Tuesday, June 1, 2010

गुजरात पुलिस मजदूरों को नक्सली बताकर कर रही है गिरफ्तार

सामाजिक संगठनों ने लगाया आरोप, चुप रहने पर गांधीवादियों को लताड़ा
सोमवार को पकड़े गया युवक सामाजिक कार्यकर्ता
नक्सली बताकर गिरफ्तार किया गया युवक मानवाधिकार कार्यकर्ता श्रीनिवास कुरापाटी, पत्नी हंसा तथा वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अमृत भाई वाघेला के समर्थकों ने कहा हमें भी गिरफ्तार करो
अहमदाबाद एजेंसी आखिर गुजरात सरकार ने केंद्र के मंसूबो को बढ़ चढ़ कर पूरा करने में वह करना शुरू कर दिया है जो केंद्र मजबूरी में नहीं कर पा रही है। अब देश भर के मजदूर आंदोलन को कुचलने के लिए नक्सल विरोधी मुहिम को ढाल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका खुलासा तब हुआ जब अहमदाबाद के समाजिक कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात का खुलासा किया कि सोमवार को नक्सली बताकर जिस युवक को गुजरात पुलिस ने पकड़ा है वह सामाजिक कार्यकर्ता है और कई सालों से मजदूरों के बीच काम कर रहा है। गुजरात पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ की तोहमत तो लगी हुई है ही अब उसका नक्सल विरोधी अभियान भी शंका के घेरे में है। सामाजिक संगठनों ने पुलिस की इस मुहिम को गुजरात सरकार की जनता को गुमराह करने की एक साजिश बताया है। आरोप है कि राज्य में नक्सलवाद का हौव्वा खड़ा कर सरकार दलितों व श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को बंदी बना रही है।सामाजिक संस्था पीयूसीएल, दर्शन, अमन समुदाय की अगुवाई में गुजरात के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर गुजरात सरकार की नक्सलवाद विरोधी मुहिम के स्याह पहलुओं को सामने ला दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश पटेल का कहना है कि पिछले पांच दशक से गुजरात की राजनीति में कोई ना कोई हौव्वा खड़ा कर राजनेता फायदा उठाते रहे हैं। उनका मानना है कि आजादी के बाद नागरिकों को मूलभूत सुविधा तक नहीं देने वाली केन्द्र व राज्य सरकारें सबसे बड़ी आतंकवादी हैं। समाज में अब एक ऐसा वर्ग तैयार हो रहा है जो सरकार से कोई सुविधा नहीं चाहता, यह तबका बस अपने संसाधनों पर खुद का अधिकार चाहता है। उन्होंने गुजरात में मानवाधिकार विरोधी गतिविधियों पर चुप्पी लगाए गांधीवादियों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि ऐसे गांधीवादियों की क्या जरूरत है जो अधिकारों के लिए बोल ना सकें। सामाजिक कार्यकर्ता हिरेन गांधी तथा वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शाह का कहना था कि सरकार का विरोध करने वालों पर नक्सली होने का ठप्पा लगाकर सत्ताधीश गरीब और दलितों की आवाज को कुचलना चाहते हैं। उन्होंने सोमवार को गिरफ्तार श्रीनिवास कुरापाटी के साथ उसकी पत्नी हंसा तथा वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अमृत भाई वाघेला की गिरफ्तारी को अवैध बताया है। इनका कहना है कि वाघेला कई वर्षों से गुजरात में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम कर रहे हैं। दलित कार्यकर्ता राजूभाई सोलंकी आदि ने कहा कि यदि गिरफ्तार किए गए युवक नक्सली हैं तो उनके साथ काम करने वाले हम सब भी नक्सली हैं। उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस दोनों कभी राम तो कभी रावण हो जाती है, देश में तीसरी शक्ति का उदय उन्हें जरा भी पसंद नहीं है इसलिए कभी नक्सलवाद, कभी माओवाद का हौव्वा खड़ा कर ऐसे आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जाता है।

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