कर्मचारी को श्रम न्यायालय तक पहुंच के प्रावधान वाले विधेयक को रास की मंजूरी
नई दिल्ली, ३ अगस्त
संसद की स्थाई समिति की सिफारिश को मानते हुए सरकार ने इस विधेयक में यह प्रावधान किया है कि कर्मचारी अपने मामले को सुलह प्रक्रिया में भेजे जाने के 45 दिन बाद अपने मामले को श्रम अदालत या न्यायाधिकरण में ले जा सकता है। मौजूदा कानून के तहत इसकी अवधि तीन माह है। औद्योगिक संस्थान में कार्यरत किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी, पदावनति, छंटनी या सेवा समाप्त किए जाने की स्थिति में कर्मचारी को सीधे श्रम न्यायालय या न्यायाधिकरण में जाने का अधिकार देने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा ने मंजूरी दे दी।
श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खरगे ने 'औद्योगिक विवाद (संशोधन) विधेयक 2009' पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बीस या इससे अधिक कर्मचारियों वाले औद्योगिक संस्थान में शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना किए जाने का प्रस्ताव भी है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
इससे पूर्व खरगे ने कहा कि विधेयक में सुपरवाइजर की वेतन सीमा को 1600 रूपए से बढ़ाकर 10 हजार रूपए कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों का सुझाव था कि इस सीमा को बढ़ाकर 25 हजार रू कर दिया जाना चाहिए।
बाल श्रम,आत्महत्याएं,औद्योगिक दुर्घटनाएं
23 मार्च
export garment
gorakhpur mahdoor sangharsh
labour
pf
अंतरराष्ट्रीय
अदालत
आईएमटी चौक
आजीवन कारावास
आत्महत्याएं
एक्सपोर्ट गार्मेंट
ऑटो उद्योग
औद्योगिक दुर्घटना
कर्मचारी
कामगार
कार्यक्रम
खेतिहर मजदूर
गुड़गांव
चीन
जनसभा
जेल
तालाबंदी
दमन
पीएफ
फिल्म
फैसला
बंधुआ मजदूर
बहस मुहाबसा
बाल श्रम
भारतीय
मजदूर
मज़दूर
मजदूर अधिकार
मजदूर आक्रोश
मजदूर मौतें
मजदूर विजय
मजदूर हत्याएं
मजदूरी
मानेरसर
मानेसर
मारुति
मारुति संघर्ष
मौत
यूनियन
रिफाइनरी
श्रम
श्रम कानून
सज़ा
सिंगापुर
सेज
हड़ताल
Tuesday, August 3, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment