Saturday, May 29, 2010

प्रफुल्ल पटेल ये कौन सी भाषा बोल रहे हैं


अनुशासनहीनता बर्दाश्त
नहीं की जाएगी

प्रबंधन को खुल्ली छूट, कुछ भी करो

(एक समाचार टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार को हूबहू यहां दिया जा रहा है।-मॉडरेटर)


नई दिल्ली, एजेंसी : नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि एयर इंडिया में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और उन्होंने प्रबंधन को हाल में हुई हड़ताल जैसे व्यवधानों से निपटने के लिए पूरी स्वतंत्रता दी है।पटेल ने एक समाचार चैनल के लिए करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'मैंने प्रबंधन को यह स्पष्ट कर दिया था कि आपको पूरी आजादी है और इन हालात में जो कुछ जरूरी है, वह आपको करना चाहिए। इस (हड़ताल) तरह की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।Óयह पूछे जाने पर कि क्या हड़ताल पर जाने के लिए और कर्मचारियों को बर्खास्त किया जाएगा, उन्होंने कहा 'अगर उन्हें (एयर लाइन प्रबंधन को) लगता है तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे।Ó एयर लाइन प्रबंधन ने दो यूनियनों की मान्यता खत्म करने और यूनियन नेताओं को बर्खास्त करने का फैसला किया है। इस बारे में सरकार की दूरी बनाए रखते हुए पटेल ने कहा कि फैसला करना प्रबंधन का जिम्मा है।उन्होंने कहा कि एयर इंडिया और इंडियन एयर लाइंस का विलय एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है और अंदर से ही इसका विरोध किया गया तथा ऐसे सुनियोजित प्रयास किए गए ताकि यह विलय सफल न हो। इसके लिए कुछ यूनियनें भी जिम्मेदार हैं।नागरिक उड्डयन मंत्री ने माना कि विलय में विलंब हुआ है लेकिन उन्होंने कहा कि विलय एक दिन में होने वाली प्रक्रिया नहीं है। प्रक्रिया में तीन से पांच साल लगते हैं। यह कहना गलत है कि इसमें अंदरूनी कारणों या पुरानी समस्याओं के कारण विलंब हुआ।पटेल ने कहा, 'विलंब हुआ। इस पर संगठन को काम करना था, लेकिन मुझे अब भी लगता है कि अगर लोग इसे अंजाम नहीं देते तो दीर्घकालिक तौर पर उन्हें नुकसान होगा।Ó उन्होंने कहा कि एयर इंडिया की सभी समस्याओं के लिए विलय को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए।पटेल ने कहा कि समस्याओं का कारण विलय नहीं है, अन्य समस्याएं हैं। संगठन में दो हिस्से हैं ़ ़ एक है घरेलू परिचालन का जो पूर्व में इंडियन एयरलाइंस था और दूसरा एअर इंडिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मूल तौर पर सब कुछ गलत था। पूरा ढांचा बनाने में समय लगेगा।उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि विलय के बारे मेंं विचार मैंने किया। विलय की चर्चा मंत्रिमंडल में जेआरडी टाटा के दिनों से चल रही थी। प्रयोग हुए लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिरकार यह हो गया।Óपटेल ने जेट एयरवेज-एअर सहारा, एअर डेक्कन-किंगफिशर और अमेरिका में इंटरनेशनल कांटीनेंटल तथा यूनाइटेड एयरलाइन्स के विलय का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विलय लाभकारी रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या एयर इंडिया को पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता, और कब इसे बंद कर दिया जाना चाहिए, पटेल ने कहा, 'यह फैसला मैं नहीं कर सकता। यह एक बड़ा मामला है और इस पर फैसला सरकार करेगी। ऐसा मत कहिए कि एअर इंडिया में कुछ भी ठीक नहीं है।Ó उन्होंने कहा, 'आप एक बड़ा मुद्दा उठा रहे हैं कि क्या सरकार को एयरलाइंस का संचालन करना चाहिए या नहीं। सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की एयरलाइंस के संचालन में अंतर है।Óपटेल से पूछा गया कि सरकार इसके निजीकरण के लिए और इसे पेशेवर हाथों में सौंपने के लिए क्यों तैयार नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि पहले ऐसे प्रयास हुए हैं। राजग के शासनकाल में, जब कोशिश की गई तो उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसलिए इसका निजीकरण नहीं हो पाया।इस सवाल पर कि क्या एयर एंडिया के नए सीओओ गुस्ताव बाल्दौफ को पूरी स्वतंत्रता दी जाएगी या उनके कामकाज में हस्तक्षेप होगा, पटेल ने कहा, 'बिल्कुल नहीं। उन्हें पूरी स्वतंत्रता होगी। आज तक वहां पूरी आजादी है।Ó

एयर इंडिया के विवाद में प्रधानमंत्री का हस्तक्षेप हो : सीटू

नई दिल्ली, 29 मई : प्रमुख ट्रेड यूनियन संगठन े सीटू े ने एयर इंडिया के विवाद को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हस्तक्षेप करने की मांग की है। सीटू का कहना है कि एयर इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अरविन्द जाधव की जोर जबर्दस्ती की नीति और संगठन में बड़े पैमाने पर उत्पीडऩ के कारण उसके कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और सीटू के उपाध्यक्ष एम के पंधे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि एयर इंडिया के प्रमुख जाधव खुलकर साम्प्रदायिक तत्वों को बढ़ावा दे रहे हैं और मान्यताप्राप्त यूनियनों को कुचलने में लगे हैं। पंधे ने कहा है कि एयर इंडिया के कर्मचारियों ने एयरलाइन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक की जोर जबर्दस्ती की नीति का विरोध करने के लिए ही 12 जून को एक दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। यदि उस दिन हड़ताल होती है तो इससे कुछ दिन यात्रियों को भारी मुसीबत होगी और इसके लिए केवल एयर इंडिया का प्रबंध तंत्र ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा है। ै मुझे उम्मीद है कि आप इन बातों पर ध्यान देंगे और विवाद में हस्तक्षेप तक स्थिति सामान्य करेंगे ताकि एयर इंडिया निजी विमान कंपनियों की ओर से पेश की जा रही ओछी प्रतिस्पर्धा के बावजूद तरक्की कर सके। ै उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल और जाधव निजी कंपनियों के हितों को बढ़ाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि यदि उच्च स्तरीय जांच कराई जाती है तो यह साबित हो जाएगा कि ए दोनों निजी कंपनियों के फायदे के लिए एयर इंडिया का नुकसान करने में लगे हैं।

जापान में हजारों अनियमित कर्मचारियों के नौकरियां जाएंगी

टोक्यो, 29 मई : जापान में अक्टूबर 2008 से इस साल जून तक 5,252 कारोबारी कार्यालयों के कुल 2,77,674 अनियमित कर्मचारियों को अपने नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। जापान के स्वास्थ्य, श्रम एवं कल्याण मंत्रालय के द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में उन श्रमिकों भी शामिल किया गया है जिनके अनुबंध को दोबारा नहीं बढ़ाया गया था। मंत्रालय ने इनकी संख्या में 2660 की बढ़ोतरी दर्ज की। इस सर्वेक्षण में 19 मई तक के आकड़े को शामिल किया गया है। हालांकि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले सर्वेक्षण की तुलना में इस बार अनियमित मजदूरों के रोजगार में ज्यादा स्थायित्व दिखाई दे रहा है।ÓÓ जापान में मोटरवाहन उद्योग का केन्द्र कहे जाने वाले शहर आएची में सर्वाधिक लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। यहां कुल 45,355 अनियमित कामगारों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है। इसके अलावा टोक्यो में 16,581 और सिजुओका में 11,342 लोगों की नौकरी जा सकती है।

होजरी उद्योग के मजदूरों का मेहनताना बढ़ा

कानपुर, 29 मई : होजरी उद्योग से जुड़े मजदूरों के मेहनताना बढ़ाने की मांग को मान लिया गया है। होजरी उद्योग के मजदूर लगभग पिछले एक माह से अपने मेहनतान में बढ़ोतरी को लेकर आन्दोलनरत थे। होजरी उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उन्हें नई सिलाई मशीनें खरीदने के लिए सरकार से सहायता दिलाने के प्रयास किए जाएंगे। मेहनताने में बढ़ोत्तरी की मांग को लेेकर शहर के 200 करोड़ रूपए के होजरी उद्योग में लगे करीब 10 हजार मजदूर पिछले एक महीने से कार्य बहिष्कार कर रहे थे। होजरी कंपनी के मालिकों की मानें तो हड़ताल से उद्योग को करोड़ों रूपए का नुकसान हो चुका है। उत्तर प्रदेश होजरी मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के संरक्षक और प्रसिद्ध होजरी निर्माता बलराम नरूला ने आज 'भाषाÓ को बताया कि मजदूरों और होजरी उद्योग के मालिकों का समझौता हो चुका है और मजदूर काम पर वापस लौट रहे हैं। उन्होंने बताया कि मजदूरों की मजदूरी में प्रति दर्जन बनियान की सिलाई में तीन रूपए से साढ़े तीन रूपए की बढ़ोत्तरी कर दी गई है। पहले मजदूूरों को प्रति दर्जन बनियान की सिलाई के लिए 26 रुपए मिलते थे जो अब बढ़कर 29 रुपए और 29 रुपए पचास पैसे हो गए है। इसी तरह अंडरवियर की सिलाई, अंडर गारमेंट की सिलाई, कटाई और उनकी पैकिंग तथा प्रेस आदि के लिए भी मजदूरी बढ़ा दी गई है और अब मजदूरों में मंहगाई को लेकर कोई आक्रोश नहीं है।जारी भाषा जफरगौरतलब है कि तमिलनाडु के तिरूपुर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बाद होजरी अंडर गारमेंट उद्योग में उत्तर प्रदेश के कानपुर का तीसरा स्थान है। यहां होजरी की विभिन्न उत्पादन :बनियान और अंडरवियर बनाने वाली: प्रक्रिया में छोटी बड़ी करीब 500 इकाइयां काम कर रही है, जबकि सिलाई और अन्य छोटे-मोटे कामों के लिए करीब इतने ही लघु उद्योग की इकाइयां अलग है। औद्योगिक शहर कानपुर में 200 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार वाली करीब 500 होजरी इकाइयां हैं। भारतीय होजरी मजदूर संघ के महामंत्री मनीराम अग्रवाल कहते हैं कि इस उद्योग में कई स्तर पर मजदूर काम करते है। इसमें सिलाई का काम करने वाले मजदूर, धुलाई का काम करने वाले मजदूर सब अलग अलग होते हैं और इन्हें मजदूरी प्रति पीस के हिसाब से दी जाती है। मजदूरी आदि मिला कर एक मजदूूर औसतन प्रति माह चार से पांच हजार रुपए कमा लेता है। मजदूरों के प्रति पीस हिसाब से मेहनताना हर तीसरे साल बढ़ता है लेकिन इस मंहगाई में इस मजदूरी से खर्चा पूरा नही होता है। होजरी मजदूरों की मांग थी कि उनके मेहनताने में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जाए। मजदूर अपनी इस मांग को लेकर पिछले करीब एक माह से काम का बहिष्कार कर रहे थे। होजरी मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के संरक्षक बलराम नरुला ने कहा कि सूत के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी और बिजली की कटौती से होजरी उद्योग वैसे ही संकट में था, अब मजदूरों की हड़ताल से इस उद्योग की और कमर तोड़ दी। उन्होंने कहा कि मजदूूरों की एक अन्य मांग नई मशीनें दिलाने की है। इस बारे में सरकार के प्रतिनिधियों से बात की जाएगी कि मजदूूरों को उन्नत प्रौद्योगिकी की मशीने दिलाई जाएं ताकि वह अपना काम और बेहतर ढंग से कर सकें। नरुला कहते हैं कि पिछले वर्ष दीवाली के समय जो सूत 110 से 120 रुपए प्रति किलो बिक रहा था वह अब 155 से 165 रूपए प्रति किलो मिल रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि देश में रूई की भरपूर फसल होने व रूई के दामों में अपेक्षाकृत न्यून्तम बढ़ोत्तरी होने के बावजूद सूत के दामों में इतनी अधिक बढ़ोत्तरी कैसे हो रही है। वह कहते है कि मार्च 2010 में सूत के दामों में करीब 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि रूई के दामों में केवल डेढ़ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वह कहते हैं कि इसके साथ साथ प्रदेश में बिजली की कमी भी इस उद्योग की बर्बादी का एक बड़ा कारण है। सुचारू रूप से सूत की आपूर्ति न होने से उत्पादन पर असर तो पड़ ही रहा था अब समय पर पर्याप्त बिजली न मिलने से होजरी उद्योग में उत्पादन लागत पहले से बहुत अधिक बढ़ गई है।

पेपर मिल के बर्खास्त मजदूर चिमनी पर चढ़े

स्टार पेपर मिल प्रबंधन ने कर दिया है बर्खास्त
हाथों में मिट्टी तेल की बोतलें लिए दी आत्मदाह की चेतावनी
डीएम, एसएसपी व मिल प्रबंधन के समक्ष हुई वार्ता रही बेनतीजा
सहारनपुर, एजेंसी : नौकरी की बहाली को लेकर स्टार पेपर मिल प्रबंधन के आश्वासनों से आजिज दो मजदूरों ने शनिवार को मिल की चिमनी पर चढ़कर आत्मदाह की धमकी दी। दोनों मजदूर सौ फुट ऊंची चिमनी पर चढ़ गए। दिनभर वार्ता का दौर चला, लेकिन शाम तक बेनतीजा रही। स्टार पेपर मिल परिसर स्थित चिमनी पर सुबह छह बजे मिल प्रबंधन द्वारा बर्खास्त कर दिये गये मजदूर ऋषिपाल व परमहंस मिट्टी तेल की बोतलें लेकर चढ़ गए। इनका कहना था कि यदि आज मिल प्रबंधन ने उनकी बहाली का निर्देश जारी नहीं किया तो वे यहीं आत्मदाह कर लेंगे। यह सूचना जैसे ही आला पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंची तो वहां कई थानों की फोर्स पहुंच गई। अफसरों ने ऊपर चढ़े मजदूरों से फोन पर बात की। मजदूरों ने अपना निर्णय साफ कर दिया और नीचे उतरने से मना कर दिया।मिल प्रबंधन अधिकारी आईजी सिंह व एसबी खुल्लर को बुलाया गया तो कर्मचारियों की उनसे भी नोकझोंक हुई। दोपहर बाद डीएम आलोक कुमार व एसएसपी अमित चंद्रा पहुंचे और मिल प्रबंधन से बातचीत की। सहमति बनी कि कर्मचारियों से बात कर मामले का पटाक्षेप किया जाए। कर्मचारी अनिल वर्मा व शिवनाथ को बुलाया गया और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मध्यस्थता में काफी देर बातचीत हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। कर्मचारी अनिल वर्मा का कहना था कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो आत्मदाह किया जाएगा। उधर, मिल प्रबंधन तंत्र भी कर्मचारियों को वापस लेने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा था। समाचार लिखे जाने तक दो कर्मचारी चिमनी पर ही चढ़े हुए थे।

मजदूर और प्रबंधन विवादसहारनपुर : मिल प्रबंधन और मिल कर्मचारियों के बीच विवाद की शुरुआत दीपावली पर हुई। बोनस न देने पर मजदूरों ने सामूहिक छुट्टी ले ली थी। यह बात मिल प्रबंधन को नागवार गुजरी और उसने ऋषिपाल व परमहंस समेत दस कर्मियों को बर्खास्त कर दिया था।















Friday, May 28, 2010

उत्तर प्रदेश की ११ चीनी मिलों निजीकरण के खिलीफ याचिक दायर

नई दिल्ली, 28 मई एजेंसी । सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की 11 चीनी मिलों के निजीकरण के खिलाफ दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया।
प्रदेश की ये 11 चीनी मिलें सरकारी क्षेत्र की कंपनी राज्य चीनी निगम लिमिटेड के अंतर्गत चल रही थीं, लेकिन राज्य सरकार ने इन्हें निजी हाथों में सौंपने का आदेश जारी किया था।
उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश जी. एस. सिंघवी और न्यायाधीश सी. के. प्रसाद की अवकाशकालीन पीठ ने निजीकरण के लिए तीन जून को बोली खोलने पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा कि इस मामले के अंतिम निर्णय में चीनी मिलों को बेचने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों पर विचार किया जाएगा।
पत्रकार राजीव कुमार मिश्रा द्वारा दायर की गई इस याचिका में उत्तर प्रदेश चीनी उपक्रम (अधिग्रहण)(संशोधन) अधिनियम 2009 की धारा 3-ए और 3-बी को चुनौती दी गई है। ये धाराएं सरकार और कंपनियों को मिलों में विनिवेश की मंजूरी देती हैं।

चीन के फैक्ट्री मजदूर कर रहे हैं आत्महत्या


चीन में इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनी के अब तक 9 तनावग्रस्त कर्मचारी कर चुके हैं आत्महत्या


क्लिफोर्ड कूनन, बीजिंग-दक्षिण चीन के शेनजेन में रहने वाले मा जीशान, फॉक्सकान कंपनी के सामने पत्नी और बेटी के साथ अपने मृत बेटे मा शियांगकियान की मौत का सच जानने बैठे हैं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं। शियांगकियान फॉक्सकान में काम करता था। उसने हाल ही में आत्महत्या कर ली। जीशान और उनके परिवार के आंसू नहीं सूख रहे, लेकिन कंपनी के अधिकारियों को कोई परवाह नहीं। पिछले कुछ हफ्तों में फॉक्सकान में काम करने वाले 11 लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की। जिसमें से 9 लोगों की इहलीला समाप्त हो गई।फॉक्सकान में तीन लाख लोग काम करते हैैं। इस कंपनी में आईफोन और आईपैड के अलावा नोकिया, सोनी, एचपी और डेल सरीखी नामी-गिरामी कंपनियों के लिए इलेक्ट्रानिक उत्पाद बनाए जाते हैं। फॉक्सकान के कर्मचारियों द्वारा लगातार आत्महत्या करने के चलते स्थानीय मीडिया कंपनी की बखिया उधेडऩे में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। हाल ही में करीब 200 मीडियाकर्मियों ने सच जानने के लिए फॉक्सकान का जायजा लिया। वहीं, फॉक्सकान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टैरी गुओ ने भी अपनी रणनीति बना रखी थी। टैरी ने पत्रकारों को अच्छी लगने वाली चीजें, कर्मचारियों के आराम करने की जगह (डोरमैट्री), वर्कशॉप, स्टाफ केयर सेंटर और स्वीमिंग पूल दिखाया। टैरी ने तो यहां तक सफाई दी कि उनके कर्मचारियों के आत्महत्या करने से उनकी रातों की नींद उड़ चुकी है। टैरी ने पत्रकारों को वर्कशॉप में ले जाकर कर्मचारियों से भी मिलवाया और उनसे पूछा कि क्या आप यहां काम करके खुश हैं? सभी ने एक सुर में उत्तर दिया, हां। कंपनी के सबसे बड़े अधिकारी के सामने कर्मचारी जो बोल सकते थे, उन्होंने वही कहा। लेकिन सचाई कुछ और थी।ये है सच... : हुनान और हुबेई प्रांतों की कई महिला कर्मचारियों ने शिन्हुआ न्यूज एजेंसी को अपनी आपबीती सुनाई। रोजाना सुबह के साढ़े सात बजे से रात के साढ़े सात (12 घंटे) काम करने के उन्हें महज 92 डॉलर (करीब 4,279 रुपये) मिलते हैं। काम की इतनी व्यस्तता होती है कि बात करना भी दूभर हो जाता है।एक कर्मचारी के मुताबिक 'फॉक्सकान में काम करना काफी थकाऊ है। वहां अकसर रात में काम करना होता है और हर महीने सौ शिफ्ट अतिरिक्त हो जाती है। यह बात अलग है कि हमें उसके पैसे मिलते हैं लेकिन आराम रंच मात्र भी नहीं। काम के बोझ के चलते दो साल के बाद मैंने वह कंपनी छोड़ दी।Ó फॉक्सकान में लोगों को मानसिक परेशानियों से निजात दिलाने के लिए 70 मनोवैज्ञानिक हैैं। लेकिन जब दर्द हद से बढ़ जाए, तो कोई क्या करे। (द इंडिपेंडेंट से साभार)

चीन के फैक्ट्री मजदूर कर रहे हैं आत्महत्या

चीन में इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनी के अब तक 9 तनावग्रस्त कर्मचारी कर चुके हैं


क्लिफोर्ड कूनन, बीजिंग -दक्षिण चीन के शेनजेन में रहने वाले मा जीशान, फॉक्सकान कंपनी के सामने पत्नी और बेटी के साथ अपने मृत बेटे मा शियांगकियान की मौत का सच जानने बैठे हैं। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं। शियांगकियान फॉक्सकान में काम करता था। उसने हाल ही में आत्महत्या कर ली। जीशान और उनके परिवार के आंसू नहीं सूख रहे, लेकिन कंपनी के अधिकारियों को कोई परवाह नहीं। पिछले कुछ हफ्तों में फॉक्सकान में काम करने वाले 11 लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की। जिसमें से 9 लोगों की इहलीला समाप्त हो गई।फॉक्सकान में तीन लाख लोग काम करते हैैं। इस कंपनी में आईफोन और आईपैड के अलावा नोकिया, सोनी, एचपी और डेल सरीखी नामी-गिरामी कंपनियों के लिए इलेक्ट्रानिक उत्पाद बनाए जाते हैं। फॉक्सकान के कर्मचारियों द्वारा लगातार आत्महत्या करने के चलते स्थानीय मीडिया कंपनी की बखिया उधेडऩे में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। हाल ही में करीब 200 मीडियाकर्मियों ने सच जानने के लिए फॉक्सकान का जायजा लिया। वहीं, फॉक्सकान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टैरी गुओ ने भी अपनी रणनीति बना रखी थी। टैरी ने पत्रकारों को अच्छी लगने वाली चीजें, कर्मचारियों के आराम करने की जगह (डोरमैट्री), वर्कशॉप, स्टाफ केयर सेंटर और स्वीमिंग पूल दिखाया। टैरी ने तो यहां तक सफाई दी कि उनके कर्मचारियों के आत्महत्या करने से उनकी रातों की नींद उड़ चुकी है। टैरी ने पत्रकारों को वर्कशॉप में ले जाकर कर्मचारियों से भी मिलवाया और उनसे पूछा कि क्या आप यहां काम करके खुश हैं? सभी ने एक सुर में उत्तर दिया, हां। कंपनी के सबसे बड़े अधिकारी के सामने कर्मचारी जो बोल सकते थे, उन्होंने वही कहा। लेकिन सचाई कुछ और थी।ये है सच... : हुनान और हुबेई प्रांतों की कई महिला कर्मचारियों ने शिन्हुआ न्यूज एजेंसी को अपनी आपबीती सुनाई। रोजाना सुबह के साढ़े सात बजे से रात के साढ़े सात (12 घंटे) काम करने के उन्हें महज 92 डॉलर (करीब 4,279 रुपये) मिलते हैं। काम की इतनी व्यस्तता होती है कि बात करना भी दूभर हो जाता है।एक कर्मचारी के मुताबिक 'फॉक्सकान में काम करना काफी थकाऊ है। वहां अकसर रात में काम करना होता है और हर महीने सौ शिफ्ट अतिरिक्त हो जाती है। यह बात अलग है कि हमें उसके पैसे मिलते हैं लेकिन आराम रंच मात्र भी नहीं। काम के बोझ के चलते दो साल के बाद मैंने वह कंपनी छोड़ दी।Ó फॉक्सकान में लोगों को मानसिक परेशानियों से निजात दिलाने के लिए 70 मनोवैज्ञानिक हैैं। लेकिन जब दर्द हद से बढ़ जाए, तो कोई क्या करे। (द इंडिपेंडेंट)

Thursday, May 27, 2010

झांसी में ढही चिमनी के मलबे से मजदूर का शव बरामद

बुधवार, मई २६, झांसी, एजेंसीः उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में पारीछा तापीय विद्युत संयंत्र की ढही निर्माणाधीन चिमनी के मलबे से बुधवार को एक मजदूर का शव बरामद किया गया। झांसी के बड़ागांव थाना प्रभारी ने बताया कि राहत व बचाव कार्य के दौरान बुधवार की सुबह चिमनी के मलबे से एक शव बरामद किया गया। शव की शिनाख्त बड़ल गांव निवासी मेवालाल(४८) के रूप में हुई। पुलिस ने बताया कि एक अन्य मजदूर लापता है। आशंका है कि वह मलबे में दबा हो सकता है। उन्होंने बताया कि राहत व बचाव दल द्वारा मलबा हटाने का काम जारी है। सेना से भी इस काम में मदद ली जा रही है।मालूम हो कि बड़ागांव क्षेत्र स्थत विद्युत संयंत्र की २१० मीटर लंबी निर्माणाधीन चिमनी सोमवार दोपहर ढह गई थी, जिसकी चपेट में आकर तीन मजदूर घायल हो गए थे। इस मामले में मंगलवार को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल)ने निर्माणकर्ता संस्था नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया। यूपीपीसीएल के अध्यक्ष नवनीत सहगल ने बताया कि चिमनी बनाने में घटिया सामग्री के इस्तेमाल और लापरवाही बरतने का आरोप निर्माणकर्ता संस्था पर लगाया गया है।

एयर इंडिया निरंकुश हुई, 58 हड़ताली कर्मचारियों को बर्खास्त किया

जबकि 24 पर गिरी निलंबन की गाज-

एसीईयू तथा एआईएईए की मान्यता रद,

देश भर में कार्यालय सील-
गुस्साई एसीईयू ने दी 12 जून से हड़ताल की धमकी-
माकपा और भाजपा ने लिया हड़तालियों का पक्ष
नई दिल्ली, एजेंसी ः एयर इंडिया प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों को बर्खास्त और निलंबित करने का सिलसिला बृहस्पतिवार को भी चलता रहा। प्रबंधन ने 24 और कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जबकि दो को निलंबन की नोटिस थमा दी। इस तरह कुल 58 कर्मचारियों को बर्खास्त तथा 24 को निलंबित किया जा चुका है। हड़ताल वापस लेने के बाद एयर इंडिया प्रबंधन की आक्रामक कार्रवाई से झुब्ध कर्मचारियों ने 12 जून को फिर से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ है कि एयर इंडिया ने इतने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को बर्खास्त किया है। प्रबंधन ने बृहस्पतिवार को दोनों यूनियनों-एयर कारपोरेशन एंप्लाईज यूनियन (एसीईयू) तथा ऑल इंडिया एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स एसोसिएशन (एआईएईए) की मान्यता भी रद कर दी है और उनके सभी कार्यालयों को सील कर दिया है। इन यूनियनों से एयर इंडिया के 60 फीसदी कर्मचारी जुड़े हुए हैैं। कार्रवाई से भड़की एसीईयू ने 12 जून से पुन: हड़ताल का नोटिस दिया है। नोटिस के खिलाफ एयर इंडिया प्रबंधन कोर्ट में कैविएट दाखिल कर रहा है। इस बीच दिल्ली को छोड़ ज्यादातर शहरों में एयर इंडिया की उड़ानें सामान्य होने की ओर हैं। एसीईयू के अध्यक्ष दिनाकर शेट्टी ने जाधव को हिटलर बताते हुए उन्हें निजी एयरलाइनों का हितसाधक बताया है। जबकि माहासचिव जेबी कादियान ने कहा कि प्रबंधन एयर इंडिया में तालाबंदी का षड्यंत्र रच रहा है और गैरकानूनी तरीके अपना रहा है।यह पहला मौका है जब एयर इंडिया प्रबंधन ने हड़ताल को लेकर इतनी सख्ती दिखाई है। माकपा और भाजपा यूनियनों के बचाव में आगे आ गए हैैं और उसने एयर इंडिया की कार्रवाई का विरोध किया है।बार-बार की हड़तालों ने एयर इंडिया में श्रम प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बार की हड़ताल तो ऐसे समय की गई जब एयर इंडिया प्रबंधन मंगलूर हादसे के सदमे से उबरने की अभी कोशिश ही कर रहा था। हाल में एयर इंडिया ने घाटे से उबरने के संकेत दिए थे। ऐसे माहौल में विमान हादसे और हड़ताल ने सारे किए-कराए पर पानी फेर दिया है। मंगलूर हादसे से एयर इंडिया को तकरीबन 200 करोड़ रुपये की चपत लगने का अनुमान है। जबकि दो दिन की हड़ताल में 130 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित होने से उसे 12 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगा है। इससे एयर इंडिया की छवि को भी करारा आघात लगा है। हड़ताल के दौरान तकरीबन 20 हजार यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

Wednesday, May 26, 2010

इधर हड़ताल खत्म उधर निलंबन और बर्खास्तगी का तोहफा

एयर इंडिया के 17 हड़ताली कर्मचारी बर्खास्त, 15 इंजीनियर निलंबित-
इनमें दोनों हड़ताली यूनियनों के कुछ लीडर भी शामिल-
हड़ताल खत्म-दिल्ली हाईकोर्ट ने हड़ताल पर रोक लगाई-
नई दिल्ली, २६ मई
हड़ताल से नाराज एयर इंडिया प्रबंधन ने 17 तकनीकी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं, जबकि 15 इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है। इनमें दोनों हड़ताली यूनियनों के कुछ लीडर भी शामिल हैं। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर एयर कारपोरेशन एंप्लाईज यूनियन और ऑल इंडिया एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान भी कर दिया है। एयर इंडिया की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने न केवल चालू हड़ताल पर रोक लगा दी, बल्कि 31 मई से होने जा रही प्रस्तावित हड़ताल पर रोक लगा दी।सितंबर, 2009 में भी एयर इंडिया के 200 पायलट वेतन आदि मुद्दों को लेकर सामूहिक अवकाश पर चले गए थे। चार दिनों तक कंपनी की 240 उड़ानें प्रभावित हुई थीं और सरकार ने फिर भी उनकी मांगे नहीं मानीं थी।
एयर कॉर्पोरेशन कर्मचारी संघ (एसीईयू)के महासचिव जे. बी. कादियान ने यहां कहा, मैनेजमेंट ने हमें बातचीत का न्यौता दिया है और हम इसमें शामिल हो रहे हैं। हम मुख्य श्रमायुक्त से भी मुलाकात करेंगे और अपनी मांगें रखेंगे। गौरतलब है कि एयर इंडिया ने मंगलवार को एक परिपत्र जारी करके कर्मचारी संघों पर अपनी मांगे सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी जिसके विरोध में इंजीनियर समेत 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल पर चले गए हैं।

उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल और एयर इंडिया की ओर से सीएमडी अरविंद जाधव भी दिल्ली में आकर जम गए। पटेल ने कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी को स्थिति की गंभीरता का एहसास करा सख्ती का संदेश हासिल कर लिया। बाद में उन्होंने कहा कि सरकार सख्त रुख अपनाएगी और एयर इंडिया प्रबंधन को भी सख्त कदम उठाने की आजादी देगी। इसी के बाद एयर इंडिया प्रबंधन ने पहले मुंबई हाईकोर्ट में हड़ताल के खिलाफ अपील की। मगर वहां से 28 मई को दोनों पक्षों के साथ सुनवाई का फैसला मिलने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। इसी के साथ हड़तालियों ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की। इससे एयर इंडिया प्रबंधन के हौसले बुलंद हुए और उसने 17 हड़ताली कर्मचारियों को बर्खास्त करने के साथ 15 इंजीनियरों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए।इस बीच हड़ताल के कारण देश भर में एयर इंडिया की उड़ानें बुरी तरह बाधित हुईं जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बुधवार को एयर इंडिया की 40 प्रतिशत से ज्यादा उड़ानें रद करनी पड़ीं। इससे 20 हजार से ज्यादा यात्रियों को विभिन्न स्थानों पर अटकना पड़ा। दो दिन की हड़तालसे एयर इंडिया को लगभग 12 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। एयर इंडिया के सीएमडी अरविंद जाधव के मुताबिक हालात सामान्य होने में दो-तीन दिन लग जाएंगे।

७२ बाल मजदूर छुड़ा राहत गृहों में डाल दिया, एक और सजा

नई दिल्ली,एजेंसी २८ अप्रैल मध्य दिल्ली के नबी करीम इलाके से ७२ बाल मजदूरों को छुड़ाया गया। ये सभी यहां एक थैला बनाने की इकाई में काम कर रहे थे। इन बच्चों से मजदूरी करवाने वाले आठ लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस के अनुसार सभी बाल मजदूर बिहार से लाए गए थे।दिल्ली पुलिस, श्रम विभाग के अधिकारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं हयूमन राइट लॉ नेटवर्क और बचपन बचाओ आंदोलन ने संयुक्त रूप से यह अभियान चला कर बच्चों को मुक्त कराया। हयूमन राइट लॉ नेटवर्क के एक प्रतिनिधि के अनुसार सभी बच्चों को राहत गृहों में भेज दिया गया है।

बेकरी फैक्ट्रियों से १६ बाल मजदूर छुडाए गए
नई दिल्ली, एजेंसी, ३ मईनमकीन बनाने वाली एक प्रमुख कंपनी की दिल्ली स्थित बिस्कुट बनाने वाली बेकरी से १६ बाल मजदूरों को मुक्त कराने के साथ ही फैक्ट्री को सील कर दिया गया है। बचपन बचाओ आंदोलन से प्राप्त जानकारी के अनुसार बाबा जी ब्रांड से नमकीन बनाने वाली कंपनी की बेकरी यूनिट में बाल मजदूरों से १८-१८ घंटे काम कराया जाता था और सप्ताह भर की मजदूरी के लिए केवल २० रुपए दिए जाते थे।बाल श्रमिकों को छुड़ाने का अभियान दिल्ली पुलिस और सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) कांडावाल और बचपन बचाओ आंदोलन के तत्वावधान में किया गया। छापे के दौरान बेकरी से मिले बिस्कुट और रस्व्य के पैक्ट अमरीका के वर्जीनिया और कई खाडी देशों में निर्यात के लिए तैयार किए गए थे।छुडाए मजदूर मुख्यत बिहार के थे। इनमें से एक ११ वर्षीय असलम ने बताया कि वह पिछले आठ महीने से इस बेकरी में काम कर रहा था। आंदोलन के अध्यक्ष रमाशंकर चौरसिया ने बताया कि इन बेकरी इकाईयों में करीब ३०० मजदूर काम करते हैं। मजदूरों को दिल्ली सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जाती और न ही अधिक समय तक काम करने के लिए ओवर टाइम। चौरसिया ने कहा कि छापामार कार्रवाई के दौरान कम से कम ७० बाल मजदूरों को भगा दिया गया।एसडीएम अजय कुमार ने बताया कि फैक्ट्री को सील कर दिया गया है। छुडाए गए बच्चों को २० हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने का आश्वासन िमला है।

वेतन ना मिलने से क्षुब्ध गार्ड ने आग लगाई

गाजियाबाद, एजेंसी, २६ अप्रैल
थाना कविनगर क्षेत्र में वेतन ना मिलने से क्षुबध सुरक्षा सुरक्षा गार्ड ने खुद को आग लगा ली। स्थानीय पुलिस ने बताया कि राजनगर के देविका चैम्बर आरडीसी में ११८ नम्बर की दुकान में एक्स सर्विसमैन के नाम से सिक्योरिटी एजेंसी हैं।एजेंसी में कार्यरत अतर सिंह (६३) निवासी सिंभावली को पिछले तीन माह से वेतन नही मिलने के कारण उसने सोमवार की सुबह ९ बजे खुद पर तेल डाल कर जला लिया।मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए दिल्ली के जीटीवी अस्पताल भेज दिया था।

रविवार को ही गांव से आया था चौकीदार का परिवार

नई दिल्ली, २५ मई ः रोहिणी इलाके में निर्माणाधीन मकान के ढहने की चपेट में दम तोड़ने वाली चौकीदार की पत्नी बच्चाों के साथ रविवार को ही दिल्ली पहुंची थी। मूल रुप से मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ की रहने वाली महिला ऊजर्न का पति काफी दिनों से इस इमारत की चौकीदारी करने की वजह से गांव में रहने वाले अपने परिवार से अलग रह रहा था। उसने पत्नी व बच्चाों को कुछ दिनों तक अपने साथ रहने के लिए बुलाया था, लेकिन उनके यहां आते ही इमारत क्या ढही, उसका तो परिवार ही उजड़ गया।खरिया का रो-रो कर बुरा हाल है। एक तरफ तो वह अपनी पत्नी व बेटियों को खो देने से गमगीन है, वहीं दूसरी तरफ उसपर अपने घायल बेटे छोटू की भी देखभाल जिम्मेदारी भी है। परेशान खरिया कहता है कि परिवार का यहां आना ही उसके लिए अभिशाप बन गया। वह सिसकते हुए बस यही कहता है कि परिवार को यहां नहीं बुलाना चाहिए था। बहरहाल इलाके के लोग समझा-बुझा कर उसका ढांढस बंधा रहे हैं।

ग्रेटर नोएडा में फैक्ट्री मालिक कर रहे हैं मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़

ग्रेटर नोएडा, २५ मई -
ग्रेटर नोएडा की तीन दर्जन से भी अधिक छोटी और मध्यम की फैक्ट्रियां अग्नि सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर चल रही है। हजारडस(खतरनाक) जोन में आने के बावजूद इन फैक्ट्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
मेजर एक्सीडेंटल हजारडस जोन में आने वाली तमाम छोटी और मध्मय दर्जे की फैक्ट्रियों के पास व्यापक अग्नि सुरक्षा नहीं होने के कारण से पास के गांव जगनपुर,अमरपुर,मुर्शदपुर व इमलिया,लुक्सर व अटाई में आग लगने की आशंका बनी रहती है। फिर भी अथॉरिटी व जिला प्रशासन ऐसी लापरवाही के लिए फैक्ट्रियों के खिलाफ शिकंजा नहीं कस रहे हैं। कासना इंडस्ट्रियल साइट पांच व सूरजपुर इंडस्ट्रियल साइट एक,दो व तीन में दजर्नों की संख्या में छोटे और मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियां है। थर्मोकोल व प्लास्टिक बनाने वाली छोटे और मध्यम दर्जे की कई फैक्ट्रियां नेशनल बिल्डिंग कोड के मानकों से कोसों दूर है। मानक के अनुसार इनके पास न तो हाइडल सिस्टम वाटर स्टोरेज की व्यवस्था है और न ही ब्यूटेन,आइसो प्रोपेन,अमोनिया जैसे खतरनाक गैस के रिसाव से बचने के उपाय है। कोड के मानकों के मुताबिक एक कमरे में चलने वाली छोटी फैक्ट्रियों में दो दरवाजे आवश्यक हैं,लेकिन कई ऐसी फैक्ट्रियां हैं जो एक दरवाजे से चल रही हैं।
हाल ही में सम्पन्न प्रोमोशन एंड टेक्नोलोजिकल फार एमएसएमई एंड फायर सेफ्टी अवेयरनेस मीट में इन चीजों को खुलासा हुआ है। थर्मोकोल फैक्ट्रियों में 250 कि.ग्रा प्रति सेंटीमीटर वर्गमीटर के दबाव से ज्वलनशील गैसों का रिसाव होता है। इनसे बचने के लिए बुलेट व पाइप लाइन की जरुरत पड़ती है। लेकिन शायद ही यहां ऐसी कोई छोटी व मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियां हैं जो सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखती हों।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि छोटे व मध्यम दर्जे की कई फैक्ट्रियां सुरक्षा मानकों पर खड़ा नहीं उतरती है। एनओसी के लिए किसी तरह सुरक्षा मानक पूरा करने के बाद आगे की कार्यवाही औपचारिकता मात्र रह जाती है। अग्नि सुरक्षा मानकों को ठेंगा दिखाने वाली ऐसी फैक्ट्रियों के खिलाफ अब नियमित तौर पर चेकिंग की जाएगी।
प्रमोद चंद गुप्ता, डीसीईओ, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी
सुरक्षा के मद्देनजर खासकर छोटे व मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियों में अग्नि सुरक्षा उपायों के लिए साल में कम से कम दो बार मोक ड्रील कराने के प्रावद्यान हैं। लेकिन नोटिस के बावजूद फैक्ट्रियां अग्नि सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। सुमेर सिंह, रीडिंग फायरमैन, अग्निशमन विभाग

मुंबई मिलों का हश्र सिटी आफ गोल्ड जैसा, एनटीसी मिलों की जमीन बेचेगी

नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन की मुंबई में 9 मिले हैं, दो मिलों की जमीन (10.5 एकड़ ) की कीमत 1,000 करोड़ रुपये
नई दिल्ली, 25 मई (भाषा)ः अंततः मुंबई में मिलों के बारे में महेश मांजरेकर की फिल्म -सिटी आफ गोल्ड- में दिखाए गए दुखांत नाटक का क्लाइमेक्स नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन (एनटीसी) अभिनीत करने जा रहा है। एनटीसी की मुंंबई में अपनी मिलों की 10.5 एकड़ भूमि बेचने की योजना है। कंपनी इस बारे में टेंडर शीघ्र ही जारी करेगी। एनटीसी के अध्यक्ष के रामचंद्रन पिल्लई ने पीटीआई को बताया कि हम मुंबई में दो मिलों की भूमि बेचने के लिए टेंडर जारी करेंगे। आरक्षित मूल्य 1,000 करोड़ रुपए तय किया गया है। उल्लेखनीय है कि मुंबई में एनटीसी की नौ मिले हैं।फैक्ट्री मालिकों के लिए आल टाइम पसंदीदा काम तालाबंदी होती है क्योंकि जबतक बेतहाशा मुनाफा होता है तबतक फैक्ट्री चलती है और उसके कुछ सालों के बाद उनके मुनाफे से भी कई गुना जब जमीन की कीमत हो जाती है तो उस पर कई बहाने से ताला लटकाने की कोशिश होती है। जिस फैक्ट्री को मजदूरों ने खड़ा किया उसे मालिकान भारी मुनाफे में बेचकर निकल लेते हैं। और न तो मजदूरों का बकाया मिलता है न मुआवजा। यही है श्रम नीतियों में लचीलापन। फैक्ट्री मालिकों के हित के सारे सरअंजाम संविधान में भी मौजूद है।

सेज इकाईयों से ठेके पर काम करवाने को आईटी कंपिनयों को मिली इजाजत

(मुक्त आवागमन को कृपया हायर एंड फायर पढ़ा जाए-मॉडरेटर)
नई दिल्ली, 25 मई (भाषा) - सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां उन्हें विदेशों से मिले ठेके का काम अब विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थित इकाईयों से करवा सकती हैं। सरकार के इस कदमम से सेज स्थित इकाईयां बीपीओ केन्द्र के रुप में विकसित हो सकती हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने सेज विकास आयुक्त को भेजे एक पत्र में कहा है 'घरेलू शुल्क क्षेत्र स्थित आईटी इकाईयां अपना कारोबार सेज स्थित इकाईयों के जरिए कर सकती हैं।Ó सरकार ने सेज स्थिति आईटी कंपनियों के कर्मचारियों को अपने घर से अथवा कार्यालय से बाहर दूसरे स्थानों से काम करने की भी अनुमति दे दी है।
मंत्रालय के 21 मई को जारी पत्र में कहा गया है कि सेज परिसर से बाहर के कर्मचारी अपने घर अथवा सेज के बार स्थित कार्यालय से भी काम कर सकते हैं। इससे पहले यह सुविधा केवल यात्र पर रहने वाले कर्मचारियों अथवा क्षमता के अनुरुप अलग किए गए कर्मचारियों को ही प्राप्त थी। सरकार का यह निर्णय आईटी कंपनियों और पेशेवरों, सेज विकसित करने वालों और संबंद्ध पक्षों की तरफ से ज्ञापन मिलने के बाद लिया गया। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इस निर्णय के बाद कर्मचारी उपभोक्ताओं की समस्याओं का उस समय भी निवारण कर सकेंगे जब वह सेज परिसर से बाहर होंगे। नास्का्रम अध्यक्ष सोम मित्तल ने कहा कि आईटी पेशेवरों का मुक्त आवागमन काफी महत्वपूर्ण है, हम उस हर नीति का स्वागत करते हैं जिससे संचालन कार्यों की जटिलताएं दूर होतीं हों। सरकार ने अब तक 580 सेज को मंजूरी दी है इनमें से आधे से अधिक सेज आईटी क्षेत्र से जुडे हैं।

भोपाल में श्रमिकों-कर्मचारियों की दिहाड़ी बढ़ी

भोपाल, 22 मई (भाषा) भोपाल जिले में दैनिक मजदूरों की दिहाड़ी में इजाफा कर दिया है। सभी श्रेणियों के इन श्रमिकों और कर्मचारियों के प्रतिदिन के वेतन में 30 रुपए 83 पैसे का इजाफा किया गया है जिससे अब उनका मासिक वेतन में 925 रुपए बढ़ गया है। जिला कलेक्टर निकुंज श्रीवास्तव ने श्रम विभाग को इस आशय की अधिसूचना जारी की है। इस ताजा बढ़ोतरी के बाद अकुशल श्रमिक-कर्मचारियों को 3,070 रुपए प्रतिमाह में मूल वेतन में 925 रुपए परिवर्तनशील महंगाई भत्ता जोड़कर कुल 3995 रुपए मासिक वेतन मिलेगा। इसी तरह अकुशल श्रमिकों को प्रतिदिन के न्यूनतम मूल वेतन 102 रुपए 33 पैसे में परिवर्तनशील महंगाई भत्ता 30 रुपए 83 पैसे जोड़कर कुल 133 रुपए 16 पैसे प्रतिदिन वेतन मिलेगा। इसी तरह अर्द्धकुशल श्रमिक-कर्मचारियों के मासिक न्यूनतम वेतन 3,200 रुपए में 925 रुपए प्रगतिशील महंगाई भत्ता जोड़कर उन्हें 4,125 रुपए कुल मासिक वेतन मिलेगा। इसके अलावा कुशल श्रमिकों को 3,350 रुपए के न्यूनतम मासिक वेतन में 925 रुपए परिवर्तनशील महंगाई भत्ता जोड़कर कुल 4,275 रुपए मासिक वेतन मिलेगा। इसी तरह श्रमिकों को 111 रुनए 66 पैसे के प्रतिदिन न्यूनतम वेतन में 30 रुपए 83 पैसे परिवर्तनशील महंगाई भत्ता जोड़कर 142 रुपए 49 पेसे प्रतिदिन कुल न्यूनतम वेतन मिलेगा। इस सिलसिले में यह साफ किया गया है कि उपरोक्त निर्धारित दैनिक वेतन की दरें 30 दिनों से विभाजित कर तय की गई है। लिहाजा उपरोक्त सभी कर्मचारी-श्रमिकों को वेतन सहित साप्ताहिक अवकाश दिया जाएगा। इसके चलते मासिक वेतन में से साप्ताहिक अवकाश के लिए कोई कटौती नहीं की जाएगी।

गुड़गांव की फैक्ट्री के अंदर करंट से मजदूर की मृत्यु

(मजदूर मौतें जिन्हें अखबारों के संक्षेप में भी जगह नहीं मिलती है- मॉडरेटर)
गुड़गांव, २१ मई २०१० :डीएलएफ स्थित एक कंपनी में कार्यरत रामरतन नाम के इलेक्ट्रिशियन की करंट लगने से मौत हो गई। पोस्टमार्टम के शव को पुलिस ने परिजनों को सौंप दिया है। 27 वर्षीय रामरतन सोहना के गांगोली गांव का रहने वाला था।
गुमटी विवाद में जिंदा जलकर आत्महत्या की
जयपुर, 22 मई :भाषा: राजस्थान के बांसवाडा जिले के अम्बामाता पुलिस थाना क्षेत्र में कल एक युवक गुमटी :कच्ची दुकान: विवाद को लेकर जिंदा जलकर मर गया। बांसवाडा के पुलिस अधीक्षक गजानंद शर्मा के अनुसार शर्मा (30) का कुछ लोगों के साथ गुमटी लगाने को लेकर काफी अर्से से विवाद चल रहा था। उन्होंने बताया कि कुछ लोग शर्मा को गुमटी हटाने के लिए दवाब डाल रहे थे। कल शाम उसने गुमटी में खुद पर पेट्रोल उड़ेल कर आग लगा ली। युवक ने मौके पर ही दम तोड दिया। पुलिस अधीक्षक के अनुसार शर्मा का आज मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवा दिया गया है लेकिन आदिवासी क्षेत्र में मृतक के परिजनों को मुआवजा देने को लेकर तनाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने पांच अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज कर तीन को हिरासत में ले लिया गया है।

चलती ट्रेन से बाहर फेंका, हाथ कटा
सहारनपुर, 22 मई (भाषा) सीट को लेकर हुए मामूली विवाद के बाद एक युवक को कुछ लोगोंं ने कल रात चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया, जिससे उसका बायां हाथ कट गया। वह रुढ़की में एक फैक्ट्री में मजदूरी करता था। रेल सूत्रों के मुताबिक थाना जनकपुरी और मोहल्ला खानआलमपुरा निवासी विकास (22) रूड़की से सहारनपुर लौट रहा था। इसी बीच सीट को लेकर कुछ यात्रियों से उसका विवाद हो गया। जैसे ही रेल ढमोला नदी पुल पर पहुंची युवकों ने विकास को रेल से नीचे फेंक दिया। रेल की चपेट में आकर उसका हाथ कट गया।

Monday, May 24, 2010

थर्मल पावर प्लांट की चिमनी गिरी, 5 मरे


झांसी।। झांसी में पारीछा थर्मल पावर प्लांट में तैयार हो रही एक यूनिट की चिमनी गिरने से 5 मजदूरों की मौत हो गई है। आशंका जताई जा रही है कि 100 से अधिक मजदूर अभी भी चिमनी के नीचे दबे हैं। हादसा दोपहर को हुआ लेकिन अभी तक मलबा हटाने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। परीछा में थर्मल पावर प्लांट की 250- 250 मेगावाट की दो यूनिटों में काम चल रहा है। बताया जा रहा है कि कंस्ट्रक्शन साइट पर दोपहर के भोजन के समय मजदूर धूप से बचने के लिए चिमनी की छांव में बैठकर खाना खा रहे थे कि अचानक चिमनी उनके ऊपर गिर पड़ी। चिमनी की ऊंचाई लगभग 263 फिट थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चिमनी के नीचे दबकर 5 मजदूरों की मौत हो गई और सौ से ज्‍यादा मजदूरों के दबे होने की आशंका है।
हादसे की जानकारी मिलते ही डीएम झांसी, एसएसपी सहित थर्मल पावर प्लांट के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। शाम को ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय और ऊर्जा सचिव नवनीत सहगल विशेष हेलिकॉप्टर से पावर प्लांट पहुंचे। उन्होंने तेजी से राहत कार्य किए जाने के निर्देश भी दिए। दुर्घटना के साढ़े तीन घंटे बाद भी राहत कार्य शुरू न होने की वजह से पावर प्लांट के मजूदरों में जबर्दस्त आक्रोश है और उन्होंने खुद से ही मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया है। प्लांट के मजदूर संगठनों ने आरोप लगाया कि चिमनी बनाने में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई थी। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों ऊर्जा मंत्री ने अपने निरीक्षण में चिमनी के निर्माण में मानक का ध्यान न रखे जाने पर आपत्ति जताई थी।