Thursday, June 16, 2011

मानेसर स्थित मारुति सुजकी इंडिया में श्रमिकों की हड़ताल समाप्त

11 बर्खास्त कर्मचारी वापस हुए, शनिवार से कामकाज शुरू करेंगे कर्मचारी


मानेसर स्थित मारुति सुजकी इंडिया में नई यूनियन के गठन को लेकर चली आ रही श्रमिक हड़ताल का पटाक्षेप बृहस्पतिवार की देर रात हो गया। श्रमिक शनिवार से कामकाज शुरू करेंगे।

हरियाणा के श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शिवचरण लाल शर्मा की मध्यस्थता में श्रमिकों व प्रबंधन के बीच बृहस्पतिवार की देर रात हुई बैठक में एक ऐसा समझौता हुआ है जिससे यह पता चलता है की तेरह दिनके अपने शानदार संघर्ष के बावजूद हरियाणा सरकार और मारुति प्रबन्धन के मिलीभगत और दबाव के चलते मजदूरों को कुछ झुक कर समझौता करना पड़ा है। समझौते के तहत मारुति सुजकी इंडिया द्वारा बर्खास्त किए गए सभी 11 कर्मियों को वापस काम पर ले लियागया है। नई यूनियन की माँग के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है ऐसा लगता है की उसके प्रस्ताव को टाल दिया गया। बीबीसी ने यह खबर दी है कि " कर्मचारी संगठनों ने अलग यूनियन बनाने की मांग छोड़ दी है"। जबकि एन ड़ी टी वी खबर का कहना है कि "कर्मचारी भी प्रबंधन की इस मांग के सामने झुक गए हैं कि कम्पनी में दूसरी यूनियन नहीं बनेगी।" नवभारत टाइम्स के अनुसार "यूनियन बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुईं।"

श्रम मंत्री शिवचरण लाल शर्मा के हवाले से सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि शनिवार से सभी कर्मचारी काम पर लौटेंगे। शुक्रवार को कंपनी में अवकाश घोषित कर दिया गया है। इसके बदले कर्मचारी रविवार को काम करेंगे। हड़ताल पर रहे कर्मियों का 13 + 13 (तेरह दिन की हड़ताल और इतने ही दिन का वेतन) का वेतन काटा जाएगा। बर्खास्त किए गए वे 11 कर्मचारी जिन्हें काम पर वापस ले लिया गया है, की प्रबंधन द्वारा अनुशासनात्मक जांच की जाएगी। श्रमिकों ने मारुति प्रबंधन, श्रम मंत्री और श्रम अधिकारियों को आश्वासन दिया कि 13 दिनों की हड़ताल के दौरान जो उत्पादन प्रभावित हुआ है, उसे अतिरिक्त काम कर पूरा करेंगे।

सिविल लाइन स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में दोपहर 2 बजे से प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन, मैनेजमेंट और कर्मचारी प्रतिनिधियों के बीच शुरू हुई बातचीत देर रात तक चलती रही। बैठक में मारुति सुजकी इंडिया प्रबंधन की ओर से एलके जैन, आरएस गांधी, अनिल गौड़, सीएस राजू, श्रम विभाग के वित्तायुक्त सरबन सिंह, श्रमायुक्त सतवंसी अहलावत, अतिरिक्त श्रमायुक्त नितिन यादव, उपायुक्त पीसी मीणा, उप श्रमायुक्त जेपी मान तथा श्रमिकों की ओर से रविंदर कुमार, ऋषिपाल, सोनू कुमार,नवीन कुमार, शिव कुमार, सुमित ने समझौता पर हस्ताक्षर किए।

इस पूरे प्रकरण में हरियाणा सरकार और उसके श्रम विभाग का आचरण शुरू से बहुत घृणास्पद और संदेहजनक रहा है। समझौते से ठीक पहले प्रदेश के श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पंडित शिवचरण लाल शर्मा के बयान से भी यह बात साबित हो जाती है। एक संवाददाता से बातचीत में ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि मारुति कंपनी में चल रहा श्रमिक विवाद जल्द ही सुलझ जाएगा। इसके लिए वे हर स्तर पर प्रयासरत है। अपनी मध्ययुगीन पितृसत्तात्मक सोच जाहिर करते हुए उनका कहना था कि ऐसा विवाद फिर कहीं पैदा न हो, इसके लिए मालिक व श्रमिक के बीच बाप-बेटे जैसा संबंध स्थापित करने पर बल देना होगा। कितने नायब विचार है। ऐसा व्यक्ति जिसे भारत के श्रम कानूनों की भी कोई जानकारी नहीं है और यह भी नहीं जानता है कि मालिक- मजदूरों के बीच का सम्बन्ध अधिकारों के संतुलन के आधार पर चलता है न कि उनकी पितृसत्तात्मक सोच के अनुरूप एक राज्य का श्रम मंत्री कैसे हो सकता है।

फ़िलहाल आन्दोलन समाप्त हो गया है लेकिन इसका सार संकलन किया जाना और उससे सबक निकला जाना अभी बाकी है।

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