Saturday, July 3, 2010

पांच जुलाई की हड़ताल को सफल बनाने के लिए वाम-दक्षिण पार्टियों की अपील

नई दिल्ली, 3 जुलाई
महंगाई और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में बढोतरी के विरोध में 5 जुलाई को आयोजित विपक्ष प्रायोजित हड़ताल को सफल बनाने के लिए आज भाजपा, जद यू और वाम दलों ने अपने अपने मंचों से जनता से अपील की। हालांकि इस हड़ताल से राहत की उम्मीद करना बेमानी है और इसे राजनीतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखना चाहिए क्योंकि चाहे वाम हो या दक्षिण कोई भी दल महंगाई को नियंत्रित करने के पक्ष में नहीं है। फिर भी झूठा ही सही प्रतिरोध के हर प्रयास को समर्थन देना चाहिए क्योंकि इससे फिर भी उम्मीद तो बंधती ही है।
भाजपा ने 'भारत बंदÓ को सफल बनाने के लिए आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर अन्य सभी क्षेत्रों के सरकारी, गैर-सरकारी कर्मचारियों और श्रमिक, व्यापारिक तथा छात्र एवं नौजवान संगठनों से समर्थन की अपील की।
राजनीतिक दल भारत बंद को समर्थन देने के लिए विपक्षी दल देश के विभिन्न श्रमिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों तथा छात्र एवं नौजवान संगठनों से बातचीत कर रहे हैं।
वाम नेताओं ने एक संयुक्त अपील में शनिवार को कहा कि संप्रग सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ इस संघर्ष में समाज के हर तबके को आगे आना चाहिए। उन्होंने सभी ट्रेड यूनियनों, रिटेल व्यापारियों, बाजार संघों, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशनों, ट्रक एवं बस मालिकों, टैक्सियों और रिक्शा यूनियनों से हड़ताल में शामिल होने की अपील
की।
माकपा महासचिव प्रकाश करात, भाकपा महासचिव एबी बर्धन, फारवर्ड ब्लाक के महासचिव देवब्रत बिस्वास और आरएसपी के महासचिव टी जे चंद्रचूडन की ओर से यह अपील जारी की गई। वाम और भाजपा समर्थिक इस बंद का जद यू, अन्नाद्रमुक, तेदेपा, सपा, बीजद, जद एस भी समर्थन कर रहे हैं। राजद और लोजपा ने इस मुद्दे पर 10 जुलाई को बिहार में बंद का ऐलान किया है जबकि बसपा ने अभी तक 5 जुलाई की हड़ताल में शामिल होने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। अजीत सिंह की रालोद ने भी इस मुददे पर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
वृन्दा करात ने कहा कि उस समय ऐसा देश हित में किया गया था ताकि लूट खसोट को समाप्त किया जा सके। दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि प्रधानमंत्री पूर्व के सबक को भूल गए हैं। हालांकि वृंदा ने यह नहीं बताया कि संप्रग के पहले कार्यकाल में महंगाई क्यों बढ़ी जबकि सरकार को वाम मोर्चे ने समर्थन दे रखा था।
उन्होंने कहा कि कीमत बढोतरी को लेकर संप्रग सरकार की ओर से दी जा रही दलील झूठी और गुमराह करने वाली है।
माकपा नेता दीपांकर मुखर्जी ने दावा किया कि कांग्रेस यह कहकर जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है कि बढोतरी सरकार ने की है और सत्ताधारी पार्टी का इसमें कोई हाथ नहीं है।
मुखर्जी के मुताबिक कांग्रेस की पत्रिका के संपादक ने कहा है कि केवल सोनिया गांधी ही इस गलत नीति को रोक सकती हैं लेकिन बच्चे को भी पता है कि प्रधानमंत्री सोनिया की मर्जी के बिना ऐसा निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। इस बढ़ोतरी के लिए पूरी कांग्रेस और उसका नेतृत्व जिम्मेदार है। वे आम आदमी की बात करते हैं लेकिन नीति खास आदमी की अपनाते हैं।
उन्होंने कहा कि मई 2009 में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 70 डालर प्रति बैरल या 21.43 रूपए प्रति लीटर थी। इस समय कच्चे तेल की कीमत 77 डालर प्रति बैरल या 22.13 रूपए प्रति लीटर है।
मुखर्जी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत में 70 पैसे प्रति लीटर की बढोतरी हुई है जबकि सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में कई गुना बढोतरी की है। पिछले छह महीने में सरकार ने पेट्रोल की कीमत 6.44 रूपए प्रति लीटर बढा दी, पिछले चार महीनों में डीजल की कीमत में 4.55 रूपए प्रति लीटर बढोतरी की और कैरोसिन की कीमत में तीन रूपए प्रति लीटर तथा रसोई गैस की कीमत में 35 रूपए प्रति सिलिण्डर के हिसाब से बढ़ोतरी की।

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