Monday, May 9, 2011

मंत्री खा रहे मलाई और मजदूर के हिस्से धूल

जालंधर। पंजाब सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी दर की समीक्षा किए जाने का विरोध करते हुए आॅल मजदूर शक्ति संघ ने इसकी पुन: समीक्षा करने की मांग की है तथा कहा है कि ईंट भट्ठों में काम करने वालों को प्रति एक हजार ईंट पर उसकी कीमत का बीस फीसदी मजदूरी दिए जाने की व्यवस्था सरकार करे।
आॅल मजदूर शक्ति संघ के प्रमुख इकबाल मट्टू ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी दर की हाल ही में समीक्षा की है। इसके तहत जो निर्धारण किया गया है वह मजदूरों के हित में नहीं है। यह कैसी सरकार है जो मजदूरों का विरोध करती है।
मट्टू ने कहा, महंगाई के इस दौर में जहां मंत्रियों और अधिकारियों को हजारों रुपये के वेतन के अलावा तमाम सुख सुविधाएं मिलती हैं, वहीं मजदूरों को दिन में धूप और रात में धूल फांकना पडता है। इसलिए सरकार से हमारी गुजारिश है कि मजदूरों को आदमी समझते हुए उनके लिए 500 रुपये न्यूनतम मजदूरी निर्धारित किया जाए।
मजदूर नेता ने यह भी कहा कि ईंटें बनाने वाले श्रमिकों की हालत बदतर है। भट्ठा मालिक तकरीबन साढे चार हजार रुपये में एक हजार ईंटें बेचते हैं, जबकि उन्हें बनाने वाले मजदूरों को केवल तकरीबन 200 रुपये प्रति हजार ईंट दिया जाता है। राज्य सरकार से हमारी यह भी मांग है कि इन श्रमिकों को प्रति एक हजार तैयार ईंट की कीमत का बीस फीसदी मजदूरी के तौर भुगतान किया जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पंजाब सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरों की समीक्षा करते हुए इसे 139 रुपये से 192 रुपये के बीच कर दिया है। नये मानकों के तहत ईंट भट्ठे में काम करने वाले श्रमिकों को उनकी कुशलता के आधार पर 147 से लेकर 192 रुपये तक दिया जाएगा।
मट्टू ने जोर देकर यह भी कहा कि बाहर से आने वाले श्रमिक यहां बदतर स्थिति में काम करते हैं। उनके पास कोई सुविधा नहीं है और वे गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। जानवरों की तरह उनसे काम लिया जाता है और बदले में कुछ नहीं दिया जाता है। सरकार को चाहिए वह हरेक श्रेणी के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी दर 500 रुपये तय करे ताकि उन्हें खाना मिल सके और उनके बच्चों को स्कूल जाने का भी मौका मिल सके।

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