अभी नोटबंदी से केंद्र की मोदी सरकार उबर नहीं पाई लेकिन उसने पीएफ के मामले में नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए पीएफ कटवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है। नए नियम के अनुसार, पीएफ कटवाना या न कटवाना कर्मचारियों की मर्जी पर निर्भर करेगा।
अब 15 हजार रुपए प्रति माह से कम वेतन पाने वाले कर्मचारी के पास अपना पीएफ कटवाने या न कटवाने का विकल्प होगा। यानी पीएफ कटवाना जरूरी नहीं होगा। श्रमिक संगठनों का कहना है कि ये कानून लाकर मोदी सरकार असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों की आर्थिक सुरक्षा घेरे को खत्म करने का काम किया है और सरकार धीरे धीरे पीएफ की व्यवस्था को कंपनियों की मर्जी के मुताबिक करने का रास्ता खोल दिया है।
उल्लेखनीय है कि पीएफ़ में जितने रुपये श्रमिक के वेतन से कटते हैं उतने ही रुपये सरकार मिलाती है और इस तरह मज़दूर की यही कुल जमा पूंजी होती है जिसे वो अपने मुसीबत के दिनों में इस्तेमाल करता है।
उल्लेखनीय है कि पीएफ़ में जितने रुपये श्रमिक के वेतन से कटते हैं उतने ही रुपये सरकार मिलाती है और इस तरह मज़दूर की यही कुल जमा पूंजी होती है जिसे वो अपने मुसीबत के दिनों में इस्तेमाल करता है।
पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक हुई थी और एपीएफ कानून का संशोधन किए बिना ही इस संदर्भ में नोटिस जारी कर दिया गया। नोटिस में कहा गया है कि रोजगार के अवसर बढ़ाने और एक्पोर्ट सेक्टर को मजबूत करने को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। सूचना में कहा गया है कि लेबर कानूनों के आसान बनाने को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया गया है। हालांकि यह बदलाव फिलहाल एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के लिए लागू किया गया है। अन्य क्षेत्रों के लिए बाद में फैसला लिया जाएगा।
नोटिस में कहा गया है कि एक्सपोर्ट इंडस्ट्री में रोजगार के अवसर बढ़ाने और उसे मजबूत बनाने के उद्देश्य से नियमों में बदलाव किया गया है। इसके अलावा, श्रम से जुड़े कानूनों को आसान बनाने के लिए बदलाव किया गया है।
इससे पहले मजदूरों के प्राविडेंट फंड को निकालने को लेकर मोदी सरकार ने कड़े नियम बना दिए थे जिसके बाद बैंगलोर में मजदूरों का हिंसक प्रदर्शन हुआ और उसके बाद सरकार को ये आदेश वापस ले लेना पड़ा था।
इससे पहले मजदूरों के प्राविडेंट फंड को निकालने को लेकर मोदी सरकार ने कड़े नियम बना दिए थे जिसके बाद बैंगलोर में मजदूरों का हिंसक प्रदर्शन हुआ और उसके बाद सरकार को ये आदेश वापस ले लेना पड़ा था।