-अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रतिनिधियों के अलावा कई स्वयंसेवी संगठन भी लेंगे भाग
-तमिलनाडु, मध्यप्रदेश व आंध्र के श्रम अधिकारी भी लेंगे हिस्सा
चंडीगढ़, 29 जून
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के हालात व बंधुआ मजदूरों के भविष्य पर विचार-विमर्श के लिए 1 जुलाई को चंडीगढ़ में होने जा रही कांफ्रेंस में होगा। इसमें अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की तरफ से जेनेवा से एक तथा भारत में रह रहे तीन प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनके अलावा केंद्रीय श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ, मानवाधिकार आयोग, दूसरे राज्यों से श्रम अधिकारी, बीमा कंपनी तथा स्वयंसेवी संगठन भी शामिल होंगे।
अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के तत्वावधान में जेनेवा में 2 से 18 जून तक आयोजित कांफ्रेंस में बंधुआ मजदूरी पर विचार किया गया था। उसकी अगली कड़ी में चंडीगढ़ में यह सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इसमें हरियाणा के साथ आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, झारखंड तथा मध्यप्रदेश हिस्सा लेने जा रहे है। सम्मेलन की अध्यक्षता हरियाणा के श्रम मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह करेंगे। इसमें भागीदारी करने वाले सभी राज्य अपने अपने यहां काम करने वाले बंधुआ मजदूरों के हालात सुधारने के लिए बनाई योजनाओं को सामने रखेंगे। केंद्रीय श्रम विभाग मानता है कि तमिलनाडु में भट्ठे पर काम करने वाले मजदूरों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। हालांकि यहां श्रमकानूनों की काफी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
हरियाणा के श्रम आयुक्त अनुपम मलिक ने दावा जताया कि हरियाणा ने इस दिशा में अनुकरणीय काम किया है। मजदूरों के बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं तो उनके परिवार के स्वास्थ्य के लिए बीमा योजना चल रही हों। उनका कहना है कि हरियाणा और तमिलनाडु के हालात में काफी फर्क है इसलिए वहां का ढांचा यहां लागू नहीं किया जा सकता। यह दीगर बात है कि हरियाणा में प्रवासी मजदूरों की हालत किसी से छिपी नहीं है। दो महीने पहले पानीपत के कालीन उद्योग के 10 हजार मजदूरों ने सप्ताह भर तक हड़ताल की थी उसके बावजदू प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगी।
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23 मार्च
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Tuesday, June 29, 2010
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