Friday, June 11, 2010

पंजाब में मजदूरी बढ़ाने पर भी नहीं मिल रहे यूपी-बिहार के खेतिहर मजदूर

जालंधर, बठिंडा, लुधियाना, ११ जून, बृहस्पतिवार

अनाज उत्पादन में नंवबर वन होने का खम ठोंकने वाले पंजाब की पूरी खेती यूपी बिहार के खेतिहर मजदूरों पर निर्भर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दमन और उत्पीड़न से तंग आकर इस बार ये मजदूर पंजाब की ओर उस तेजी से रुख नहीं कर रहे हैं जिससे पंजाब के भूस्वामियों में धान की रोपाई को लेकर खलबली मच गई है। हालत यह है कि वे प्रवासी खेतिहर मजदूरों को आकर्षित करने के लिए अजीबो गरीब प्रस्ताव कर रहे हैं। मजदूरी बढ़ाने के साथ साथ ही भूस्वामियों के कारिंदे मजदूरों को शराब, मुर्गा और मोइबाइल फोन का लालच दे रहे हैं। मध्य जून से शुरू होने वाली धान की रोपाई का दारोमदार इन्हीं मजदूरों पर है।

इन कारिंदों ने पंजाब के मुख्य स्टेशनों पर ही डेरा डाल रखा है। जमींदार और उनके गुर्गे ट्रेन से उतरते ही मजदूरों को बढ़ी मजदूरी की अदायगी के साथ ही रहने की व्यवस्था का भरोसा देते नजर आ रहे हैं। हालांकि मजदूरों का आना शुरू हो गया है लेकिन इस बार पंजाब आने वाले मजदूरों की संख्या कम हैं। इसका कारण मनरेगा बताया जा रहा है लेकिन पंजाब में मजदूरों के साथ होने वाली ज्यादती को भी इसका जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

राज्य में इस साल 26 लाख हैक्टेयर भूमि में धान की रोपाई होनी है। इतने क्षेत्र में रोपाई के लिए 8 लाख मजदूरों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए इतनी संख्या में श्रमिकों के आने की उम्मीद न के बराबर है। जिस गति से श्रमिक यहां पहुंच रहे हैं, उससे साफ जाहिर है कि पूरे बुआई सत्र के दौरान 50 हजार श्रमिकों का पहुंचना भी मुश्किल होगा। मजदूरों ने भी अपनी मजदूरी बढ़ा दी है। पिछले वर्ष प्रति एकड़ 1200 से 1800 रुपये लेने वाले मजदूरों ने इस वर्ष दो हजार से ढाई हजार रुपये रेट कर दिया है। इसके अतिरिक्त समूह के लिए प्रति एकड़ पांच किलो राशन, शराब और मुर्गे की मांग रखी है। संगरूर के कुछ जमींदार तो साथ में मोबाइल भी ऑफर कर रहे हैं। मजबूरी में मशीन का सहारा लुधियाना : मजदूरों की किल्लत को देखते हुए किसान रोपाई के लिए मशीनों का सहारा लेने लगे हैं। धान की बुआई के लिए पीएयू ने 200 पैडी ट्रांस्प्लांटर किसानों को किराए पर दिए है। कई किसानों ने तो 2 लाख से दस लाख तक के पैडी टांस्प्लांटर भी खरीद रखे हैं।

1 comment:

  1. किए का परिणाम तो भुगतना ही होता है .. वैसे मशीनों के कारण भी पूंजीपतियों के सामने एक विकल्‍प है !!

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