारियों को हजारों रुपये के वेतन के अलावा तमाम सुख सुविधाएं मिलती हैं, वहीं मजदूरों को दिन में धूप और रात में धूल फांकना पडता है। इसलिए सरकार से हमारी गुजारिश है कि मजदूरों को आदमी समझते हुए उनके लिए 500 रुपये न्यूनतम मजदूरी निर्धारित किया जाए।
मजदूर नेता ने यह भी कहा कि ईंटें बनाने वाले श्रमिकों की हालत बदतर है। भट्ठा मालिक तकरीबन साढे चार हजार रुपये में एक हजार ईंटें बेचते हैं, जबकि उन्हें बनाने वाले मजदूरों को केवल तकरीबन 200 रुपये प्रति हजार ईंट दिया जाता है। राज्य सरकार से हमारी यह भी मांग है कि इन श्रमिकों को प्रति एक हजार तैयार ईंट की कीमत का बीस फीसदी मजदूरी के तौर भुगतान किया जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पंजाब सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरों की समीक्षा करते हुए इसे 139 रुपये से 192 रुपये के बीच कर दिया है। नये मानकों के तहत ईंट भट्ठे में काम करने वाले श्रमिकों को उनकी कुशलता के आधार पर 147 से लेकर 192 रुपये तक दिया जाएगा।
मट्टू ने जोर देकर यह भी कहा कि बाहर से आने वाले श्रमिक यहां बदतर स्थिति में काम करते हैं। उनके पास कोई सुविधा नहीं है और वे गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। जानवरों की तरह उनसे काम लिया जाता है और बदले में कुछ नहीं दिया जाता है। सरकार को चाहिए वह हरेक श्रेणी के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी दर 500 रुपये तय करे ताकि उन्हें खाना मिल सके और उनके बच्चों को स्कूल जाने का भी मौका मिल सके।
कर्नाटक में 11 श्रमिकों की मौत
कोप्पाला, कर्नाटक
रविवार को कर्नाटक में एक ट्रक और लॉरी की भिंडत में ट्रक में सवार 11 श्रमिकों की मौत हो गई और नौ अन्य घायल हो गए। मृतकों में आठ महिलाएं भी शामिल हैं।
कर्नाटक पुलिस के अनुसार उनमें से अधिकांश लोग बूदागुम्पा गांव में एक निजी मुर्गी पालन केंद्र में काम करते थे। वे जब अपने कार्यस्थल के लिए जा रहे थे तब यह हादसा हुआ।
उन्होंने बताया कि दुर्घटना में दस लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक व्यक्ति ने कोप्पाला जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड दिया। सभी घायलों को अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
कोप्पाला, कर्नाटक
रविवार को कर्नाटक में एक ट्रक और लॉरी की भिंडत में ट्रक में सवार 11 श्रमिकों की मौत हो गई और नौ अन्य घायल हो गए। मृतकों में आठ महिलाएं भी शामिल हैं।
कर्नाटक पुलिस के अनुसार उनमें से अधिकांश लोग बूदागुम्पा गांव में एक निजी मुर्गी पालन केंद्र में काम करते थे। वे जब अपने कार्यस्थल के लिए जा रहे थे तब यह हादसा हुआ।
उन्होंने बताया कि दुर्घटना में दस लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक व्यक्ति ने कोप्पाला जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड दिया। सभी घायलों को अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
गोरखपुर में श्रमिकों और पुलिस में झड़प
गोरखपुर, 9 मई
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में सोमवार को प्रदर्शनकारी श्रमिकों और पुलिस के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारी श्रमिकों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार की।
चिलुआताल थाना क्षेत्र स्थित धागा बनाने वाली निजी फैक्ट्री अंकुर उद्योग लिमिटेड के प्रबंधन ने बीते दिनों 15 कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें निलम्बित कर दिया था। उनकी बहाली की मांग को लेकर सैकड़ों श्रमिक सोमवार को मंडलायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदशर्न करने जा रहे थे।
प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी थीं। पुलिस ने उन्हें रोका तो प्रदर्शनकारी बेकाबू हो गए। इस बीच पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार की। चार श्रमिक नेताओं को हिरासत में भी लिया गया है।
चिलुआताल थाना प्रभारी गजेंद्र राय ने संवाददाताओं को बताया कि फिलहाल स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। प्रदर्शन के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
गोरखपुर, 9 मई
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में सोमवार को प्रदर्शनकारी श्रमिकों और पुलिस के बीच जमकर हिंसक झड़प हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारी श्रमिकों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार की।
चिलुआताल थाना क्षेत्र स्थित धागा बनाने वाली निजी फैक्ट्री अंकुर उद्योग लिमिटेड के प्रबंधन ने बीते दिनों 15 कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें निलम्बित कर दिया था। उनकी बहाली की मांग को लेकर सैकड़ों श्रमिक सोमवार को मंडलायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदशर्न करने जा रहे थे।
प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी थीं। पुलिस ने उन्हें रोका तो प्रदर्शनकारी बेकाबू हो गए। इस बीच पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार की। चार श्रमिक नेताओं को हिरासत में भी लिया गया है।
चिलुआताल थाना प्रभारी गजेंद्र राय ने संवाददाताओं को बताया कि फिलहाल स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। प्रदर्शन के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
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