Friday, June 10, 2011

क्या यूनियन की मांग करना गुनाह है?

मानेसर के मारुती सुजुकी इंडिया के प्लाण्ट के विगत छह दिनों से संघर्षरत कामगारों के समर्थन में कल बृहस्पतिवार दिनांक 9 जून 2011 को गुडगाँव-मानेसर बेल्ट के विभिन्न उद्योगों में कार्यरत मज़दूर भी आ गए. उन्होंने मारुति प्रबंधन के खिलाफ एक विशाल रैली निकाली। दुर्भाग्य से मीडिया में ब्लैकआउट के चलते इन खबरों का गला घोंट दिया गया। मजदूरनामा को मिले समाचार के अनुसार, वहाँ के विभिन्न कारखानों में कार्यरत यूनियनों के पदाधिकारियों और कामगारों ने मारुती सुजुकी इंडिया के संयंत्र के मुख्यद्वार पर एकत्र होकर सत्याग्रह किया और संघर्षरत मजदूरों की निहायत ही जायज माँग को अविलम्ब माने जाने की माँग की. गुडगाँव के विभिन्न उद्योगों के मजदूरों द्वारा किया गया एकजुटता का यह इजहार एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना हैऔर इससे लड़ाकू साथियों का हौसला बुलन्द हुआ है.


दुनिया भर में चल रहे तमाम उथल पुथल के बावजूद भारतीय शासक वर्ग यह समझने को राजी नहीं है कि मेहनतकश जनता के दमन का रास्ता आखिर भीषण विस्फोट की ओर ले जाता है। भारत में श्रमिक वर्ग के साथ जो अन्याय अत्याचार हो रहा है वह अभूतपूर्व है। और यह रोष ज्वालामुखी बन चुका है। हालत यह हो गई है कि मजदूर यूनियन बनाने की मांग अघोषित तौर पर एक अवैध मांग हो चुकी है जबकि भारतीय संविधान में यह कर्मचारियों का मौलिक अधिकार माना गया है। आखिर यह देश संविधान के अनुसार चल रहा है या पूंजीपतियों के हितों के अनुसार चलाया जा रहा है।


हम आप सभी से मानेसर के संघर्षरत साथियों का हर सम्भव सहयोग और समर्थन करने की अपील करते है. हमारा प्रस्ताव है कि कि आप हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और श्रममंत्री को अधिक से अधिक संख्या में ईमेल और पत्र भेज कर संघर्षरत साथियों कि जायज माँगों को जल्द से जल्द मांगे जाने के लिए दबाव बनायें और यह सुनिश्चित करें कि कम्पनी प्रशासन उनके आन्दोलन का दमन न कर पाये.

मुख्यमंत्री
cm@hry.nic.in
लेबर कमिश्नर
labourcommissioner@hry.nic.in
श्रम मंत्रालय
labour@hry.nic.in.

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