यूपीए-2 के निरंकुश शासन के दो वर्ष पूरे हो गए हैं। भ्रष्टाचार, महंगाई, अव्यवस्था और जनता के साथ लूटपाट के लिए कुख्यात अपराधियों से भरे मंत्रिमंडल को यूपीए-2 में बहुत सोच समझकर आकार दिया गया है। अपराधियों के इस मंत्रिमंडल ने सबसे ज्यादा कहर देश की मजदूर आबादी पर ढाहा है। पिछले साल मंदी के नाम पर छंटनी और वेतन में कटौती करने वाला यह नापाक गठबंधन इस बार विकास दर के सब्जबाग दिखाकर जनता से फिरौती वसूल कर रहा है। शहरी और ग्रामीण मजदूरों की आबादी सबसे ज्यादा हैरान और परेशान है। तनख्वाहें तो कछुए की गति से बढ़ रही हैं जबकि महंगाई खरगोश की तरह कुलांचें ले रही है। ऐसे में वास्तविक तनख्वाहें मंदी के दौर से भी नीचे चली गई हैं। इसकी तस्दीक खुद यह अपराधी गिरोह कर रहा है।
कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों की खुदरा-महंगाई नौ प्रतिशत से ऊपर
गत सप्ताह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार कृषि और ग्रामीण मजदूरों के लिए महंगाई दहाई से बस एक अंक ही कम रह गई है। जबकि कृषि श्रमिक इंडेक्स के मामले में 16 राज्यों में एक से दस अंक की वृद्धि दर्ज की गई। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य इंडेक्स पर आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा अभी भी नौ प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है। अप्रैल महीने में खेतिहर मजदूरों के मामले में खुदरा मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति जहां मार्च की तुलना में मामूली घटकर 9.11 प्रतिशत रही, वहीं ग्रामीण श्रमिकों के मामले में यह मामूली बढ़कर 9.11 प्रतिशत हो गई।
श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी आंकडों के अनुसार अप्रैल 2011 में मार्च 2011 के मुकाबले कृषि श्रमिकों का सामान्य इंडेक्स जहां दो अंक बढ़कर 587 अंक पर पहुंच गया वहीं ग्रामीण श्रमिकों का इंडेक्स तीन अंक बढकर 587 अंक हो गया। खुदरा बाजार के इन इंडेक्सों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर पिछले साल अप्रैल के मुकाबले हालांकि अब भी काफी ऊपर है।
मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार महाराष्ट्र में कृषि और ग्रामीण श्रमिक दोनों इंडेक्सों में सर्वाधिक क्रमशः 10 और 9 अंक की बढ़त दर्ज की गई। ज्वार, बाजरा, मछली, सूखी मिर्च, पान पत्ता, जलाने की लकड़ी, सूती कपड़े के दाम बढ़ने से खेतिहर श्रमिकों का इंडेक्स बढ़ा है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में दोनों ही इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट क्रमशः सात और पांच अंक दर्ज की गई। यह गिरावट चावल, गेहूं आटा, दाल, सरसों तेल, प्याज, हरी मिर्च, हल्दी, लहसुन, जकड़ी और सूती कपडा के दाम घटने से आई है।
-संदीप राऊजी
बाल श्रम,आत्महत्याएं,औद्योगिक दुर्घटनाएं
23 मार्च
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Monday, May 23, 2011
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