नई दिल्ली, 18 मई
सीपीआई(माओवादी) संगठन के लिए राजधानी में आर्गेनाइजर के तौर पर काम रहे श्रमिक नेता गोपाल मिश्रा व उनकी पत्नी अनु मिश्रा की जमानत अर्जी को तीस हजारी कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन पर लगे आरोप गंभीर है।कोर्ट ने कहा कि वह एक प्रतिबंधित संगठन सीपीआईएम के सदस्य होने के नाते उन पर गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत मामला बनाया गया है। जिसमें उनको मौत तक की सजा हो सकती है। कोर्ट में दायर अर्जी में दंपत्ति ने कहा था कि पुलिस के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है जो उन्हें इस संगठन से जोड़ सके। उनको झूठे मामले में फंसाया गया है क्योंकि गोपाल मिश्रा श्रमिकों के लिए काम करता था। उसके पिता भी मजदूर एक्ता मंच के लिए काम करते थे। मिश्रा ने बताया कि उसने कोलकाता विवि से एमए की पढ़ाई की है और वह वाराणसी के एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता है। वही उसकी पत्नी का कहना था कि वह महिला श्रमिकों के लिए काम करती है और एक एनजीओ चलाती है। इस संगठन से उसका कोई लेना-देना नहीं है। सेल का कहना है कि यह पति-पत्नी सीपीआई के सक्रिय सदस्य है। यह दोनों युवकों को अपने संगठन की तरफ आकर्षित करने का काम करते थे।ं इनके पास से इनकी पार्टी से संबंधित लिटरेचर,सीडी,डीवीडी,नकदी,पेन ड्राईव व अन्य सामान मिला है। दंपत्ति पर कोबाद घंडी समेत कई नक्सलियों से संपर्क रखने का आरोप है। इसी सूचना के आधार शाहदरा के रामनगर इलाके में रहने वाले श्रमिक नेता गोपाल मिश्रा को 26 अप्रैल को व उसकी पत्नी को 27 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया ।
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23 मार्च
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Tuesday, May 18, 2010
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