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23 मार्च
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Tuesday, June 1, 2010
न्यूनतम वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर मजदूर नेता मिले राजस्थान के मुख्यमंत्री से
जयपुर, १ जून -केंद्रीय श्रम संगठनों इंटक, एटक, भामस, सीटू एचएमएस, एक्ट एवं सीटू के प्रांतीय पदाधिकारियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भेंट कर श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में तत्काल बढ़ोतरी कर 200 रुपए निर्धारित करने की मांग की साथ ही वेतन को महंगाई सूचकांक से जोड़कर समय-समय पर स्वत: वृद्धि की मांग की।
चक्का जाम
श्रम कानून
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राजस्थान में न्यूनतम वेतन में वृद्धि होनी चाहिए। लेकिन इन नेताओं से जरा ये भी तो पूछें कि प्रदेश में कितने मजदूरों को निर्धारित न्यूनतम वेतन नहीं मिलता वह भी सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में। खास कर नगर पालिकाओं में। और न्यूनतम वेतन लागू कराने के लिए उन्हों ने कितनी लड़ाइयाँ लड़ी हैं।
ReplyDeleteदिनेश राय जी ने बिल्कुल सही बात उठाई है। न्यूनतम वेतन बढ़ाना जरूरी है लेकिन काफी नहीं? यह देखा जाना भी उतना ही जरूरी है कि न्यूनतम वेतन व्यवहार में लागू हो। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि न्यूनतम वेतन कितना होना चाहिए यह कैसे तय होगा? अब तक असंगठित क्षेत्र के लिए वह एक व्यक्ति की जरूरत को ध्यान में रखकर तय किया जाता रहा है। इसका नतीजा यह होता है कि मजदूर की पत्नी को और उशके बच्चों को भी काम की तलाश में श्रम बाजार में खड़े हो जाना पड़ता है। अगर हम बाल श्रम को गलत मानते हैं और सभी बच्चों को शिक्षा का बुनियादी हक व्यवहार में िदलाना चाहते हैं तो न्यूनतम वेतन एक परिवार की जरूरत को ध्यान में रखकर तय किया जाना चाहिए। यह वक्त की जरूरत है।
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