Tuesday, May 24, 2011

फैक्टरी में ताला मारकर चला जाता था मालिक

जनार्दन

राष्ट्रीय राजधानी में, नरेन्द्र सिंघल उद्योग नगर, पीरागढ़ी स्थित एच-9 में 'पिंकी पोर्च प्रइवेट लिमिटेडÓ नामक जूता चप्पल बनाने वाली कम्पनी है। कम्पनी के बेसमेंट में आग लगती है और दस मजदूर जिन्दा जलकर मर जाते हैं।
आग लगने के बाद मजदूरों में अफरा-तफरी मच जाती है, वे इधर ऊधर भागने लगते हैं लेकिन कोई भी दरवाजा उन्हें खुला नहीं मिलता। फैक्टरी गेट पर भी ताला लगा होता है। बाहर निकलने या छत पर जाने के सारे दरवाजे बन्द होते हैं। मजदूर अपने परिजनों से फोन पर यह बताते हंै कि मौत नजदीक है और तत्काल मदद की गुहार लगाते हैं। परिजन पुलिस को सूचना देकर फैक्टरी के लिए निकल पड़ते हैं। इस दौरान फंसे मजदूरों से फोन पर उनका संवाद कायम रहता। लेकिन फैक्टरी तक पहुँचते-पहुँचते फोन से दूसरी तरफ की आवाज आनी बन्द हो जाती है और सिर्फ रिंग बजती रहती है।
ढाई घण्टे बाद जब फायर बिग्रेड का दस्ता वहाँ पहुँता है तो वे मजदूरों को बचाने के बजाय आग बुझाना ज्यादा जरूरी समझता है। और पचास गाडिय़ाँ मिलकर 24 घण्टे तक आग बुझाती रहती हैं। इस दौरान मजदूरों के परिजन खिड़की तोड़कर अंदर जाने की कोशिश करते हैं तो पुलिस अपना रंग दिखाते हुए उन लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटना शुरू कर देती है। जबकि फैक्टरी मालिक नरेन्द्र सिंघल पर 'कठोर कार्रवाईÓ करते हुए सिर्फ लापरवाही का मामला दर्ज करती है।
शाम को पहुँचती हैं मुख्यमन्त्री शीलादीक्षित और एक शब्द बोलती हैं 'न्यायिक जाँचÓ। हालॉंकि मुख्यमन्त्री महोदया के साथ आए उद्योग मन्त्री रमाकान्त गोस्वामी ने एक-दो शब्द ज्यादा बोला कि वे सभी विभागों के अधिकारियों की संयुक्त बैठक बुलाकर कोई नीति जरूर बनाएंगे और यह कि मरे हुओं को मुआवजा तो 'इएसआइर्Ó देगी।
एक तरफ है फायर ब्रिगेड, पुलिस प्रशासन, पैक्टरी मालिक इनश्योरेन्स, मुख्यमन्त्री, न्यायिक जाँच आदि आदि, दूसरी तरफ है जली हुई लाशें, गायब मजदूर, रोते-बिलखते परिजन, सब कुछ आँखों में जज्ब किए वे आम जन जिन्होंने खिड़की तोड़कर मजदूरों की जान बचाने का साहस किया और बदले में लाठियाँ खायीं।
पीडि़तों के प्रत्यक्षदर्शी परिजनों का आरोप है कि फैक्टरी मालिक ताला लगाकर चला गया था। इसलिए, जब आग लगी तो मजदूर बाहर नहीं निकल सके। मजदूर अंदर से मदद की गुहार के लिए चिल्लाते रहे। अपने परिचितों को फोन कर मदद माँगते रहे, लेकिन फैक्टरी मालिक, पुलिस व अग्निशमन विभाग द्वारा बचाव कार्य में लापरवाही बरते जाने के चलते उन्हें नहीं बचाया जा सका। मियाँवाली नगर थाना पुलिस ने फैक्टरी मालिक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है।
उस वक्त फैक्टरी में करीब एक दर्जन मजदूर काम कर रहे थे। आग लगते ही मजदूरों ने इसकी सूचना पुलिस व अग्निशमन विभाग को दी। लेकिन अग्निशमन और बचाव दल ने अंदर फंसे मजदूरों को बचाने को प्राथमिकता न देते हुए आग पर काबू पाने में ज्यादा 'तत्परताÓ दिखाई। अंदर आग भड़कने पर सभी मजदूर जान बचाकर दूसरी मंजिल पर पहुंचे, लेकिन छत पर जाने के रास्ते में बने दरवाजे पर ताला लगा था। ऐसे में मजदूर अपने परिजनों को फोन कर व बाहर खड़े लोगों को टार्च दिखाकर मदद की गुहार लगाने लगे।
घटना में मारे गए 24 वर्षीय मनोज के भाई राकेश ने बताया कि रात साढ़े नौ बजे तक उसकी फोन पर मनोज से बात होती रही। वह मदद की गुहार लगाता रहा। इस दौरान वहां जुटी भीड़ ने फैक्टरी के पीछे की खिड़की तोड़कर मजदूरों को बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन फैक्टरी मालिक के इशारे पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। उल्टा भीड़ पर ही लाठियां बरसाकर तितर-बितर कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शी संजीव गुप्ता ने बताया कि बेसमेंट से दूसरी मंजिल तक आग पहुंचने में ढाई से तीन घंटे का समय लगा था। यदि प्रशासन समझदारी से काम लेता और फैक्टरी की दीवार तोड़ देता तो कई मजदूरों को बचाया जा सकता था।
यह हाल है दुनिया में तेजी से बढ़ती अरबपतियों की संख्या और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश की राष्ट्रीय राजधानी के नाक के भीतर का दृश्य!
श्रमजीवी पत्रिका से साभार

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