ऐसा लगता है कि मारुति सुजुकी के मानेसर सयंत्र के संघर्षरत मज़दूरों का संघर्ष अब एक कठिन दौर से गुजर रहा है. इस बार पुनः मजदूरों के संघर्ष में उतरने का मुख्य कारण यही है कि पिछले जून में 13 दिन चले उनके आन्दोलन में जो आंशिक सफलता मिलि थी वह मारुति प्रबन्धन के गले नहीं उतर रही थी और उन्होंने उसका बदला लेने के लिए मजदूरों को संघर्ष में उतरने के लिए बाध्य कर दिया. मालिको ने फैक्टरी की घेराबंदी और पूरी तैयारी केसाथ इस बार मजदूरों के आन्दोलन का पूरी तरह दमन कर देने के उद्देश्य से उन्हें संघर्ष के लिए उकसाया. 16 जून के समझौते कि भावना का पूरी तरह उल्लंघन करते हुए मजदूरों को बर्खास्त करना शुरू कर दिया और अच्छे व्यव्हार के करार पर हस्ताखर करवाने के लिए मजबूर कर मजदूरों को हड़ताल में उतरने के लिए उकसावा दिया. इसके पहले उसने लक्ष्य पूरा न होने और ख़राब गुणवत्ता के नाम पर अनुशाश्नात्मक करवाई कि पूर्व पीठिका तैयार कर ली थी.
ऐसे में यह जरुरी है कि मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों को हर तरह का सहयोग और समर्थन किया जाय. पिछले बार के संघर्ष में जिस तरह उन्हें पुरे मानेसर गुडगाव इलाके के मजदूरों का समर्थन प्राप्त हुआ था उसी तरह का सहयोग और समर्थन ही अब उनके आन्दोलन को सफलता के मुकाम तक ले जा सकती है.
कार बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया [एमएसआई] और उसके मानेसर कारखाने के कर्मचारियों के बीच गतिरोध जारी है। कंपनी ने मंगलवार को 16 और स्थाई कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जबकि 12 प्रशिक्षुओं की सेवा समाप्त कर दी। इस गतिरोध के कारण कंपनी का उत्पादन मंगलवार दूसरे दिन भी पूरी तरह प्रभावित रहा।
मारुति सुजुकी के प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक उत्पादन शुरू नहीं हुआ है लेकिन ठेका कर्मचारियों तथा तकनीकीविदों की सेवा लिए जाने जैसे वैकल्पिक उपायों से मंगलवार उत्पादन शुरू होने के संकेत हैं। उत्पादन और गुणवत्ता से समझौते का मामला पिछले सप्ताह सामने आने के बाद से कंपनी कर्मचारियों के प्रति कड़ा रूख अपना रही है। कंपनी ने सोमवार 10 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था जबकि पांच अन्य को बर्खास्त कर दिया था। इसके अलावा छह प्रशिक्षु कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी। प्रवक्ता ने कहा कि हमने 16 और स्थाई कर्मचारियों को मंगलवार को निलंबित कर दिया और 12 अन्य तकनीकी प्रशिक्षुओं की सेवा समाप्त कर दी।
जिन कर्मचारियों को निलंबित और बर्खास्त किया गया है, उन पर पिछले सप्ताह उत्पादित कारों की गुणवत्ता के साथ छेड़छाड़ कर कंपनी को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। बहरहाल, कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन जून में उनकी 13 दिन की हड़ताल का बदला लेने के लिए यह सब कर रहा है। कर्मचारियों ने हरियाणा के मानसेर स्थित कारखाने में नए कर्मचारी संघ को मान्यता देने को लेकर हड़ताल की थी।
उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित होने की खबर के बाद कंपनी ने सोमवार को 'बेहतर आचरण बाड' पर हस्ताक्षर के बिना कारखाने में प्रवेश से कर्मचारियों को मना कर दिया। उसके कारण सोमवार उत्पादन पूरी तरह ठप रहा। नए यूनियन मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन [एमएसईयू] के महासचिव शिव कुमार ने कहा कि कारखाने में यूनियन के गठन के हमारे आवेदन को हरियाणा सरकार द्वारा खारिज किए जाने के मद्देनजर प्रबंधन हमारे खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रहा है और हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर रहा है। कुमार ने जून में हुए आदोलन का नेतृत्व किया था।
उन्होंने कहा कि निलंबित और बर्खास्त कर्मचारियों में प्रस्तावित एमएसईयू के पदाधिकारी शामिल हैं। हालाकि प्रबंधन सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह से एमएसआई उत्पादन लक्ष्य हासिल करने तथा गुणवत्ता को लेकर गंभीर मुद्दों का सामना कर रहा है। सूत्र ने कहा था, '24 अगस्त को 1,230 कार उत्पादित करने की योजना थी लेकिन केवल 437 कार एसेंबल किए गए। इसमें से केवल 96 कार गुणवत्ता मानकों पर खरा उतर सके। उसने कहा कि कर्मचारी उत्पादन घटा रहे हैं तथा गुणवत्ता से जानबूझकर समझौता कर रहे हैं।
हालाकि इस बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि कुछ प्रबंधन समर्थित कर्मचारी उत्पाद तैयार होने के बाद यह कर रहे हैं। वे जून में हुए आदोलन का बदला लेने के लिए ऐसा कर रहे हैं। कुछ कर्मचारियों पर कंपनी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कंपनी प्रबंधन ने बेहतर आचरण के वचन पर हस्ताक्षर और उसे लागू करने का निर्णय किया है। इसमें कर्मचारियों से यह आश्वासन मांगा गया है कि वे उत्पादन कम नहीं करेंगे और किसी भी ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे जिससे कारखाने में उत्पादन प्रभावित होता है।
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23 मार्च
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Thursday, September 8, 2011
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