बाल श्रम,आत्महत्याएं,औद्योगिक दुर्घटनाएं
23 मार्च
export garment
gorakhpur mahdoor sangharsh
labour
pf
अंतरराष्ट्रीय
अदालत
आईएमटी चौक
आजीवन कारावास
आत्महत्याएं
एक्सपोर्ट गार्मेंट
ऑटो उद्योग
औद्योगिक दुर्घटना
कर्मचारी
कामगार
कार्यक्रम
खेतिहर मजदूर
गुड़गांव
चीन
जनसभा
जेल
तालाबंदी
दमन
पीएफ
फिल्म
फैसला
बंधुआ मजदूर
बहस मुहाबसा
बाल श्रम
भारतीय
मजदूर
मज़दूर
मजदूर अधिकार
मजदूर आक्रोश
मजदूर मौतें
मजदूर विजय
मजदूर हत्याएं
मजदूरी
मानेरसर
मानेसर
मारुति
मारुति संघर्ष
मौत
यूनियन
रिफाइनरी
श्रम
श्रम कानून
सज़ा
सिंगापुर
सेज
हड़ताल
Monday, June 21, 2010
20 लाख ग्रीक कर्मचारियों ने की थी हड़ताल
(ग्रीस की हालत आजकल काफी खराब है। भ्रष्टाचार और प्रबंधकीय अकुशलता के चलते वहां की सरकार दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है। अब इससे उबरने के लिए कर्मचारियों और मजदूरों के हकों को मार कर सरकारी खजाने को भरने का सिलसिला चल रहा है। पूंजीवादी उपायों मैं जैसा कि हर बार होता है शासक वर्ग के नकारेपन और लूट खसोट की भरपाई जनता और मुख्य उत्पादक शक्ति मजदूर वर्ग से की जाती है...ठीक यही दुहराया जा रहा है। इस हड़ताल को हुए एक महीना से ज्यादा हो गया है लेकिन स्थितियां अभी बदली नहीं हैं...भारत में भी यही हो रहा है लेकिन यहां मजदूर वर्ग अभी संगठित नहीं है नतीजन शासक वर्ग अपनी क्रूर नीतियों को बड़ी बे मुरव्वती से लागू किए जा रहा है....इस आलेख को अभिषेक श्रीवास्तव ने अनुदित किया है।)
करीब 20 लाख ग्रीक कर्मचारियों ने एक आम हड़ताल में भागीदारी की। एक दिन की इस जनकार्रवाई का आह्वान प्रधानमंत्री जॉर्ज पपांद्रो की पैनहेलेनिक सोशलिस्ट मूवमेंट (पीएएसओके) सरकार द्वारा थोपे गए खर्च कम करने के उपायों के खिलाफ किया गया। मजेदार बात यह है कि मजदूरों और कर्मचारियों की इस हड़ताल का मीडियाकर्मी ने भी समर्थन किया था और हड़ताल पर चले गए थे।
हड़ताल के दिन एथेंस में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन की ओर इस कार्रवाई में मार्च किया। पूर्ववर्ती कंजर्वेटिव सरकार की नीतियों के खिलाफ मजदूर वर्ग के जनाक्रोश के बाद लोकप्रियतावादी अपील के साथ पिछले अक्टूबर में चुने गए पपांद्रो ने काफी जल्दी यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय बैंकों की इस मांग के आगे घुटने टेक दिए जिसमें कहा गया था कि नौकरियों, वेतन और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों में तेजी से कटौती की जाए, ताकि ग्रीस के बढ़ते बजट घाटे को थामते हुए सरकारी कर्ज को कम किया जा सके। जबकि चुनाव के समय पपांद्रो ने कर्मचारी हितों को सुरक्षित रखने के लिए बड़े बड़े वादे किए थे।
हड़ताल में खर्च कम करने के उपायों के प्रति व्यापक विरोध देखने को मिला। यूरोपीय आयोग ने इसकी जमकर लानत-मलानत की क्योंकि यह उसके वित्तीय हितों के खिलाफ था। इस जनकार्रवाई से ग्रीस में जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया। मजदूर वर्ग ने अपनी ताकत का इजहार करके यह जता दिया कि वह लंबे और जुझारू संघर्ष के लिए तैयार हो रहा है।
आपातकालीन विमान सेवाओं को छोड़ कर ग्रीस आने-जाने वाली तमाम विमान सेवाएं रद्द रहीं क्योंकि एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों ने भी हड़ताल में भागीदारी की जिसके चलते देश का प्रमुख एयरपोर्ट एथेंस इंटरनेशनल बंद करना पड़ा। सार्वजनिक परिवहन पर भी गंभीर असर पड़ा, एथेंस मेट्रो और बस सेवाएं सिर्फ हड़तालियों को प्रदर्शन स्थल तक ले जाने का काम रही थीं। ट्रेनें और फेरी सेवाएं भी ठप पड़ गईं थीं।
देश भर में सरकारी स्कूल, कर कार्यालय, अदालत ओर अन्य सरकारी भवन बंद रहे। अस्पतालों ओर सरकारी सुविधाओं का भी यही हाल रहा। एथेंस के एयरोपोलिस समेत सभी पुरातात्विक और पर्यटन स्थल भी बंद रहे।
मीडिया कर्मचारियों ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया। पत्रकारों और नेशनल जर्नलिस्ट्स यूनियन के सदस्यों ने 24 घंटे का बंद रखा, लिहाजा दूसरे दिन देश में कोई अखबार नहीं प्रकाशित हुआ। मीडिया कर्मचारियों की कार्रवाई के कारण राष्ट्रीय टेलीविजन पर हड़ताल से जुड़ी कोई खबर नहीं चली।
यह हड़ताल यूरोप भर में अपनाए जा रहे कड़े आर्थिक अनुशासनात्मक उपायों को महाद्वीप के अन्य देशों, चाहे वे कजर्वेटिव हों या सोशली डेमोक्रेटिक, उन पर थोपे जाने के खिलाफ मजदूर वर्ग के बढ़ते प्रतिरोध के मद्देनजर की गई थी। और इसमें भारी सफलता मिली।
स्पेन में दसियों हजार कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया ओर सरकार द्वारा पेंशन लाभ को खत्म करने, सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ा कर 65 से 67 करने आदि के खिलाफ प्रदर्शन किया। जोस जपातेरो की सोशलिस्ट पार्टी सरकार भी कर्मचारियों के रोजगार के अधिकार के खिलाफ कानून बनाने जा रही है। अल पाइस अखबार में आई हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 84 फीसदी लोग सरकार के श्रम सुधार के खिलाफ थे।
प्रदर्शन और हड़ताल पुर्तगाल, जर्मनी, फ्रांस और इटली में भी पिछले कुछ दिनों के दौरान आयोजित किए गए।
जर्मनी की अग्रणी एयरलाइंस लुफ्थांसा के चालकों ने अपनी नौकरियों और कार्य स्थितियों के खिलाफ चार दिन की हड़ताल शुरू की, जिसे उनकी यूनियन ने समाप्त कर दिया।
फ्रांस में एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों ने यूरोप के एयर ट्रैफिक कंट्रोल तंत्र में बदलाव के खिलाफ चार दिन की हड़ताल की। इसके और नौकरियों में कटौती के खिलाफ एयर फ्रांस के चालकों ने जहां कार्रवाई की, वहीं ब्रिटेन में ब्रिटिश एयरवेज द्वारा रोजगार प्राप्त 12000 केबिन क्रू स्टाफ ने
नौकरियों में कटौती तथा अन्य पुनर्गठन उपायों के खिलाफ आयोजित हड़ताल के पक्ष में चार और एक के अनुपात में वोट किया।
एक मार्च को चेक के परिवहन कर्मियों ने सभी रेल और बस रूटों पर पांच घंटे तक हड़ताल शुरू की, जो सस्ते किराए जैसी सुविधाओं को खत्म किए जाने के खिलाफ थी। चार मार्च को पुर्तगाल के सरकारी कर्मचारी वेतन रोके जाने और पेंशन के अधिकार पर सरकार के हमले के खिलाफ हड़ताल पर चले गए।
हड़ताली मजदूरों ने ग्रीक राज्य के दिवालियापन की कीमत खुद से वसूले जाने के खिलाफ बहुत भीषण संघर्ष किया, वहीं यूनियन के पदाधिकारियों ने संकेत दिया कि वे पपांद्रो से बातचीत करने को तैयार हैं। यह साफ करते हुए कि यूनियन का लक्ष्य अनुशासनात्मक उपायों में बदलाव करने के लिए सरकार पर दबाव बनाना है,जीएसएसई के प्रमुख इयानिस पैनागोपुलस ने प्रेस को बताया, ‘हम घाटा कम करने की नीतियों के बोझ के समान वितरण की मांग करते हैं।’ एडीईडीवाई के अध्यक्ष स्पायरोस पपासपायरोस ने कहा, ‘हम अगली कार्रवाई तय करने के लिए अगले सप्ताह बैठेंगे।’
16 फरवरी को यूरोपीय संघ के वित्त मंत्रियों ने ग्रीस के बजट को ईयू के पर्यवेक्षण में डालने पर सहमति जाहिर की थी। ऐसा इसके बावजूद है कि सरकार सार्वजनिक घाटे को जीडीपी के 12.7 फीसदी से घटा कर 2012 तक तीन फीसदी पर लाने की इच्छुक है ताकि ईयू के नियामकों का अनुपालन किया जा सके।
पपांद्रो ने संकल्प किया है कि घाटे को इस साल कम कर 8.7 फीसदी पर ला दिया जाएगा। यह कटौती सार्वजनिक व्यय में 2.5 अरब यूरो की कटौती का हिस्सा है और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के वेतन को स्थिर रखने, नागरिक-सेवा बोनस में सब जगह 20 फीसदी की कटौती और सेवानिवृत्ति की आयु में दो साल की वृद्धि शामिल है।
अन्य उपाय के नाम पर कर्मचारी हितों पर जो हमले होने हैं, उनमें मौजूदा मूल्यवर्द्धित कर की दर में 19 फीसदी की वृद्धि ओर ईंधन, अलकोहल ओर तंबाकू पर करों में इजाफा शामिल है। ईयू ने यह मांग भी की हे कि एथेंस सरकारी कर्मचारियों को दो महीने का मिलने वाला अतिरिक्त वेतन भी घटा कर एक महीने का कर दे।
हड़ताल की पूर्व संध्या पर वित्तीय बाजारों ने पासोक सरकार पर अपना दबाव बढ़ा दिया था कि वह कटौतियों को और तीव्र करे। रेटिंग एजेंसी फिच ने ग्रीस के चार सबसे बड़े बैंकों की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया, जिसके चलते यह आशंका जताई जा रही है कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय बैंकों से उधारी लेने ओर निवेशकों को खींचने में दिक्कत आएगी जिससे वह दिवालिया हो सकती है।
राजधानी में दो प्रदर्शन मार्च में किए गए- एक आल वर्कर्स मिलिटेंट फ्रंट द्वारा, जो ग्रीस की स्टालिनिस्ट कम्युनिस्ट पार्टी से मान्यता प्राप्त है और अन्य प्रदर्शन का आयोजन जीएसईई व एडीईडीवाई संघों और उनसे संबद्ध यूनियनों ने किया।
40,000 मजदूरों ने हिस्सा लिया
इन प्रदर्शनों में करीब 40,000 मजदूरों और युवाओं ने हिस्सा लिया, जिसमें कई के हाथ में हाथ से बनी तख्तियां थीं और वे नारे लगा रहे थे ‘‘इस संकट की कीमत प्लूटोक्रेसी चुकाएगी’’ तथा ‘‘सभी के लिए स्थायी और स्थिर रोजगार।’’
एक अन्य नारा ऐसे था, ‘‘सारा पैसा कहां गया?’’ और ‘‘पूंजीवाद के लिए अरबों यूरो लेकिन मजदूरों के लिए कुछ नहीं- उठो और खड़े हो!’’ बैनरों पर लिखा था, ‘‘हमारे लाभों से अपने हाथ दूर रखो’’, ‘‘बाजार और बैंकों से ज्यादा जरूरी जनता है’’ तथा ‘‘बहुत हो चुका’’।
सिंताग्मा स्क्वेयर के पास प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ पर दंगा निरोधक पुलिस ने पेपर स्प्रे ओर आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस का दावा था कि यह प्रदर्शनकारियों को एथेंस विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से रोकने के लिए था। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों की पिटाई भी की और कुछ को हिरासत में ले लिया।
दूसरे सबसे बड़े शहर में थेसालोनिकी पुलिस के अनुमान बताते हैं कि करीब सात हजार लोग प्रदर्शन के लिए जुटे। अन्य शहरों ओर कस्बों में भी प्रदर्शन किए गए।
प्रदर्शन के दौरान सरकार ने संकेत दिया कि वह अगले हफ्ते ओर अनुशासनात्मक उपायों की घोषणा करेगी। इस दौरान यूरोपीय संघ, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिकारियों का एक दौरा होना है। इससे पहले आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ओलिवियर ब्लैंकार्ड ने चेतावनी दी थी कि ग्रीस जैसे उच्च कर्ज वाले देशों को बजट में कटौती का ‘‘बेहद दर्दनाक’’ दौर देखना होगा जो करीब 20 साल तक चल सकता है और यह ‘‘त्याग’’ की मांग करेगा।
नोट ः आपके पास अगर मजदूरों, कर्मचारियों, महिला श्रमिकों आदि के बारे में कोई खबर हो, या आप कुछ विचार रखते हों तो मजदूरनामा ब्लाग पर पोस्ट करने के लिए mazdoornama@gmail.com पर भेजें। -मजदूरनामा टीम
चक्का जाम
अंतरराष्ट्रीय
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बेहद उपयोगी पोस्ट। .मजदूरनामा ब्लॉग के साथ ही अभिषेक श्रीवास्तव का भी आभार। सबक तो हम मजदूरों को ही लेना है... अगर अपने अधिकारों के लिए हम नहीं ख़डे होंगे तो दूसरा कोई इसकी चिंता क्यों करेगा? हमें अपनी नाक से आगे देखते हुए अपने व्यापक हितों को पहचानना और उसे सुनिश्चित करने की लड़ाई में बढ़-चढ़कर शामिल होना होगा। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।
ReplyDelete