Saturday, July 24, 2010

बाल श्रम का इस्तेमाल करने वाले उत्पादों की अमेरिकी सूची में भारतीय कपड़ा क्षेत्र भी

नई दिल्ली-वाशिंगटन, 24 जुलाई
आखिर अमेरिका ने भारत के कपड़ा निर्यातकों को उन देशों की सूची में डाल ही दिया जिसमें कपड़ा उद्योग में बाल श्रम का इस्तेमाल करने वाले देश आते हैं। हालांकि इसका विरोध भारतीय कपड़ा निर्यातक संघ ने किया था लेकिन इस सच्चाई को वह झुठलाने में नाकाम रहा। अमेरिका ने लगातार दूसरे साल उन देशों की सूची में भारत को शामिल किया है, जो निर्यात उत्पादों के उत्पादन में संभवत: बाल श्रमिकों को लगाते रहे हैं। अमेरिका द्वारा इस सूची में शामिल किए जाने से परिधान निर्यातकों की प्रतिष्ठा को झटका लगा है।
लेकिन इसमें भारत के दबाव के चलते कालीन उद्योग को अमेरिका शामिल नहीं किया है जोकि बाल श्रमिकों को इस्तेमाल करने वाला एक बड़ा क्षेत्र है। अमेरिकी श्रम विभाग की उस सूची में जहां उत्पादन में संभवत बाल श्रमिकों का इस्तेमाल हुआ है, कालीन उद्योग को शामिल नहीं किया गया है। पर देश के कपड़ा उद्योग को इस सूची में रखा गया है।
हालांकि, इससे भारत के अमेरिका को तीन अरब डालर के कपड़ा निर्यात पर शुरू में कोई असर पडऩे की संभावना नहीं है। लेकिन इससे देश के कपड़ा उद्योग की प्रतिष्ठा को वैश्विक खरीदारों मसलन वॉल-मार्ट, गैप तथा जे सी पेनी से आगे आघात लगने का अंदेशा है।
बाल श्रम जैसे अमानवीय कृत्य की पैरवी करने के लिए देश का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन की अगुवाई में अगस्त के तीसरे हफ्ते में अमेरिका जा सकता है। यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी अधिकारियों को भारतीय कपडा उद्योग द्वारा बाल श्रम के इस्तेमाल को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देगा। मतलब साफ है अमेरिका से बाल श्रम इस्तेमाल करने की छूट लेने की भारत कोशिश करेगा। यद्यपि कि अमेरिका इतना पाक साफ नहीं है कि वह बाल श्रम को अवैध घोषित कर दे क्योंकि वही इन उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार है।

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