मैक्लॉडगंज, एजेंसी : ता दलाई लामा का मानना है कि चीन आर्थिक क्षेत्र में भारत से आगे हो सकता है, लेकिन वह स्वतंत्रता, पारदर्शिता और कानून के शासन जैसे बुनियादी मूल्यों में उससे पीछे है। उनका यह भी कहना है कि चीन की आर्थिक समृद्धि की मुख्य वजह बाहरी पैसा और श्रमिकों के आर्थिक शोषण है। यही वजह है कि चीन के बुद्धिजीवी और कुछ नेता अब बदलाव चाहते हैं।
दलाई लामा ने कहा कि हाल के दशकों में चीन की आर्थिक वृद्धि बाहरी धन और सस्ते श्रमिकों के शोषण पर आधारित है। राजनीतिक रूप से अभी तक वहां सब कुछ नियंत्रित है। उन्होंने कहा, 'मुक्त दुनिया की ताकत केवल पैसे ही नहीं वरन अन्य चीजों पर भी निर्भर है। चीन में यह केवल पैसे की ताकत है।Ó
उन्होंने कहा कि लंबे समय में चीन के बुद्धिजीवियों और कुछ नेताओं ने महसूस किया कि वहां एक कमजोरी है और वे बदलाव चाहते हैं। वे आर्थिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों का आधुनिकीकरण चाहते हैं। चीन में यह बदलाव की बयार है। दलाई लामा ने कहा कि जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना एक सकारात्मक कदम है।
। इससे चीन को तिब्बत जैसे मुद्दों को सुलझाने का आत्म-विश्वास मिलेगा।
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23 मार्च
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Saturday, August 14, 2010
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