Wednesday, May 26, 2010

ग्रेटर नोएडा में फैक्ट्री मालिक कर रहे हैं मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़

ग्रेटर नोएडा, २५ मई -
ग्रेटर नोएडा की तीन दर्जन से भी अधिक छोटी और मध्यम की फैक्ट्रियां अग्नि सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर चल रही है। हजारडस(खतरनाक) जोन में आने के बावजूद इन फैक्ट्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
मेजर एक्सीडेंटल हजारडस जोन में आने वाली तमाम छोटी और मध्मय दर्जे की फैक्ट्रियों के पास व्यापक अग्नि सुरक्षा नहीं होने के कारण से पास के गांव जगनपुर,अमरपुर,मुर्शदपुर व इमलिया,लुक्सर व अटाई में आग लगने की आशंका बनी रहती है। फिर भी अथॉरिटी व जिला प्रशासन ऐसी लापरवाही के लिए फैक्ट्रियों के खिलाफ शिकंजा नहीं कस रहे हैं। कासना इंडस्ट्रियल साइट पांच व सूरजपुर इंडस्ट्रियल साइट एक,दो व तीन में दजर्नों की संख्या में छोटे और मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियां है। थर्मोकोल व प्लास्टिक बनाने वाली छोटे और मध्यम दर्जे की कई फैक्ट्रियां नेशनल बिल्डिंग कोड के मानकों से कोसों दूर है। मानक के अनुसार इनके पास न तो हाइडल सिस्टम वाटर स्टोरेज की व्यवस्था है और न ही ब्यूटेन,आइसो प्रोपेन,अमोनिया जैसे खतरनाक गैस के रिसाव से बचने के उपाय है। कोड के मानकों के मुताबिक एक कमरे में चलने वाली छोटी फैक्ट्रियों में दो दरवाजे आवश्यक हैं,लेकिन कई ऐसी फैक्ट्रियां हैं जो एक दरवाजे से चल रही हैं।
हाल ही में सम्पन्न प्रोमोशन एंड टेक्नोलोजिकल फार एमएसएमई एंड फायर सेफ्टी अवेयरनेस मीट में इन चीजों को खुलासा हुआ है। थर्मोकोल फैक्ट्रियों में 250 कि.ग्रा प्रति सेंटीमीटर वर्गमीटर के दबाव से ज्वलनशील गैसों का रिसाव होता है। इनसे बचने के लिए बुलेट व पाइप लाइन की जरुरत पड़ती है। लेकिन शायद ही यहां ऐसी कोई छोटी व मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियां हैं जो सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखती हों।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि छोटे व मध्यम दर्जे की कई फैक्ट्रियां सुरक्षा मानकों पर खड़ा नहीं उतरती है। एनओसी के लिए किसी तरह सुरक्षा मानक पूरा करने के बाद आगे की कार्यवाही औपचारिकता मात्र रह जाती है। अग्नि सुरक्षा मानकों को ठेंगा दिखाने वाली ऐसी फैक्ट्रियों के खिलाफ अब नियमित तौर पर चेकिंग की जाएगी।
प्रमोद चंद गुप्ता, डीसीईओ, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी
सुरक्षा के मद्देनजर खासकर छोटे व मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियों में अग्नि सुरक्षा उपायों के लिए साल में कम से कम दो बार मोक ड्रील कराने के प्रावद्यान हैं। लेकिन नोटिस के बावजूद फैक्ट्रियां अग्नि सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। सुमेर सिंह, रीडिंग फायरमैन, अग्निशमन विभाग

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