हड़ताल पर रोक के शासनादेश को किया दरकिनार
-22 व 23 जुलाई को करेंगे प्रदेशव्यापी हड़ताल
-केस्को को निजी हाथों में सौंपे जाने का विरोध करेंगे नोएडा की विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति
नोएडा, 7 जुलाई : बिजली कर्मचारी बगावत पर उतर आए हैं। शासन के निर्णय के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने झंडा बुलंद कर दिया है। ऊर्जा निगमों के कर्मचारी व अभियंता कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी (केस्को) को निजी एजेंसी टोरेंट पावर कंपनी को सौंपे जाने का विरोध कर रहे हैं। संघर्ष समिति ने हड़ताल पर रोक के शासनादेश को भी दरकिनार कर दिया है। विद्युत कर्मचारी 22 व 23 जुलाई को प्रदेशव्यापी हड़ताल करेंगे।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कानपुर के बाद नोएडा को निजी हाथों में सौंपे जाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। शासन स्तर पर फायदे में चल रहे सभी मंडल को निजी कंपनी के हाथों में सौंपने का षडयंत्र रचा जा रहा है। बिजली क्षेत्र में सुधार ही करना है तो मऊ, गाजीपुर व आजमगढ़ मंडल को निजी कंपनी को सौंपा जाए।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बुधवार को नोएडा में इसकी घोषणा की। दुबे ने कहा कि उत्पादन, पारेषण व वितरण सभी क्षेत्र के कर्मचारी गांधीवादी तरीके से हड़ताल करेंगे। कार्य बहिष्कार कर प्रदेश के मुख्य व अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर धरना दिया जाएगा। विद्युत निगम को प्रति यूनिट बिजली की उत्पादन लागत पांच रुपये पैंतीस पैसे पड़ रही है, जबकि आगरा में निजी कंपनी को एक रुपये 54 पैसे की दर से बिजली दी जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि करोड़ों रुपये का घाटा उठाने के बावजूद कंपनी पर यह मेहरबानी क्यों? प्रदेश में बिजली की किल्लत होने पर केंद्रीय ग्रिड से 17 रुपये 46 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में कंपनी को कौडिय़ों के भाव बिजली बेचना तर्कसंगत नहीं है। आगरा में दो हजार मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति हर साल की जाती है। कम दरों पर बिजली देने से निगम को सात सौ करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। शासन राजस्व वसूली में कमी आने पर केस्को को निजी हाथों में सौंपने का हवाला दे रहा है। जबकि कानुपर बिजली आपूर्ति कंपनी ने सबसे अधिक साढ़े सत्रह फीसदी राजस्व वृद्धि दर्ज की है। निजी कंपनी के पीछे भागने का कारण जनता के पैसे को हड़पना है।
उन्होंने कहा कि कानुपर में डंकन फर्टिलाइजर्स कंपनी तीन साल से बंद पड़ी हुई थी। जेपी इसे खरीदकर जनवरी 2011 से शुरू करने जा रहा है। चार करोड़ यूनिट बिजली की कंपनी में हर महीने खपत है। इससे बीस करोड़ रुपये निगम को राजस्व के रूप में प्राप्त होते हैं। केस्को के निजी हाथों में चले जाने से निगम को मात्र आठ करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि 12 करोड़ रुपये कंपनी के खाते में जाएंगे। इसे देखते हुए ही संघर्ष समिति ने प्रदेश व्यापी आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया है। हड़ताल के बावजूद केस्को को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय निरस्त नहीं किया गया, तो 24 जुलाई को कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
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Wednesday, July 7, 2010
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