Thursday, September 8, 2011

क्या यूनियन बनाने की मांग करना गैरकानूनी है

मानेसर के मारुती सुजुकी इंडिया के प्लाण्ट में दोबारा संघर्ष की स्थित उत्पन्न हो गई है। पिछली बार मैनेजमेंट को पीछे हटना पड़ा लेकिन इस बार उसने पूरी तैयारी के साथ हमला बोला है। सबकुछ ठीन होने के उनके दावे के बावजूद वहां कुछ भी ठीक नहीं है। दुर्भाग्य से मीडिया में ब्लैकआउट के चलते इन खबरों का गला घोंट दिया जा रहा है। मीडिया से जुड़े कुछ मित्रों ने बताया कि मारुति मैनेजमेंट की तरफ से सभी अखबारों और चैनलों को धमकी भरी सलाह भेजी गई कि वे मजदूरों के पक्ष को प्रकाशित या प्रसारित न करें (अन्यथा उन्हें विज्ञापन से हाथ धोने पड़ सकते हैं)। इसका असर यह हो रहा है कि मैनेजमेंट जो प्रेस विज्ञप्ति भेज रहा है उसी को अखबार चिपका रहे हैं जबकि मजदूर चिल्ला चिल्ला कर हकीकत बयां कर रहे हैं लेकिन उसे कोई अखबार नहीं छाप रहा है। हां अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने साहस करके मजदूरों का पक्ष छापा। दैनिक जागरण और हिंदुस्तान समेत नई दुनिया, राजस्थान, नवभारत टाइम्स आदि ने तो मैनेजमेंट के सामने घुटने टेक दिये हैं।
मजदूरनामा को मिले समाचार के अनुसार, मजदूरों को उकसाने के लिए मैनेजमेंट ने गुड कंडक्ट बांड की शर्त रखी जिसे कुछ एक मजदूरों के अलावा किसी ने नहीं भरा और सूचना मिलते ही मजदूर हड़ताल पर चले गए।

दुनिया भर में चल रहे तमाम उथल पुथल के बावजूद भारतीय शासक वर्ग यह समझने को राजी नहीं है कि मेहनतकश जनता के दमन का रास्ता आखिर भीषण विस्फोट की ओर ले जाता है। भारत में श्रमिक वर्ग के साथ जो अन्याय अत्याचार हो रहा है वह अभूतपूर्व है। और यह रोष ज्वालामुखी बन चुका है। हालत यह हो गई है कि मजदूर यूनियन बनाने की मांग अघोषित तौर पर एक अवैध मांग हो चुकी है जबकि भारतीय संविधान में यह कर्मचारियों का मौलिक अधिकार माना गया है। आखिर यह देश संविधान के अनुसार चल रहा है या पूंजीपतियों के हितों के अनुसार चलाया जा रहा है।


हम आप सभी से मानेसर के संघर्षरत साथियों का हर सम्भव सहयोग और समर्थन करने की अपील करते है. हमारा प्रस्ताव है कि कि आप हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और श्रममंत्री को अधिक से अधिक संख्या में ईमेल और पत्र भेज कर संघर्षरत साथियों कि जायज माँगों को जल्द से जल्द मांगे जाने के लिए दबाव बनायें और यह सुनिश्चित करें कि कम्पनी प्रशासन उनके आन्दोलन का दमन न कर पाये.

मुख्यमंत्री
cm@hry.nic.in
लेबर कमिश्नर
labourcommissioner@hry.nic.in
श्रम मंत्रालय
labour@hry.nic.in.

No comments:

Post a Comment