Saturday, July 31, 2010

लाल इमली और धारीवाल मिल को मिलेगा जीवनदान

गुरदासपुर, 31 जुलाई
जीवनदान के लिए तरस रही धारीवाल की न्यू इस्टर्न वूलन मिल व लाल इमली कानपुर के लिए बुधवार का दिन शुभ रहा। बोर्ड फॉर दी रिकंस्ट्रक्शन ऑफ दी पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज ने इन मिलों की पुनर्जीवन योजनाको मंजूर कर लिया है। इससे पहले भी दोनों मिलों को जीवनदान मिला था जिससे कोई फायदा नहीं हुआ। अब फिर से दोनों मिलों को जीवनदान मिला है। जानकारी के अनुसार बीआईसी की तरफ से भेजे प्लान में 315 करोड़ रुपये की मांग की गई है। यह राशि कर्ज के जरिए जुटाई जाएगी। प्लान के तहत 100 करोड़ से भी अधिक राशि मिलों की जमीन बेच कर इकट्ठा की जानी थी, लेकिन अब जमीन बेचने की जरूरत नहीं होगी। मिलों के लिए नई मशीनरी खरीदने, नई भर्ती करने के साथ ही कच्चा माल खरीदने के लिए राशि रखी गई है। रिवाइवल प्लान से दोनों मिलों में मौजूद 2500 के करीब स्टाफ को फायदा मिलेगा। सभी स्टाफ को वेतन, पीएफ सहित सभी अदायगी करने की भी बात कही गई है। इतना ही नहीं, वीआरएस की भी व्यवस्था रखी गई है। धारीवाल मिल के करीब 970 मुलाजिमों का, जो वेतन की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे थे, संघर्ष खत्म हो गया। इन मुलाजिमों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला था। धारीवाल मिल सहित गुरदासपुर निवासियों के लिए इस रिवाइवल का विशेष महत्त्‍‌व है। इस पिछड़े जिले में बेरोजगारी बहुत ज्यादा है। रिवाइवल में नई भर्ती से क्षेत्रवासियों को काफी फायदा मिलेगा। इस संबंध में धारीवाल मिल के जीएम पीके शर्मा ने बताया कि रिवाइवल प्लान वास्तव में मिल व क्षेत्र के लिए सरसाइवल है। रिवाइवल से क्षेत्र में बेरोजगारी दूर होगी, क्योंकि इसमें नई भर्ती का भी प्रावधान है। मिल में अब ऊनी कपड़ा ही नहीं सूती, फायर प्रूफ व वूलन सिल्क टेक्स्ट फाइबर भी तैयार किया जाएगा, जिसकी मांग बहुत ज्यादा है। कर्जे की वापसी संबंधी पूछे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तैयार कपड़ा बेच कर होने वाले मुनाफे से इसे उतार दिया जाएगा। मिल के पास बहुत सारी सरप्लस जमीन पड़ी है। जरूरत पड़ने पर इसे बेच दिया जाएगा।

बांग्लादेशी कपड़ा कामगारों की लड़ाई अब अगले दौर में

मजदूरी 5000 टका करने के लिए उग्र प्रदर्शन
ढाका 31 जुलाई

मजदूरी बढ़ाने की सरकारी पेशकश को खारिज करते हुए बांग्लादेशी कपडा मिलों के हजारों कामगारों ने उग्र प्रदर्शन किया। उन्होंने कारखानों को निशाना बनाया और राजमार्गों पर बैरीकेड खड़ा कर दिया। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने नए मजदूरी ढांचे का विरोध करते हुए सड़कों पर रैलियां निकाली। कम पारिश्रमिक एवं कमजोर शर्तों के विरोध में कर्मचारियों द्वारा महीनों प्रदर्शन किए जाने के बाद एक दिन पहले सरकार ने नए वेतन ढांचे में 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है। लेकिन कामगारों की मांग 5000 टका किए जाने की थी। नई तनख्वाह 1 नवंबर से लागू की जाएगी। कुछ बड़े यूनियनों ने सरकार की इस वेतन वृद्धि को मानने की बात कही है वहीं कई यूनियनों ने इसे मानने से इनकार कर दिया है।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने प्रमुख सड़कों एवं राजमार्गों के रास्ते बंद कर दिए, वाहनों को नुकसान पहुंचाया और कई कपड़ा इकाइयों में तोडफ़ोड़ की। कर्मचारी 5,000 टका मजदूरी तय किए जाने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार ने कल 3,000 टका मजदूरी की घोषणा की। अभी तक इन कामगारों को 1600 टका पर 12 12 घंटे काम करना पड़ता है।
हालांकि ढाका के पुलिस प्रमुख एकेएम शाहिदुल हक ने धमकी दी है कि 'हम उन्हें ऐसा करने नहीं देंगे.. हमारे पास कड़ा रुख अख्तियार करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। सरकार ने सड़कों पर अपराधरोधी त्वरित कार्य बटालियन की टुकडिय़ां और पुलिस को तैनात कर दिय है।
पुलिस निरीक्षक अब्दुल कैद्दुल ने यहां बताया कि करीब 5000 श्रमिकों ने शहर के मुख्य तेजगांव लिंक रोड को जाम कर दिया और समीप के दर्जनों कपड़ा फैक्ट्रियों पर हमला किया। मंगलवार को सरकार ने कहा था कि वह कपड़ा श्रमिकों की तनख्वाह 1662 टका से बढ़ाकर 3000 टका कर देगी। हालांकि कुछ श्रमिक संघों ने इसे बढ़ाकर 5000 टका करने की मांग की थी।
श्रमिकों ने सबसे ज्यादा गुस्सा गुलशन इलाके में उतारा जहां कई दूतावास एवं विदेशी सहायता संगठनों के कार्यालय हैं।
गुलशन के पुलिस प्रमुख नुरल आलम ने कहा, 'वे फैक्ट्रियों में तोडफ़ोड़ कर रहे थे, कारों को जला रहे थे और सड़कों को जाम कर रहे थे।Ó

दक्षिण भारत के ट्रक ऑपरेटर आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

नमक्कल (तमिलनाडु) 31 जुलाई
दक्षिण भारत के ट्रक ऑपरेटरों ने राजमार्गों पर टोल की दर में कमी की मांग को लेकर रविवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। तमिलनाडु लॉरी ओनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष के नल्लातंबी ने कहा कि कल आधी रात से तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी के लगभग 22 लाख ट्रक सड़कों पर नहीं दिखेंगे।
नल्लातंबी ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हुई, तो छह अगस्त से देशभर के ट्रक ऑपरेटर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ट्रकों से प्रति किलोमीटर 1.45 रुपए का टोल कर लेती है, जबकि निजी एजेंसियों द्वारा संचालित टोल गेट्स पर टोल टैक्स की दर 3.45 रुपए प्रति किलोमीटर की बैठती है।

ट्रक मालिक छह अगस्त से हड़ताल पर जाने को अड़े
नई दिल्ली, 31 जुलाई
ट्रक आपरेटर छह अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के फैसले पर अडिग हैं। ट्रक आपरेटरों ने आज कहा कि सरकार टोल टैक्स को कम करने तथा टोल नीति पर फिर से विचार करने की मांग को पूरा करने में विफल रही है। ऐसे में वे छह अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के अपने फैसले पर अडिग हैं।
अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस :एआईएमटीसी: के अध्यक्ष जी आर षणमुगप्पा ने संवाददाताओं से कहा, ै हमने छह अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है क्योंकि वाहनों पर लगाए जाने वाले भारी भरकम टोल शुल्क को कम करने की हमारी मांग पर सरकार ने विचार नहीं किया है। करीब 62 लाख ट्रक आपरेटर एआईएमटीसी के सदस्य हैं।
इससे पूर्व सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने कहा था कि सरकार की कोशिश है कि जनता के व्यापक हित में ट्रक मालिक छह अगस्त से हड़ताल पर न जाएं। अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान करने वाली एआईएमटीसी की मांग है कि टोल शुल्कों को युक्तिसंगत बनाया जाए। उसने टोल संग्रहण की नीति की उच्चस्तरीय जांच सीबीआई अथवा एक संसदीय पैनल से कराने की मांग की है।

मुंबई में फिर हुई गैस लीक

द्मल्याण में एक कंपनी के क्लोराइड गैस लीक हुई
मुम्बई 31 जुलाई


महाराष्ट्र में ठाणे जिले के कल्याण में एक रसायन कंपनी से गैस लीक होने के बाद कई लोगों ने आज सांस लेने की दिक्कत होने और आंखों में दर्द की शिकायत की। अग्निशमन अधिकारियों ने कहा कि कल्याण में मुरबाद रोड पर कंपनी एएस केमोफार्मा के मुख्य टैंक से क्लोराइड गैस लीक होने के कारण आसपास रहने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई और आंखों में दर्द हुआ। अधिकारियों के अनुसार कंपनी ने लीकेज को तुरंत बंद किया। किसी को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्र अधिकारी पीडी जगताप भी कंपनी को बचाने में लगे रहे उन्होंने कहा कि हादसे स्थल का मुआयना करने के बाद कहा कि कंपनी की कोई गलती नहीं है और यह लीकेज अचानक हुई।
हाल में महानगर में गैस लीक की यह दूसरी घटना है। चौदह जुलाई को मुम्बई के सेवरी में बंबई पोर्ट ट्रस्ट के परिसर में रखे सिलेंडर से क्लोरीन गैस लीक होने से 100 से अधिक लोग बीमार पड़ गए थे।

चीन में दोहरे खदान हादसे में 17 लोगों की मौत, 24 फंसे

बीजिंग, 31 जुलाई
चीन में शिनवार को हुए दोहरे खदान हादसे में कम से कम 17 खनिकों की जान चली गई जबकि 24 अभी भी वहां फंसे हुए हैं।
स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि उत्तर चीन के शांशी प्रांत में एक कोयला खदान में हुए एक शक्तिशाली विस्फोट में आज कम से कम 17 खनिकों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हो गए।
शांशी प्रांत के जिस खदान में विस्फोट हुआ उसका मालिकाना हक रखने वाली कंपनी 'यांगछुआन कोल इंडस्ट्री :ग्रुप: कंपनी लिमिटेडÓ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विस्फोट यिचेंग क्षेत्र के लिनफेन नगर में लियुगोउ कोयला खदान में हुआ और जानमाल की हानि के आंकड़ों में इजाफा हो सकता है।
आज रात हुए एक और खदान हादसे में 24 खनिक बाढ़ प्रभावित हीलोंगजियांग प्रांत के हेंगशान जिले के जिक्सी सिटी में स्थित खदान में फंसे हुए हैं। सरकारी मीडिया में कहा गया है कि उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि चीन में उचित सुरक्षा उपायों की कमी के कारण होने वाली खदान दुर्घटना में हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं।
इस बीच, मध्य चीन के हूनान प्रांत की राजधानी चांग्शा सिटी में कल हुए बम विस्फोट में मरने वालों की संख्या बढ़कर चार हो गई है। यह जानकारी पुलिस ने दी।

Wednesday, July 28, 2010

पीथमपुर में ही डंप होगा कारबाइड का 347 मीट्रिक टन कचरा

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार कर चुकी है तय, मानसून सत्र में हुआ खुलासा,
भोपाल कारबाइड में रखा है 347 मीट्रिक टन जहरीला कचरा


भोपाल, 28 जुलाई एजेंसी

आखिर केंद्र के मनसूबे साफ हो ही गए। तीन साल पहले रातों रात भोपाल के यूनियन कारबाइड के हजारों टन जहरीले कचरे को इंदौर के पास स्थित सेज पीथमपुर की एक फैक्ट्री में जला दिया गया। अदालत के फैसला आने के बाद इस मुद्दे के गरम होने के बाद पीथमपुर के आस पास के ग्रामीणों ने जहरीले कचरे के जलाए जाने के बाद भूगर्भ जल के जहरीले होने की बात उठाई और विरोध शुरू हुआ। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इस बारे में गलत जानकारी देते रहे। हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भी उस गांव का दौरा किया था और आश्वासन दिया था कि अब आगे से यहां कचरा नहीं जलाया जाएगा। लेकिन मंगलवार को संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार अपना मंतव्य साफ कर ही दिया।
भोपाल गैस त्रासदी के बाद से यूनियन कारबाइड के बंद पड़े कारखाने में 347 मीट्रिक टन जहरीला रासायनिक कचरा पड़ा हुआ है, जिसके निष्पादन का निर्णय पीथमपुर स्थित 'ट्रीटमेंट, स्टोरेज एण्ड डिस्पोजल फैसिलिटीÓ (टीएसडीएफ) में किया गया है। यह जानकारी आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कांग्रेस की कल्पना परूलेकर के एक लिखित प्रश्न के जवाब में दिया। उन्होंने कहा कि इस कचरे में 96 मीट्रिक टन सेविन एवं नफ्थाल रेसिड्यू, 30 मीट्रिक टन रिएक्टर रेसिड्यू, 56 मीट्रिक टन सेमीप्रोसेस्ड पेस्टीसाइड्स एवं 165 मीट्रिक टन एस्केवेटेड वेस्ट शामिल है।
इसी बीच माकपा ने कहा है कि वह इस सत्र में भोपाल कांड का मुद्दा प्रमुखता से उठाएगी। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, 'डाउू केमिकल्स पर परमाणु कचरा साफ करने की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। अमेरिका के साथ भारत की सामरिक साझेदारी है, ऐसे में उसे राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस फैसले से सबक लेना चाहिए, जिसमें ब्रिटिश पेट्रोलियम पर खाड़ी में तेल बहने के मामले में भारी मुआवजा देने के लिए कहा गया था।Ó
आवास एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस कचरे को नष्ट करने के लिए आवास एवं पर्यावरण विभाग ने अलग से कोई नीति तय नहीं की है और किसी कंपनी को इसका ठेका भी नहीं दिया है। यह प्रश्न मूलत: गैस राहत विभाग से संबंधित है, लेकिन विभाग को मिली जानकारी के अनुसार यह कचरा पीथमपुर (धार) स्थित टीएसडीएफ में ले जाने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है।
मलैया ने कहा कि प्रदेश के समूचे खतरनाक कचरे को नष्ट करने के लिए इस एकमात्र टीएसडीएफ का निर्माण राज्य औद्यौगिक विकास निगम, पीथमपुर ऑटो क्लस्टर लिमिटेड एवं मेसर्स रामकी एनवायरो इंजीनियरिंग लिमटेड द्वारा किया गया है।
कल्पना द्वारा यह पूछने पर कि इस कचरे के दुष्प्रभावों को कम करने एवं इसे नष्ट करने के लिए विभाग ने कितनी राशि खर्च की है तथा कचरे से कौन-से प्रभाव मानव शरीर के विरुद्ध राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने चिह्नित किए हैं, आवास एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस बारे में विभाग ने कोई राशि खर्च नहीं की है, इसलिए शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।

श्रमिकों की खराब स्थिति पर दक्षिणपंथी ट्रेड यूनियन को चिंता !

बीकानेर, 28 जुलाई
भारतीय मजदूर संघ श्रमिकों की खराब स्थिति के कारण राजस्थान में पनप रहे नक्सलवाद एवं माओवाद पर चिंता व्यक्त की है।
भारतीय मजदूर संघ प्रदेश कार्य समिति की बैठक में अखिल भारतीय असंगठित मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री के.लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि नक्सलवाद और माओवाद की जड़ें दिल्ली तक जम चुकी है। देश में श्रमिकों को न्याय नहीं मिल रहा है।
प्रदेश मंत्री गौरीशंकर व्यास ने कहा कि असंगठित मजदूरों को एकजुटता दिखाने की आवश्यकता है। जब तक मजदूर एक नहीं होगा तब तक उसका हक मिलना नामुमकिन है।

हालांकि यह अलग बात है कि देश में मजदूरों की दयनीय हालत के लिए ये ही ट्रेड यूनियनें जिम्मेदार हैं।

इराक जाने वाले मजदूरों से प्रतिबंध हटा सकता है नेपाल

काठमांडो 28 जुलाई

नेपाल सरकार काम की तलाश में इराक जाने वाले मजदूरों से संभवत: प्रतिबंध हटा लेगी। नेपाली विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि विदेश सचिव मदन कुमार भटराई ने तत्काल प्रतिबंध हटाने की सिफारिश की है लेकिन इसके लिए श्रम मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि श्रम मंत्रालय संभवत: एक-दो दिन में प्रतिबंध हटा लेगा। वर्तमान में इराक में 40 हजार से अधिक नेपाली मजदूर अवैध माध्यमों के जरिए काम कर रहे हैं।
मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि इराक में इस समय नेपाल का राजनयिक मिशन नहीं है ्र इसलिए विदेश मंत्रालय पाकिस्तान स्थित अपने दूतावास के जरिए मजदूरों की समस्याओं से संबंधित मुद्दों को देखेगा।
बगदाद में एक आतंकी समूह द्वारा 12 नेपाली मजदूरों की हत्या कर दिए जाने के बाद अगस्त 2006 में नेपाल सरकार ने मजदूरों के इराक जाने पर रोक लगा दी थी। उल्लेखनीय है कि इराक में मजदूरों के मारे जाने के बाद नेपाल में दंगे भड़क उठे थे।

केरल ने रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी बढाने की मांग की

तिरूवनंतपुरम, 28 जुलाई
केरल ने राज्य में जीवन स्तर के मानकों पर विचार करते हुए केन्द्र से राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत काम कर रहे मजूदरों की मजदूरी बढाने की मांग की।
स्थानीय प्रशासन मंत्री पलोली मोहम्मद कुट्टी ने प्रश्न काल के दौरान विधानसभा में कहा कि राज्य इस बारे में पहले ही केन्द्र को लिख चुका है लेकिन अभी उसे कोई जवाब नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि अगर कोई पंचायत धान के खेतों को भरकर विकसित की गई जमीनों पर घर बनाने की अनुमति देती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने इसके पर्यायवरण और खाद्य सुरक्षा पर बुरे प्रभाव को देखते हुए धान के खेतों पर दावे की जांच करने के लिए कुछ कठोर नियम लागू किए हैं।

मजदूरों के साथ बलवा करने वाले छह पुलिस कर्मी गिरफ्तार

डीबी पावर प्लांट में ग्रामीणों और मजदूरों के साथ की थी मारपीट
रायगढ़ 28 जुलाई

छत्तीसगढ के जांजगीर चांपा जिले में डीबी पावर प्लांट के छह सुरक्षा कर्मियों को पुलिस ने ग्रामीणों एंव मजदूरों के साथ बलवा और मारपीट करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस अधिकारियों ने आज बताया कि डी बी पावर प्लांट के इन सभी छह सुरक्षा कर्मियों को 5-5 हजार रूपए की जमानत पर कल शाम डभरा थाने से रिहा कर दिया गया। डभरा पुलिस ने अवधराम महिलाने की रिपोर्ट पर पृथ्वीराज सिहं सहित छह सुरक्षा कर्मियों के विरूद्ध मामला दर्ज किया था। इन सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों पर दर्ज प्राथगिकी में आरोप है कि 5 जुलाई को बारादर निर्माणाधीन 1200 मेगावाट के डीबी पावर प्लांट में भूमि अधिग्रहण का मुआवजा और नौकरी की मांग कर रहे ग्रामीणों के साथ मारपीट की। इसमें बारह ग्रामीणों को चोटे आई।
पुलिस ने डीबी पावर प्लांट के महाप्रबन्धक राजीव गुप्ता की रिपोर्ट पर 5 जुलाई को 178 ग्रामीणों एंव मजदूरों के विरूद्ध तोड़ फोड़ और लूट-पाट का गैरजमानती मामला दर्ज किया।

चीन में फैक्टरी में विस्फोट, 12 मरे

बीजिंग, 28 जुलाई
पूर्वी चीन की एक प्लास्टिक और रसायन फैक्टरी में गैस पाइपलाइन से गैस का रिसाव होने के बाद हुए जोरदार धमाके में कम से कम 12 लोगों की मृत्यु हो गई और 300 अन्य लोग घायल हो गए। जियांगसू प्रांत की राजधानी नानजिंग शहर में लगी आग ने फैक्टरी को मलबे में तब्दील कर दिया और आस-पास के भवनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
घायलों को जिन स्थानीय अस्पतालों में पहुंचाया गया वहां रक्त की कमी हो गई और अधिकारियों ने लोगों से रक्तदान करने की अपील की। सरकारी टेलीविजन ने बताया कि 12 लोगों की मृत्यु हुई। इससे पहले, सरकारी शिन्हुआ संवाद समिति ने मरने वालों की संख्या छह बताई थी। बेकार प्लास्टिक और रसायन की फैक्टरी में सुबह दस बजकर 10 मिनट पर हुआ यह धमाका इतना जोरदार था कि 300 मीटर की दूरी तक के मकानों की खिड़कियां और दरवाजों के परखच्चे उड़ गए। विस्फोट की आवाज सुनकर लोग अपने घरों से भाग निकले।
स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्हें भूकंप के झटके की तरह महसूस हुआ और जोरदार आवाज सुनाई पड़ी। अनेक लोग भूकंप आने की बात समझकर अपने घरों से बाहर निकल आए ।

जुझारू संघर्ष से बांग्लादेशी कपड़ा मजदूरों ने जीती न्यूनतम वेतन बढ़ाने की लड़ाई


वर्तमान मजदूरी- 1622 टका सरकार राजी- 3000 टका, मजदूरों की मांग-5000 टका की
बुधवार, जुलाई 28

आखिर बांग्लादेश के कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों ने वेतन बढोत्तरी की जंग जीत ली है। हालांकि यह अभी यह आंशिक ही सफलता कही जाएगी क्योंकि ट्रेड यूनियनों ने पांच हजार टका की मांग रखी थी जबकि सरकार तीन हजार देने पर राजी हुई है। इससे पहले उन्हें बमुश्किल डेढ़ से दो हजार टका न्यूनतम मजदूरी मिलती थी।
बांग्लादेश में अधिकारियों ने कहा है कि कपड़ा फ़ैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन दोगुना किया जाएगा। वेतन को लेकर कर्मचारी पिछले कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और ये विरोध प्रदर्शन हिंसक भी हो गया था.पहले मज़दूरों को हर महीने 1622 टका (25 डॉलर) मिलते थे पर अब ये राशि बढ़कर तीन हज़ार हो जाएगी। बेहतर वेतन और काम करने के हालात को लेकर मज़दूरों और पुलिस के बीच कई बार झड़पे हुई हैं। पिछले महीने विरोध प्रदर्शन के बाद करीब 250 कपड़ा फ़ैक्ट्रियाँ बंद कर दी गई थीं।
कर्मचारी चाहते थे कि वेतन पाँच हज़ार टका कर दिया जाए। आख़िरी बार तनख़्वाह 2006 में बढ़ाई गई थी। कई विदेशी ब्रैंड बांग्लादेश से बनकर आए कपड़े बेचते हैं जैसे वॉलमार्ट, टेस्को, एच एंड एम, मार्क्स एंड स्पेंसर और ज़ारा। कपड़ा उद्योग को बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। देश के कुल नियार्त से होने वाली 80 फ़ीसदी कमाई इसी उद्योग से आती है।

विरोध प्रदर्शन

बांग्लादेशी कपड़ा उद्योग पर ये आरोप लगाए गए थे कि फ़ैक्ट्रियों में मज़दूरों का शोषण होता है। इसके बाद कई विदेशी कंपनियों ने बांग्लादेश सरकार से कहा था कि वो मज़दूरों का न्यूनतम वेतन बढ़ाए। सरकारी अधिकारियों, यूनियन नेताओं और उद्योग से जुड़े लोग वेतन बढ़ाने पर कुछ समय से बातचीत कर रहे थे। न्यूनतम वेतन सरकारी बोर्ड के प्रमुख ने एएफ़पी को बताया है कि न्यूनतम वेतन तीन हज़ार टका होगा जिसमें मेडिकल और हाउसिंग भत्ता शामिल है। एक यूनियन अधिकारी ने बताया है कि ये प्रस्ताव मान लिया गया है हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि सभी यूनियन इसे मानेंगी या नहीं। इससे करीब 25 लाख मज़दूर प्रभावित होंगे।

Tuesday, July 27, 2010

तस्वीरों में आज




१-सोयेपुर (वाराणसी) में अगरबत्ती बनाते बच्चे।
२-मंगलवार को पटना में एआईसीटीयू के बैनरतले नीतीश सरकार की नीतियों का विरोध करते ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता।

ठेकेदार ने मजदूर को पीट पीट कर हत्या की

लखनऊ, 27 जुलाई
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र में २६ जुलाई-दिन सोमवार को लेन देन के विवाद को लेकर नशे में धुत एक ठेकेदार ने मजदूर की पीट-पीट कर हत्या कर दी और फरार हो गया। पुलिस सूत्रो ने बताया एक कंपनी के ठेकेदार ने अपने मजदूर से पैसे के लेन देने को लेकर हुए विवाद के बाद उसके सिर पर तसले से प्रहार कर दिया जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हेा गई। ठेकेदार इस वारदात को अंजाम देकर फरार हो गया।
मृत मजदूर के साथियों ने ठेकेदार के खिलाफ नामजद प्राथमिकी पुलिस में दर्ज कराई है। पुलिस ठेकेदार की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है।

दिल्ली में 8 मजदूरों को कुचलने वाला मेडिकल का छात्र गिरफ्तार

चार मजदूरों की मौत, चार गंभीर
ठेकेदार की चूक सामने आई, सड़क पर लगा रखा था कारपेंटर मजदूरों को

नई दिल्ली, 27 जुलाई
दक्षिण दिल्ली में अपनी तेज गति वाली कार से आठ मजदूरों को कुचलने वाले मेडिकल के एक छात्र को मंगलवार को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह देश छोड़कर भागने की कोशिश कर रहा था। इस हादसे में चार मजदूरों की मौत हो गई है।
राजस्थान के अलवर जिला निवासी शाहिद को यहां हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया। वह यूक्रेन से एमबीबीएस कर रहा है।
शाहिद द्वारा कथित रूप से चलाई जा रही होंडा सिटी कार ने २६ जुलाई को तड़के सफदरजंग फ्लाईओवर के पास आठ मजदूरों को रौंद दिया था। इस हादसे में चार मजदूरों की मौत हो गई है जबकि एक महिला सहित चार अन्य मजदूर घायल हो गए। यह लोग सड़क की मरम्मत का कार्य कर रहे थे।
शाहिद दुर्घटना के बाद घटनास्थल से फरार हो गया। यह शक जताया गया है कि उसने शराब पी रखी थी।
पुलिस ने बताया कि वह अपने दो दोस्तों शाहजाद :18: और आलम खान:23: के साथ महरौली के अउला गांव स्थित आलम के घर में पार्टी में शामिल होने के बाद लौट रहा था, तभी रात के दो बजे यह हादसा हुआ। पता चला है कि उन्होंने १२ बोतल बीयर पी रखी थी और शाहिद एक महीने की छुट्टी पर भारत आया था। लेकिन दुर्घटना होने के मंगलवार को देश छोड़कर भागने की योजना बना ली।

6 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ट्रक आपरेटर

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के आह्वान पर 62 लाख ट्रक सड़कों से होंगे नदारद
नई दिल्ली, 27 जुलाई
वर्तमान टोल नीति के विरोध तथा टोल कर की दरों में कमी की मांग को लेकर ट्रक आपरेटरों ने आगामी छह अगस्त से हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने कहा कि ६ अगस्त से करीब 62 लाख ट्रक सड़कों से हट जाएंगे। जिससे देशभर में माल का आवागमन ठप हो जाएगा। एआईएमटीसी ने कहा कि 'गलतÓ टोल नीति से उन्हें रोजाना 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
एआईएमटीसी के अध्यक्ष जी आर षणमुगप्पा ने यहां संवाददाताओं से कहा,'एआईएमटीसी की प्रबंधन समिति को यह कड़ा कदम इसलिए उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि सरकार बार-बार मांग किए जाने के बावजून टोल संग्रहण को तर्कसंगत बनाने में विफल रही है।Ó
एआईएमटीसी टोल शुल्क तथा डीजल कीमतों को तर्कसंगत बनाने तथा टायरों पर डंपिंग रोधी शुल्क हटाने की मांग कर रही है।
षणमुगप्पा ने कहा कि हमने अपने फैसले के बारे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को अवगत करा दिया था, पर इसके बावजूद सरकार इस मसले को सुलझाने में असफल रही है।

Monday, July 26, 2010

पूर्वी दिल्ली में घरेलू नौकर ने आत्महत्या की

नई दिल्ली, 25 जुलाई
पूर्वी दिल्ली में एक घरेलू नौकर ने अपनी खराब माली हालत और गुलामी जैसी जिंदगी से परेशान होकर सोमवार को अपने मालिक के घर में आत्महत्या कर ली। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार घरेलू नौकर विपिन (25) का शव यहां न्यू अशोक नगर में अपने मालिक चंदन सिंह के घर पर लटका हुआ मिला। इस घर में नहीं रहने वाले सिंह आज सुबह यह देखने आए थे कि सब कुछ ठीकठाक है या नहीं, तब उन्हें उसकी लाश मिली।
सिंह तुरंत विपिन को नजदीक के अस्पताल ले गए जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
विपिन की महज दो महीने पहले ही शादी हुई थी। उसकी पत्नी उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में उसके पैतृक गांव में है।
अधिकारी के अनुसार विपिन ने हाल ही सिंह से 15000 रुपए उधार लिए थे लेकिन उसके परिवार वाले उससे और पैसे की मांग कर रहे थे। राजधानी क्षेत्र में लाखों की तादात में घरेलू मजदूर काम कर रहे हैं लेकिन उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया है। कई जगह तो स्थिति इतनी बुरी है कि इनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है। ज्यादातर घरेलू नौकर नाबालिग और लड़कियां होती हैं। बाल श्रम पर प्रतिबंध लगने के बावजूद इनकी तादात काफी ज्यादा है।

Sunday, July 25, 2010

क्या घरेलू महिलाओं की हालत वेश्याओं और भिखारियों जैसी नहीं है

वेश्याओं, भिखारियों से गृहिणियों की तुलना करने पर सरकार की खिंचाई
संदीप राऊजी

अंततः यह साफ हो गया कि भारत का शासक वर्ग की नजरों में घरेलू औरतों की क्या इज्जत है। वैसे तो कई विद्वानों ने गृहस्थी को संस्थागत वेश्यावृत्ति का नाम दिया है और दुनिया के हर पूंजीवादी समाजों पर समान रूप से लागू होता है लेकिन भारतीय पूंजीवादी शासक पहली बार एक्सपोज हुआ। जनगणना में भारत सरकार ने घरेलू महिलाओं को भिखारी और वेश्याओं के समान कहा है जो कोई श्रम नहीं करती हैं और बैठे ठाले देश की धरती पर बोझ हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को इस पर लताड़ लगाई है लेकिन क्या वाकई इस देश में और दक्षिण एशिआई देशों में ऐसी स्थित नहीं है। सिर्फ यहीं क्यों नहीं सभी देशों में यही स्थित है। अब जरा खबर पर नजर दौड़ाते हैं....
सुप्रीम कोर्ट ने २३ जुलाई को जनगणना में गृहिणियों को वेश्याओं, भिखारियों और कैदियों के साथ एक सूची में रखने और आर्थिक रूप से उन्हें गैर-उत्पादक श्रमिक बताए जाने के लिए सरकार की खिंचाई की है। होममेकर यानी हाउस वाइफ महिलाओं की तुलना ऐसे वर्ग से किए जाने पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय ने कहा कि यह रवैया महिलाओं के खिलाफ लैंगिक पूर्वाग्रह का संकेतक है।
न्यायालय ने संसद से मोटर वाहन कानून की समीक्षा करने को कहा ताकि दुर्घटना की स्थिति में गृहिणी की मौत होने पर परिवार के सदस्यों को उचित मुआवजा मिल सके और लैंगिक पूर्वाग्रह को टाला जा सके।
पीठ ने अलग लेकिन समरूपी फैसलों में वैवाहिक कानूनों में भी संशोधन किए जाने का सुझाव दिया ताकि महिलाओं को समाज में उन्हें यथोचित दर्जा हासिल हो सके।
न्यायालय ने कहा कि जनगणना के कार्य में भी यह स्तब्धकारी भेदभाव मौजूद है। 2001 की जनगणना में ऐसा प्रतीत होता है कि जो खाना पकाने, बर्तन साफ करने, बच्चों की देखभाल करने, पानी लाने, जलावन एकत्र करने जैसे घरेलू काम करती हैं उन्हें गैर श्रमिक वर्ग में शामिल किया गया है। उनकी तुलना भिखरियों, वेश्याओं और कैदियों के साथ की गई है तथा जनगणना के अनुसार वे आर्थिक रूप से उत्पादक कार्य में शामिल नहीं हैं।
यह खबर भले ही घरेलू महिलाओं के बारे में हमारी सोच में बदलाव का संकेत है लेकिन वास्तविक स्थिति के बारे में सचेत भी कर रही है। शायद इसे डिसआनर किलिंग से जोड़ कर भी देखा जाना चाहिए।

बाल्को चिमनी हादसा, सीइओ को नोटिस

23 दिसंबर 2010 की शाम निर्माणाधीन चिमनी के गिरने से 40 मजदूरों की हुई थी मृत्यु
कोरबा, 23 जुलाई

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में अदालत ने बाल्को चिमनी हादसा मामले में बाल्को के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कोरबा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने आज बाल्को के मुख्य कार्यपालिक अधिकारी गुंजन गुप्ता को नोटिस जारी कर 31 जुलाई तक इस मामले में अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
जिला मुख्यालय स्थित अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में आज बाल्को हादसा मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने गुप्ता को इस महीने की 31 तारीख तक जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा।
कोरबा जिले के बाल्को क्षेत्र में पिछले साल 23 सितंबर की शाम निर्माणाधीन विद्युत संयंत्र की चिमनी गिरने से इसमें दबकर 40 लोगों की मौत हो गई थी।
हादसे के बाद पुलिस ने इस मामले में बाल्को के उपाध्यक्ष विरल मेहता और चिमनी निर्माण करने वाली चीनी कंपनी के अधिकारियों समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। अभी सभी अधिकारी जमानत पर रिहा हो गए हैं।
इधर राज्य शासन ने इस मामले की न्यायायिक जांच भी शुरू कर दी है तथा जांच के लिए एक सदस्ईय आयोग का गठन किया गया है। मामले की न्यायायिक जांच जारी है।