Friday, June 4, 2010

साथी की मौत पर मुंगेर में उबले रेलकर्मी

रेलवे कर्मी की मौत के बाद फूटा गुस्सा



मारा गया मजदूर









-ठेकेदार के ट्रैक्टर से कुचलकर रेलकर्मी की मौत पर हंगामा

-दो जवानों की रायफलें छीनीं

जमालपुर (मुंगेर-बिहार), शुक्रवार, ४ जून : स्थानीय रेल कारखाने में शुक्रवार को सुबह ट्रैक्टर से कुचलकर कर्मचारी की मौत से आक्रोशित रेलकर्मियों ने ट्रैक्टर को आग के हवाले कदिया। आरपीएफ जवानों ने जब लाठियां भांजनी शुरू की तो रेल कर्मियों का गुस्सा और भड़क गया। मामला बिगड़ते देख पुलिस को बुलाया गया, लेकिन उसे भी पीछे हटना पड़ा। सैप के दो जवानों की इंसास रायफल को भी रेल कर्मियों ने छीन लिया। पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की। पथराव में आरपीएफ जवान परमेश्वर सिंह की मौत हो गयी। बताया जा रहा है कि इसमें प्रबंधन की ढिलाई के चलते यह हादसा हुआ। रेलकर्मियों ने कई बार ठेकेदारों की लापरवाही के खिलाफ शिकायतें दर्ज कीं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सौ साल से भी पुराने इस कारखाने में ठेकेदारी को इजाजत दे गई है और ठेकेदार सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखते।जानकारी के अनुसार सुबह करीब आठ बजे ट्रैक्टर से कुचलकर क्रेन शाप में कार्यरत महेन्द्र मंडल (57) की मृत्यु हो गयी। मंडल जमालपुर के केशोपुर का निवासी था। ट्रैक्टर कारखाने के एक ठेकेदार का था। मृत आरपीएफ जवान परमेश्वर सिंह जमुई जिले का रहने वाला था। जवान किसी तरह डीएम को बचाकर कारखाने से बाहर लेकर आये। इसके बाद एसपी ने फोर्स के साथ कर्मियों को कुछ दूर तक खदेड़ा, लेकिन मामला संभलते न देख वह भी पीछे हट गये। बड़े अधिकारी घटनास्थल पर कैम्प कर रहे हैं।

बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से आठ किमी दूर स्थित जमालपुर रेलवे कारखाना में शुक्रवार को श्रमिकों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल बोल दिया जिसे तोड़ने के लिए प्रबंधन ने बल प्रयोग का अपना पुराना नुस्खा आजमाया। इसके बाद तो श्रमिकों का गुस्सा फूट पड़ा। पुलिस ने जब डंडा भांजना शुरू किया तो मजदूरों ने एकता के बल पर उनके हमले को कुंद कर दिया और इसके चलते कुछ सुरक्षाकर्मियों की धुनाई भी हो गई।

कुशल कारीगरों की बहुतायत से अंग्रेजों ने बनाया यहां कारखाना
जमालपुर कारखाना सुंदर पहाड़ियों, मौसमी झरनों और झीलों से घिरा एक जीवंत शहर है। इस शहर को ब्रितानी हुकूमत के दौरान बसाया गया था और उस समय यहां रेलवे इंजीनियरिंग कालेज खोला गया था। औपनिवेशिक शासकों नेरेलवे कारखाना लगाने के लिए इस जगह को इसलिए चुना क्योंकि यहां कुशल मजदूरों और कारीगरों की पर्याप्त संख्या थी। ये मजदूर बंगाल और उड़ीसा के नवाबों के लिए स्टील की बंदूकें बनाते थे। इसके अलावा इस जगह की खूबसूरती भी अंग्रेजों को खींच लाई। यह शहर एक तरफ से पहा़ड़ियों से घिरा है तो दूसरी तरफ सात किमी पर ही गंगा की अविरल धारा है।
श्रमिकों ने देश का पहला भाप इंजन यहीं बनाया
जमालपुर कारखाना जब स्थापित हुआ तो यहां भाप के इंजन बनाने का काम शुरु हुआ। 1899 से 1923 के बीच यहां कुल 216 ब्वाइलर बनाए गए, जोकि भाप के इंजन के महत्वपूर्ण हिस्से होते थे। पहली रोलिंग मिल केवल रेलवे की ही नहीं देश की भी यहां 1870 में स्थापित हुई।

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