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Wednesday, June 15, 2011
अपील : मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों को सहयोग और समर्थन तेज करें !
मानेसर स्थित मारुति सुजुकी इंडिया के संयंत्र में हड़ताल आज बारहवें दिन भी जारी रही। आज, बुधवार को हड़ताली मजदूरों और प्रबंधन या प्रशासन के बीच कोई वार्ता नहीं हुई । इस तरह कल मुख्य मंत्री भूपिंदर सिंह हूडा के जिस अपील पर अन्य कारखानों में सांकेतिक हड़ताल स्थगित कर दी गयी थी, वह खोखली साबित हुई। हड़ताली मजदूरों की जायज माँगों पर कोई तवज्जो देने की जगह आज शाम मुख्य मंत्री भूपिंदर सिंह हूडा ने मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबन्ध निदेशक और सी ई ओ शिंजो नाकानिशी और अन्य उच्चाधिकारियों से मुलाकात की और ऐसा समझा जाता है कि उन्हें नयी यूनियन न बनाने देने में सरकार के सहयोग का आश्वासन दिया।
दूसरी ओर, अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) के महासचिव अनिल कुमार ने बताया कि "हम मारुति सुजुकी श्रमिकों के साथ एकजुटता में 17 जून को एक दिन का भूख हड़ताल करेंगे और 20 जून को दो घंटे के लिए काम बन्द रखा जाएगा। अगर तब तक एक अलग यूनियन और 11 बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली की मांग को स्वीकार नहीं कर लिया जाता है।" कुमार के अनुसार, मजदूर 17 जून को काम पर तो आएंगे लेकिन वे भूखे रहेंगे और 20 जून को गुड़गांव, रेवाड़ी, धारूहेड़ा और मानेसर के हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित कारखानों में से अधिकांश में दो घंटे तक उत्पादन ठप रखा जायेगा।
गुड़गांव, रेवाड़ी, धरुहेरा और मानेसर और अन्य सभी जगह से 65 कारखानों के 20,000 से अधिक मजदूरों द्वारा 17 जून को भूख हड़ताल और 20 जून को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक टूल डाउन में शामिल होने की सहमति देने का समाचार मिला है।
इस हड़ताल के बारे में मारुति प्रबंधन द्वारा बार बार अपना रुख बदलने और पिछले बारह दिनों से भूखे प्यासे फैक्टरी शेड में धरना दे रहे मजदूरों को बिजली-पानी तक की सुविधा से वंचित रखने एवं उन्हें अब भी तरह तरह से उत्पीड़ित करने से यह साफ हो गया है की वह समस्या का न्यायसंगत समाधान के बारे में गम्भीर नहीं है। वह सिर्फ यह चाहता है कि संघर्षरत मजदूरों को थका कर समर्पण करने के लिए बाध्य कर दिया जाय। हरियाणा सरकार और उसके श्रम विभाग का रवैया तो और भी घृणास्पद है। उसके श्रम विभाग के अधिकारियों द्वारा नए यूनियन के गठन की गोपनीय सूचना को मारुति प्रबंधन को लीक करने से चलते ही यह संकट पैदा हुआ और जब से वार्ताओं को दौर शुरू हुआ, उन्होंने लगातार मारुति प्रबंधन को अपना रुख बदलने की इजाजत दी। ऐसे में लगता यही है कि लड़ाई लम्बी खिंच गई है।
लेकिन फिर भी यह लड़ाई महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल मारुति कर्मचारियों के भविष्य का फैसला होने वाला है बल्कि, इस बात का भी फैसला होने वाला है कि न सिर्फ इस औद्योगिक क्षेत्र में बल्कि पूरे उत्तर भारत में भविष्य में मजदूरों को अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष करने और उसके लिए जरूरत के अनुसार संगठनों का निर्माण करने की इजाजत होगी कि नहीं। यह सिर्फ जनतांत्रिक अधिकारों को हासिल करने का सवाल नहीं है बल्कि, अतीत के संघर्षों से हासिल जनतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने का भी सवाल है। इस रूप में मारुति के नौजवान मजदूर सिर्फ अपने हकों की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं बल्कि, पूरे मजदूर वर्ग और आम जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी लड़ाई आज ऐसे मुकाम पर है कि उसे बहुत समझदारी और साहस के साथ आगे ले जाने के जरूरत है। इस काम में उन्हें हर बुद्धिजीवी, हर मजदूर, नौजवान के सहयोग और समर्थन की जरूरत है। हमें एक बार फिर सभी सामाजिक-राजनीतिक संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील और जनपक्षधर बुद्धिजीवियों और आम जनता से इन संघर्षरत मजदूरों को हर संभव सहयोग और समर्थन करने की अपील करते हैं।
साथ ही हम यह समझते हैं कि मारुति सुजुकी के मजदूरों का १२ दिन पुराना संघर्ष अब एक बहुत ही नाजुक दौर में प्रवेश कर रहा है। यह एक ऐसा दौर है जब प्रबंधन और प्रशासन यह कोशिश करते हैं कि मजदूर थक हार कर हथियार डाल दें। और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनकी ओर से भड़काऊ कार्रवाईयां की जाती हैं जिससे कि उनका आड़ लेकर आन्दोलन का निर्ममता पूर्वक दमन किया जा सके, जैसा कि पिछले दिनों होण्डा के आन्दोलन में हुआ था। हम चाहते हैं कि जो भी संगठन या व्यक्ति इन हड़ताली मजदूरों का समर्थन करना चाहते हैं, वे अपनी ओर से पूरे संयम का परिचय दें और ऐसी कोई कार्रवाई न करें जिससे कि प्रशासन और प्रबंधन को हिंसा की कार्रवाई का बहाना मिल जाए।
हम प्रस्तावित करते हैं कि
१- सभी लोग हरियाणा के मुख्यमंत्री, श्रममंत्री, गृहमंत्री के पास मजदूरों के इस आंदोलन के समर्थन में अधिक से अधिक संख्या में ईमेल, पत्र और तार-फैक्स भेजें और भिजवाएं।
२- मारुति सुजुकी गेट के सामने पहुंच कर धरने पर बैठे मजदूरों के प्रति अपने सहयोग और समर्थन का इजहार करें।
३-इस आंदोलन, उसकी पृष्ठभूमि, आव्यशकता और प्रासंगिकता के बारे में अधिक से अधिक लोगों को सूचित करें और यदि संभव तो प्रचार अभियान चलाएं।
४- मजदूरों के लिए सहयोग और समर्थन जुटाने के लिए अपने-अपने इलाकों में बैठकें और आम सभाएं आयोजित करें।
चक्का जाम
हड़ताल
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