Friday, June 11, 2010

मजदूरी मांगने पर हरियाणा में ५० बिहारी मजदूरों को बनाया बंधक

- बिहार के नवादा जिले के हैं मजदूर, 25 महिलाएं भी
-भट्ठे पर काम कर रहे इन मजदूर परिवारों को अक्तूबर २००९ से नहीं मिली मजदूरी,

चंडीगढ़, ११ जून, शुक्रवार
हरियाणा के झझर के ईंट भट्ठे पर बंधक बनाकर रखे गए बिहार के नवादा जिले के 50 से अधिक मजदूरों को मुक्त करा लिया गया है। हरियाणा मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने इस मामले में हस्तक्षेप किया तब जाकर मजदूरों को मुक्त कराया जा सका। ये मजदूर अक्तूबर 2009 में ही मजदूरी की आस में हरियाणा गए थे। नेवादा के अकबरपुर प्रखंड में महादलित विकास मंच से जुड़े कार्यकर्ता अशोक राजवंशी को बंधक बने मजदूरों में से एक ने इस बारे में सूचना दी थी। राजवंशी की पहल पर महादलित आयोग के सदस्य बबन रावत ने हरियाणा में मुख्यमंत्री सचिवालय से बात की थी।

मजदूर हरियाणा में बबलू यादव नाम के ईंट भट्ठा मालिक के यहां काम करते थे। मजदूरी की राशि चिमनी मालिक यह कहकर नहीं देता था कि घर जाते समय सबको पैसा दिया जाएगा लेकिन, गत मार्च में जब मजदूरों ने अपना पैसा मांगा तो उनकी पिटाई की गई और उन्हें बंधक बना लिया गया। बाद में झझर के एसडीएम ने सभी मजदूरों को प्रशासनिक सुरक्षा में दिल्ली पहुंचाया, जहां से वे पटना रवाना हो गए। हालांकि इस बात की अभी कोई जानकारी नहीं मिल सकी है कि उनकी मजदूरी मिली की नहीं।

5 comments:

  1. देश के सबसे उन्नत राज्य हरियाणा से इस तरह की खबर का निकलदा हालात के बिगड़ते जाने का संकेत दे रहे हैं। इस पर जल्द ही काबू पाया जाना चाहिए। जाहिर है कि लाठी की भाषा खाए पिए लोगो को भी समझाई जानी चाहिए, सिर्फ गरीब लोगो को नहीं। मगर
    देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि मजदूर आंदोलन दम तोड़ते जा रहे हैं। पर इनके लिए जिम्मेदार सिर्फ पूंजीपति ही नहीं है। जब ये आंदोलन जोरों पर था, तब बिना मतलब की हड़तालों ने इस देश के बहुसंख्यकों का मन मजदूरों के तरफ से मोड़ दिया था, इसी का फायदा उठाकर पूंजिपतियों ने आंदोलन को पूरी तरह से खत्म सा कर दिया है। अब तो अदालत भी हड़ताल को लेकर सख्त है। इन सबके बीच से कोई रास्ता निकालकर ऐसे इंतजाम करने होगे की इस तरह की कोई घटना आसानी से कोई मालिक न कर सके।

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  2. जबतक पूंजीपतियों की नीयत ठीक नहीं होगी .. मजदूरों के साथ न्‍याय कैसे होगा ??

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  3. Dhurbhagyapurn hai yah sab hamare loktantra ke liye... Majdoron ke saath aaj bhi jis tarah ka vywahar dekhne-sunne mein aata hai wah behad dukhdaaye hai...
    boletobindas ji ne sateek vaytavya diya hai...
    Majdoron kee bhalayee ke liye aawaj uthne hi chahiye aur apne-apne star se sahyog karna hoga...
    Aapki saarthak pahal ke liye aabhar

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  4. यह बानगी है...यह आज की ताजा स्थिति है...हमें सोचने पर मजबूर करती है कि जिन हाथों से देश आज तरक्की पर तरक्की कर रहा है उन हाथों के साथ कितना बेरहमी से सलूक किया जा रहा है। इसलिए ये हाथ भी उत्पादन तो एक साथ करते हैं लेकिन अपने हक को हासिल करने के लिए एक साथ उठ नहीं रहे हैं।

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  5. संगीता पुरी जी से, अगर पूंजीपतियों की नीयत ठीक होने का इंतजार करते रहना है तब तो शायद ही कभी मजदूर इंसाफ पा सके। सवाल पूंजीपतियों की नीयत का नहीं मजदूरों के इरादे का है। अपनी दुर्दशा के लिए कोई और नहीं, सबसे ज्यादा हम जिम्मेदार हैं, यह बात हम नहीं समझेंगे तो आगे भी अपनी हालत बेहतर करने की लड़ाई में इस पार या उस पार का मन बना कर नहीं उतरेंगे। और आधे मन से लड़ी गई कोई लड़ाई हम जीत भी जाएं यह तो शायद शेख चिल्ली भी नहीं मानता होगा।

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